!!.पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया दादी राजमाता विजयराजे सिंधिया का इतिहास…
दोहराने की तैयारी में: बाजी पलटी तो भाजपा के हर फैसले में होगा दखल.!!
भोपाल। मध्य प्रदेश के राजनीतिक घमासान में पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया नए सिरे से प्रासंगिक हो गए हैं। राज्य में 1967 का इतिहास दोहराने की तैयारी हो रही है और अगर निशाना सटीक रहा तो अपनी दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया की तरह ही श्रीमंत कांग्रेस की बाजी पलटने में एक अहम किरदार साबित होंगे। जाहिर है कि फिर भाजपा के हर फैसले में उनका दखल बढ़ेगा।सिंधिया का दखल सिर्फ दल की राजनीति में ही नहीं बढ़ेगा, बल्कि अगर भाजपा की सरकार बनती है तो सरकार के साथ ही नौकरशाही में भी उनके चहेतों को प्रतिष्ठित किया जाएगा । यही वजह है कि संगठन, सरकार और नौकरशाही के केंद्र में शिवराज सिंह चौहान की ही तरह सिंधिया भी आ गए हैं।
राजमाता ने 52 साल पहले गिराई थी कांग्रेस सरकार…..
मध्य प्रदेश और राजस्थान की राजनीति में इस परिवार का बोलबाला है। यह अजब संयोग है कि सिंधिया 18 वर्षो तक कांग्रेस की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के बाद भगवा ध्वज लहराने आए हैं, जबकि उनकी दादी राजमाता विजयराजे सिंधिया भी 1957 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर शिवपुरी से लोकसभा का चुनाव जीती थीं और बाद में वह जनसंघ में शामिल हो गई। जनसंघ के विधायकों के सहयोग से उन्होंने 1967 में मध्य प्रदेश में कांग्रेस की डीपी मिश्र सरकार को गिरा दिया था। उनके ही सहयोग से गोविंद नारायण सिंह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। इतिहास ने करवट ली और वही दृश्य पुन: उपस्थित हो गया। सिंधिया की दादी राजमाता का मध्य प्रदेश की सियासत में इतना जबर्दस्त दखल था कि उन्होंने कांग्रेस के किले को हिला दिया था।
कांग्रेस से भाजपा ने लिया पुराना बदला…..
कांग्रेसियों ने उनके पुत्र और 1971 में पहली बार गुना से सांसद बने माधवराव सिंधिया को ही अपना मोहरा बना लिया। वह राजमाता और जनसंघ से विद्रोह कर 1980 में कांग्रेस में शामिल हुए और जीवन पर्यत कांग्रेस के साथ जुड़े रहे। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को चुनाव में पराजित भी किया पर भाजपा ने ज्योतिरादित्य को अपने साथ जोड़कर 40 वर्षो बाद अपना बदला ले लिया। अब अपनी दादी की तरह ही श्रीमंत भी मास्टर स्ट्रोक चलाने के लिए तैयार हैं। यह ध्यान रहे कि राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और मध्यप्रदेश सरकार की पूर्व मंत्री यशोधरा राजे, ज्योतिरादित्य की सगी बुआ हैं और दोनों भाजपा की राजनीति में सक्रिय हैं। यह भी एक सुखद संयोग है कि परिवार में चौतरफा भगवा फहराने की खुशी 40 वर्ष बाद मिली है।
पंकज पाराशर की रिपोर्ट…