जल जनित संचारी रोग कार्यक्रम…
विशेष संचारी रोग के अंतर्गत आज पी पी एन इंटर कॉलेज कानपुर में जल जनित रोग और सावधानियों के बारे में एक बैठक का आयोजन किया गया।बैठक को संबोधित करते हुए पीपीएन इंटर कॉलेज कानपुर के प्रधानाचार्य राकेश कुमार यादव ने बताया कि मनुष्य के शरीर में उपस्थित जल ही जीवन दाता है।जल सभी सजीव प्राणियों के लिए अनिवार्य है।जल उन पांच तत्वों में से एक है जिससे हमारे शरीर की रचना हुई है। जल हमारे मन, वाणी,चक्षु, स्रोत तथा आत्मा को तृप्त करती है।शुद्ध जल का अर्थ है कि मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक अशुद्धियों और रोग पैदा करने वाले जीवाणुओं से मुक्त होना।विश्व भर में 80% से अधिक बीमारियां प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से प्रदूषित जल से होती हैं। शिक्षक सूर्यनारायण ने बताया कि शहरों में बढ़ती हुई आबादी के द्वारा उत्पन्न किए जाने वाले मल मूत्र,कूड़े करकट को पाइपलाइन अथवा नालों के जरिए प्रवाहित करके नदियों व अन्य सतही जल को प्रदूषित किया जा रहा है।प्रवक्ता बलराम ने बताया कि ऐसे महत्वपूर्ण जीवनदायी जल को प्रगति एवं विकास की अंधी दौड़ में रोगकारक बना रहे हैं।संचारी रोग नोडल शिक्षक राकेश कुमार कटियार ने बताया कि विषाणु द्वारा पीलिया,पोलियो,जुकाम, चेचक।जीवाणुओं द्वारा अतिसार,पेचिश,मियादी बुखार,कुकुर खांसी,क्षयरोग कृमि द्वारा फाइलेरिया,पेट के विभिन्न कृमि रोग।प्रोटोजोआ द्वारा पायरिया,पेचिश निद्रा रोग,मलेरिया,रुग्णता आदि उत्पन्न हो रहे हैं। डॉ वरुण मेहता ने बताया कि जल में विशेष तत्व लोहा,मैग्नीज, बेरियम,क्रोमियम,बोरान अन्य लवण नाइट्रेट,सल्फेट, बोरेट,कार्बोनेट आदि मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे हैं।बलवीर सिंह, सुनील कुमार पटेल,सुनील कुमार दिवाकर, सूर्यनारायण,हर्षेंद्र कुमार यादव,प्रदीप कुमार शुक्ला ,शरद कुमार सविता आदि उपस्थित
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…