*पोस्टर/होर्डिंग्स लगाए जाने के मामले में आज नहीं आया कोई फैसला: सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच अब करेगी सुनवाई*

*पोस्टर/होर्डिंग्स लगाए जाने के मामले में आज नहीं आया कोई फैसला: सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच अब करेगी सुनवाई*

*किस कानून के तहत लखनऊ की सड़कों पर दंगे के आरोपियों के पोस्टर लगाए गए- सुप्रीम कोर्ट*

*साॅलिसिटर जनरल ने कहा- होर्डिंग्स हटाना बड़ी बात नहीं, विषय बड़ा है- निजता के अधिकार की भी सीमा है*

*सरकार और जनता में फर्क है, जनता कई बार कानून तोड़ देती है-सरकार कानून के हिसाब से ही कार्रवाई कर सकती है*

*लखनऊ।* लखनऊ की सड़कों व चौराहों पर जिला प्रशासन की ओर से सीएए विरोधी 57 “आरोपियों” की लगाई गईं होर्डिंग्स व कथित उपद्रवियों के पोस्टर लगाए जाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा स्वत संज्ञान लिए जाने के बाद पोस्टर एवं होर्डिंग्स हटाए जाने के आदेश को यूपी सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिए जाने वाली याचिका पर आज सुनवाई करते हुए जस्टिस यू ललित एवं जस्टिस अनिरुद्ध की बेंच ने यूपी सरकार पर उठाया सवाल कि किस कानून के तहत दंगे के आरोपियों के लगवाए गए पोस्टर। कोर्ट ने आज कोई फैसला न देते हुए मामले को आगे की सुनवाई के लिए तीन जजों की बेंच को भेज दिया है। अब सुप्रीम कोर्ट की 3 जजों की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी।
इससे पूर्व कोर्ट ने टिप्पणी की कि सरकार कानून के बाहर जाकर काम नहीं कर सकती। क्या सरकार के पास ऐसे पोस्टर लगाए जाने का अधिकार है ? कोर्ट ने यह भी पूछा कि नुकसान की भरपाई के लिए क्या आरोपियों को कोई समय दिया गया है, इस पर साॅलिसिटर जनरल तुषार मेहता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि हां 30 दिन का समय दिया गया है, तो कोर्ट ने कहा इसमें तो अभी समय बांकी है फिर पोस्टर क्यों लगाए गए। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार और जनता में फर्क है, जनता कई बार कानून तोड़ देती है। सरकार वहीं कर सकती है जो कानून में हो।
तुषार मेहता ने कहा कि निजता के अधिकार की सीमाएं हैं। मामला कानून के हिसाब से बहुत महत्वपूर्ण है, कोई भी फैसले का दूरगामी असर होगा। उन्होने कहा कि हिंसा करने, संपत्ति का नुकसान करने वालों के पोस्टर लगाए गए। सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाए जाने वालों के पोस्टर लगाया जाना सही है। तुषार मेहता ने कहा कि होर्डिंग्स हटाना बड़ी बात नहीं, विषय बड़ा है। दंगे के आरोपी रिटायर्ड आईपीएस एस दारापुरी की ओर से वरिष्ठ वकील मनु सिंघवी ने पैरवी की। उन्होने कहा कि यूपी सरकार की कार्रवाई कानूनन सही नहीं है।
बताते चलें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी अपने आदेश में सोमवार को कहा था कि सरकार कानूनी कार्रवाई कर सकती है, मनमानी नहीं। योगी आदित्यनाथ सरकार ने फैसला लिया था कि वह लखनऊ की सड़कों पर लगाये गए 57 आरोपियों की होर्डिंग्स व पोस्टर नहीं हटाएगी और फैसले को सुप्रीम कोर्ट‌ में चुनौती दी जाएगी। हाईकोर्ट का जिस दिन फैसला आया था मुख्यमंत्री उस दिन गोरखपुर में थे, उनके निर्देश पर उसी दिन लखनऊ में लोकभवन में अपर मुख्य सचिव/गृह अवनीश अवस्थी की अध्यक्षता में अधिकारियों की हुई बैठक में ये फैसला लिया गया था कि होली के बाद सुप्रीम कोर्ट में फैसले को चुनौती दी जाएगी और होली के दूसरे दिन ही कल सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
*”विशेष संवाददाता विजय आनंद वर्मा की रिपोर्ट, , ,*