कोहरे से ढके पहाड़ों की भूमि है सिलीगुड़ी…

कोहरे से ढके पहाड़ों की भूमि है सिलीगुड़ी…

लंबे समय से सिलीगुड़ी को भारत के पश्चिम बंगाल राज्य की महत्वपूर्ण ख्याति के एक पर्यटन स्थल के रूप में जाना गया है और पिछले कुछ वर्षों में एक आत्म निरंतर नगरी के रुप में विकसित हुआ है तथा यहां पर्यटकों के देखने के लिए कई सारे स्थान मौजूद हैं। बागड़ोगरा में बना अंतराष्ट्रीय हवाई अड्ड़ा तथा अन्य शहरों से अच्छी तरह से जुड़े इस रेलवे स्टेशन के कारण यहां तक पहुंचना सुलभ हो गया है और इस के निकट बसी नगरी सिलीगुड़ी पर्यटन की संभावनाओं की विशालता को बढ़ाती हैं।

राजसी हिमालय पर्वतमाला की तलहटी पर स्थित सिलीगुड़ी को एक शैक्षणिक केंद्र के रूप में जाना जाता है और राज्य के तथा देश के छात्र अपने प्रारंभिक वर्ष इस पूर्व भारतीय स्वर्ग में बिताने की ख्वाहिश रखते हैं। भौगोलिक-ष्टि से, एक ओर सिलीगुड़ी नेपाल की सीमा से जुड़ा है और दूसरी ओर बांग्लादेश की सीमा से जुड़ा है। सिलीगुड़ी की गलियारें भारत को अपने विभिन्न पूर्वोत्तर राज्यों के साथ जोड़ती हैं। सिलीगुड़ी, राज्य के उत्तरी भाग के अन्य विभिन्न पर्यटन स्थलों के लिए भी एक आधार है और इन छोटी बस्तियों को देखने के लिए एक शानदार स्थान है, जो सिलीगुड़ी से केवल कुछ ही घंटों की दूरी पर स्थित हैं।

सिलीगुड़ी और इसके आसपास के पर्यटक स्थल:- सिलीगुड़ी में कई प्रतिष्ठित और दिलचस्प स्थान मौजूद हैं। इनमें इस्कॉन मंदिर, महानंदा वन्यजीव अभयारण्य, विज्ञान नगरी, कोरोनेशन पुल, सालूगारा मठ, मधुबन उद्यान और उमराव सिंह बोट क्लब शामिल हैं।

त्योहार और उत्सव:- भारत के अधिकांश शहरों की तरह सिलीगुड़ी में भी दीवाली, भाई टीका, दुर्गा पूजा, काली पूजा और गणेश पूजा जैसे प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं। बैसाखी का मेला सिलीगुड़ी के सबसे पुराने उत्सवों में से एक है। यहां के स्थानीय लोग काफी उदार-चित्त हैं और यहां त्योहारों के मौसम में कई समकालीन कार्यक्रम जैसे फैशन शो तथा उत्सव आयोजित किए जाते हैं। हस्त शिल्प उत्सव, पुस्तक मेला और लेक्जपो मेला आयोजित किए जाने वाले बहुतम कार्यक्रमों में से कुछ के नाम हैं। अधिकांश कार्यक्रम कंचनजंगा स्टेड़ियम में आयोजित किए जाते हैं और यह शहर के बीचोंबीच स्थित है।

सिलीगुड़ी के व्यंजन:- सिलीगुड़ी के स्थानीय लोग काफी खुशमिजाज हैं और हाल ही में इस नगरी ने बड़ी संख्या में पड़ोसी राज्यों और देशों से लोगों को यहां पलायन करते देखा है। यह थोड़ा सा इस शहर की बुनियादी लोकाचार को छीन चुका है, लेकिन फिर भी आप पूरी तरह स्थानीय संस्कृति का आनंद उठा सकते हैं। सिलीगुड़ी में व्यंजन निश्चित रूप से चखने योग्य हैं और सड़क के किनारे लगी दुकानों में कई स्वादिष्ट व्यंजन परोसे जाते हैं। यहां आकर आप सिग्नेचर मोमोज़ में चिकन, गोमांस, शूकर मांस और सब्जियों से बने पकौड़ों को चखना ना भूलें। यहां प्रामाणिक उत्तर पूर्वी भारतीय चाय भी पेश की जाती है और विशेष रूप से मानसून और सर्दियों में दोपहर का एक उचित पेय पदार्थ है।

मॉल संस्कृति:- देर से ही सही, लेकिन मॉल संस्कृति भी सिलीगुड़ी में अपना स्थान बना चुकी है तथा कोस्मोस और ऑर्बिट दो प्रमुख स्थान हैं। इन मॉलों में सारी मल्टीप्लेक्स सुविधाएं उपलब्ध हैं और यहां सारी नई हॉलीवुड़ और बॉलीवुड़ फिल्मों दिखाई जाती है। इस शहर में पूरी तरह क्रियाशील तकनीकी उपवन भी है। रिक्शा द्वारा सिलीगुड़ी के आसपास के स्थानों को देखने का तरीका सबसे अच्छा होगा लेकिन साइकिल द्वारा शहर को देखने का तरीका काफी मज़ेदार होगा! रिक्शे का चयन ध्यान से करें क्योंकि यहां मीटर का दुरुपयोग कर किराया ज्यादा लिया जाता है। स्थानीय बसें भी इस शहर को देखने का एक अच्छा साधन हैं लेकिन इनमें थोड़ी सी भीड़ होगी।

कैसे पहुंचे सिलीगुड़ी:-

सड़क मार्ग:- पश्चिम बंगाल के कई शहरों से सिलीगुड़ी के लिए सार्वजनिक सड़क परिवहन की बसों की सेवा उपलब्ध है। कोलकाता के लिए नियमित रूप से दैनिक बसों की सेवा उपलब्ध हैं। निजी पर्यटन बसों भी कई उत्तर पूर्व शहरों को सिलीगुड़ी से जोड़ती हैं।

ट्रेन द्वारा:- न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन सिलीगुड़ी का निकटतम रेलवे स्टेशन है।

एयर द्वारा:- सिलीगुड़ी घरेलू हवाई अड्ड़ा बागडोगरा में स्थित है जो शहर से 12 किमी दूर है। सिलीगुड़ी हवाई मार्ग द्वारा दिल्ली, कोलकाता और मुंबई से जुड़ा हुआ है। सिलीगुड़ी हेलीकाप्टर सेवा से गंगटोक से जुड़ा है। अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों के लिए कोलकाता से अन्य उड़ानो की सेवा उपलब्ध है जो लगभग 588 किलोमीटर दूर है। कोलकाता हवाई मार्ग से भारत के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा है तथा विदेश के कई शहरों से भी जुड़ा है।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…