*कोरोना के आतंक के चलते पोल्ट्री किसान कर्ज में डूबे: अब तक एक लाख करोड़ से ज्यादा का नुकसान*
*सरकार भी नहीं दे रही है पोल्ट्री फॉर्म किसानों की दशा पर कोई ध्यान*
*केंद्रीय मंत्री ने भी माना मुर्गा-अंडा खाने से नहीं हुआ किसी को कोरोना*
*डीएम ने कहा, मांस-मछली खुले में न बेचें: लखनऊ में नहीं है बिक्री पर कोई रोक*
लखनऊ। कोरोना…! कोरोना…! कोरोना…! आजकल हर जगह बस कोरोना का ही खौफ छाया हुआ है। जहां लोग इसको लेकर भयभीत हैं, वहीं कोरोना के आतंक के चलते तमाम व्यवसाय भी बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं खासकर पोल्ट्री फॉर्म किसान तो लगभग तबाह ही हो गए हैं। हर पोल्ट्री फॉर्म किसान कर्ज में डूबा हुआ है। सरकार भी उनकी ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है।
कोरोना के आतंक के बीच राजधानी लखनऊ के जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश द्वारा खुले में मांस-मछली बेचने पर रोक लगाए जाने के निर्देश जारी किए जाने से भी पोल्ट्री व्यवसाय पर असर पड़ा है। हालांकि डीएम ने मांस-मछली की बिक्री पर नहीं बल्कि इसको खुले में बेचें जाने पर रोक लगाई है। वहीं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि अभी तक ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है कि चिकन या अंडा खाने से किसी में कोरोना का वायरस मिला हो। उन्होने कहा कि मैं खुद रोज खाता हूं मुर्गा व अंडा आज भी खाया मैं बीमार नहीं हुआ।
*मुर्गे में नहीं है करोना*
*एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा* *का हो चुका पोल्ट्री इंडस्ट्री को नुकसान*
पोल्ट्री जानकारों की माने तो पिछले एक महीने में लगभग एक लाख करोड़ रूपए का नुकसान पोल्ट्री व्यापार करने वाले उठा चुके हैं। जबकि पूरे भारत में कहीं भी करोना का वायरस मुर्गे में नहीं पाया गया है। क्योंकि बायलर को बहुत साफ सफाई व कीटाणु रहित फार्म में पाला जाता है ।
*पोल्ट्री किसान लाखों के कर्ज में*
लखनऊ के अवध पोल्ट्री ऐशोशियेशन के अध्यक्ष मो. फिरोज शेख व उपाध्यक्ष युसुफ फुरकान, प्रवक्ता डाक्टर मुकेश बहादुर सिंह व संरक्षक मयंक रस्तोगी ने “हिन्द वतन समाचार” को बताया कि अफवाहों ने हमारे कारोबार को तबाह कर दिया है। इस बीच पशुपालन विभाग ने भी साफ किया है कि मुर्गा पूरी तरह से सुरक्षित है ।
*दो करोड़ से भी अधिक लोग हो सकते हैं बेरोजगार !*
समय रहते अगर सरकार ने इस बारे में कुछ नहीं किया तो करोड़ों लोग जो इस व्यवसाय से कमा खा रहे हैं, बेरोजगार हो जायेंगे। जबकि देश की अर्थव्यवस्था में पोल्ट्री का बहुत बड़ा योगदान रहता है । किन्तु सरकार की नजर पोल्ट्री की ओर बहुत कम जाती है, आखिर ऐसा क्यों ?
राकेश वर्मा बब्बू की रिपोर्ट…