भगवान विष्णु ने इस दिन लिया वराह अवतार

भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष तृतीया को भगवान विष्णु अपने तृतीय अवतार वराह के रूप में अवतरित हुए थे। इस दिन को वराह जयंती के रूप में मनाया जाता है। भगवान विष्णु ने हरिण्याक्ष का वध करने के उद्देश्य से वराह अवतार लिया। वराह अवतार भगवान विष्णु के दस अवतारों में से तृतीय अवतार हैं।

वराह भगवान का व्रत कल्याणकारी है। जो श्रद्धालु वराह भगवान के नाम से व्रत रखते हैं उनका सोया हुआ भाग्य जागृत हो जाता है। जो भक्त इस व्रत को रखते हैं उन्हें व्रत तिथि को संकल्प कर एक कलश में भगवान वराह की सोने की प्रतिमा स्थापित करना चाहिए। दैत्य हिरण्याक्ष ने जब पृथ्वी को ले जाकर समुद्र में छिपा दिया तब भगवान ब्रह्मा की नाक से भगवान विष्णु वराह रूप में प्रकट हुए। भगवान वराह ने पृथ्वी का पता लगा लिया और समुद्र के अंदर जाकर अपने दांतों पर पृथ्वी को रखकर वह बाहर ले आए। जब हिरण्याक्ष दैत्य ने यह देखा तो भगवान विष्णु से हिरण्याक्ष का भीषण युद्ध हुआ। अंत में भगवान वराह ने हिरण्याक्ष का वध कर दिया। इसके बाद भगवान वराह ने अपने खुरों से जल को स्तंभित कर उस पर पृथ्वी को स्थापित कर दिया।