लखनऊ को जलाने वाले 17 फरवरी को होंगे बेनकाब, उपद्रवियों पर कसेगा शिकंजा…
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध की आड़ में शहर में हिंसा और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में प्रशासन का उपद्रवियों पर शिकंजा कसता जा रहा है। हसनगंज में आगजनी और उपद्रव के मामले में अपर जिला मजिस्ट्रेट ट्रांसगोमती के उपद्रवियों से रिकवरी के आदेश के बाद अब एडीएम पूर्वी की कोर्ट परिर्वतन चौक पर हुए नुकसान की रिकवरी पर 17 फरवरी को फैसला दे सकती है।राजधानी में 19 दिसंबर को सीएए के विरोध के दौरान शहर में जबर्दस्त हिंसा और आगजनी हुई थी। उपद्रवियों ने करीब पांच घंटे शहर को बंधक बना रखा था। मेट्रो सहित परिवहन सेवाएं तक ठप कर दी गयी थी और प्रशासन ने इंटरनेट सेवाएं रोक दी थीं। परिवर्तन चौक पर हजारों प्रदर्शनकारियों ने हिंसा का सहारा लेते हुए पूरे इलाके में जबर्दस्त उत्पात मचाते हुए वाहनों को आग के हवाले कर दिया था। कई ओवी वैन भी आगजनी का शिकार हुई थी और पुलिस वाले भी चोटिल हुए थे। जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश के निर्देश पर प्रशासनिक टीम ने नुकसान का सर्वे किया जिसके मुताबिक परिवर्तन चौक पर ही 2.5 करोड़ की संपत्ति का नुकसान हुआ था। इस मामले में 46 उपद्रवियों के खिलाफ रिकवरी का नोटिस जारी हुआ था। सुनवाई और जवाब दाखिल होने के बाद एडीएम पूर्वी की कोर्ट में इस पर 17 को आदेश जारी करेगी। जाहिर है इससे उपद्रवियों की मुश्किलें बढ़ेंगी। हिंसा के तत्काल बाद ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रशासन से तोडफ़ोड़ और आगजनी में सार्वजनिक और निजी संपत्तियों के नुकसान की भरपाई आरोपियों से करने के निर्देश दिए थे। जाहिर है कि मुख्यमंत्री के तेवरों को देखते हुए ही अपर जिला मजिस्ट्रेट ट्रांसगोमती विश्वभूषण मिश्र ने दो माह के भीतर ही सुनवाई पूरी करते हुए कल 13 लोगों से करीब 22 लाख रुपये की रिकवरी का आदेश जारी किया था।विभिन्न संगठनों और पार्टियों द्वारा बुलाए गए विरोध प्रदर्शन के बहाने कई लोगों ने उपद्रव की साजिश भी रची थी। पश्चिम बंगाल से लेकर अलीगढ़ और दिल्ली तक से उपद्रवी लखनऊ में जमा हुए थे। इनमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी थी जो विभिन्न संगठनों के लिए काम करती हैं। परिवर्तन चौक पर करीब पांच-छह हजार की भीड़़ ने उग्र रूप लिया और हर तरफ हिंसा फैल गयी। पुलिस ने इस मामले में लखनऊ एक रिटायर आइपीएस सहित विभिन्न पार्टियों के कार्यकर्ताओं के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया था। पीएफआइ के जिलाध्यक्ष सहित कई पदाधिकारियों के खिलाफ हिंसा फैलाने पर मुकदमा दर्ज किया गया था। कोर्ट के फैसले का सबके ऊपर असर पड़ सकता है।
सुहेल मारूफ की रिपोर्ट…