जैसे मोदी की जीत का कारण “राहुल गाँधी” थे वैसे ही अरविंद केजरीवाल की…
जीत का कारण “मनोज तिवारी” हैं?
संघ के “आकलन” करने की क्षमता को आप ऐसे समझिए कि जब भाजपा के सारे नेता दिल्ली विधानसभा के चुनाव में 45-48 सीट पाने की भविष्यवाणी कर रहे थे तब ज़मीनी हकीकत भाँप कर RSS के भैय्याजी जोशी ने बयान दिया कि “BJP का विरोध करने का मतलब हिंदुओं के खिलाफ होना नहीं”
संघ नतीजे घोषित होने के बहुत पहले ही समझ गया था कि दिल्ली ने भाजपा को हरा दिया है , और भाजपा के विरोध में वोट दिए हिन्दू वोटरों को खुश करने के लिए भैय्या जी जोशी ने उनकी तरफ चारा फेंक दिया , अब केजरीवाल का समर्थन करने वाले दिल्ली के हिन्दू वोटरों के लिए संघ के लिए वही भाव रहेगा जो पहले रहा होगा।
संघ के हर बयान और रणनीति में “मनोविज्ञान” होता है , यदि आपने मनोविज्ञान पढ़ा और समझा है तो संघ के एक एक खेल को समझ जाएँगे। यह बहुत आसान है।
दिल्ली चुनाव में परिणाम लगभग आ चुके हैं , काँग्रेस के पास ना तो खोने के लिए कुछ था ना उसे पाने की कोई चाहत थी पर भाजपा एक प्रधानमंत्री , एक गृहमंत्री , 200 सांसद , सभी केन्द्रीय मंत्री , 6 मुख्यमंत्री का धुँआधार प्रचार कराकर भी यदि मात्र 7-8 सीट में सिमट जाती है तो उसके कारण क्या थे ?
मेरा आकलन है कि जैसे 2019 के लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी की जीत का कारण “राहुल गाँधी” थे वैसे ही दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की जीत का कारण “मनोज तिवारी” हैं।
जनता नेतृत्व चुनने के लिए तुलनात्मक अध्ययन करती ही है। डाक्टर हर्षवर्धन यदि भाजपा के लिए मुख्यमंत्री के घोषित उम्मीदवार होते तो निश्चित रूप से यह परिणाम तो नहीं ही होते।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…