निगम चुनाव : एल्डरमैन की शपथ के दौरान भाजपा पार्षदों ने लगाए ‘जय श्रीराम’ के नारे…
नई दिल्ली, 24 जनवरी। दिल्ली के मेयर, डिप्टी मेयर और स्थायी समिति के सदस्यों के चुनावों की प्रक्रिया एमसीडी के सिविक सेंटर में शुरू हो गई है। सबसे पहले 10 मनोनीत सदस्यों को शपथ दिलाई गई। आप नेताओं ने इसका विरोध किया और नारेबाजी की। उधर भाजपा नेता ने भी जय श्रीराम और भारत माता की जय के नारे लगाए।
आप ने महापौर पद के लिए शैली ओबेरॉय और भाजपा ने रेखा गुप्ता को मैदान में उतारा है। ऐसे में राजधानी को एक महिला मेयर मिलना तय है। निगम चुनाव के बाद सदन की पहली बैठक 6 जनवरी को हुई थी, लेकिन हंगामे के कारण मेयर का चुनाव नहीं हो पाया था। आज फिर वैसे ही हालात बनते नजर आ रहे हैं।
डीएमसी अधिनियम, 1957 (2022 में संशोधित) के अनुसार, नामांकित पार्षद और सदस्य शपथ ले रहे हैं। दरअसल, दिल्ली में मेयर पद के चुनाव रोटेशन के आधार पर 5 सिंगल ईयर की शर्तों पर होते हैं। पहला साल महिलाओं के लिए आरक्षित होता है। दूसरा ओपन कैटेगरी के लिए, तीसरा साल आरक्षित वर्ग के लिए और बचे हुए दो साल फिर से ओपन कैटेगरी के लिए आरक्षित होते हैं। इस तरह दिल्ली को इस साल एक महिला मेयर मिलेगी।
डिप्टी मेयर के लिए आप के उम्मीदवार आले मोहम्मद इकबाल उम्मीदवार हैं। आले मोहम्मद मटिया महल से विधायक शोएब इकबाल के बेटे हैं। मेयर के चुनाव में 273 मेंबर्स वोट डालेंगे। बहुमत के लिए 133 का आंकड़ा चाहिए। आप के पास 134 पार्षद हैं। इसके अलावा 3 राज्यसभा सांसद भी हैं। इस चुनाव में 250 पार्षदों के साथ 10 सांसद (7 लोकसभा सांसद और 3 राज्यसभा सांसद), 13 विधानसभा सदस्य वोट डालेंगे।
निगम का इतिहास
निगम अप्रैल, 1958 में अस्तित्व में आया था। इसने पुरानी दिल्ली में 1860 के दशक के ऐतिहासिक टाउन हॉल से अपनी यात्रा शुरू की थी और अप्रैल, 2010 में इसे सिविक सेंटर परिसर में ट्रांसफर कर दिया गया था। 1958 में फ्रीडम फाइटर अरुणा आसफ अली को मेयर चुना गया था। अली की फोटो अभी भी टाउन हॉल में पुराने नगरपालिका भवन के कमरों और सिविक सेंटर के कार्यालयों में लगी हुई हैं। शहर की एक प्रमुख सड़क का नाम भी उनके नाम पर रखा गया था।
2012 में बंटी निगम
लॉ स्कॉलर रजनी अब्बी 2011 में एमसीडी के तीन भागों में बंटने से पहले मेयर थीं। 2012 में निगम को तीन अलग-अलग नागरिक निकायों – उत्तर (104 वार्ड), दक्षिण (104 वार्ड) और पूर्वी (64 वार्ड) नगर निगमों में बांट दिया गया। इनमें से हर एक का अपना मेयर था। बीते साल तीनों का एकीकरण हुआ, जब केंद्र ने उन्हें एकजुट करने के लिए एक कानून लाया था। इसने वार्डों की कुल संख्या को 272 से घटाकर 250 कर दिया।
निगम चुनाव में चली झाड़ू
एकीकरण के बाद, निकाय चुनाव 4 दिसंबर को हुए और वोटों की गिनती 7 दिसंबर को हुई। आम आदमी पार्टी (आप) ने 134 वार्ड जीतकर चुनाव जीता और 15 साल से निगम में शासन कर रही भाजपा को हरा दिया। इस चुनाव में भाजपा को 104 वार्डों में जीतकर मिलीं, जबकि कांग्रेस सिर्फ नौ सीटों पर जीत हासिल कर सकी।
उत्तरी दिल्ली के पूर्व महापौर और भाजपा के वरिष्ठ नेता जय प्रकाश ने कहा कि यह दिल्ली के लोगों के लिए सौभाग्य की बात है कि अब फिर से पूरे शहर के लिए एक मेयर होगा। उन्होंने कहा कि अरुणा आसफ अली दिल्ली की पहली मेयर थीं, और रजनी अब्बी 2012 में एमसीडी के तीन हिस्सों में बंटने तक आखिरी मेयर थीं और 10 साल बाद फिर से कोई महिला मेयर होंगी, यह शहर के लिए सौभाग्य की बात है।
2011 में भाजपा की रजनी अब्बी जीती थीं चुनाव
अप्रैल 2011 में, तत्कालीन भाजपा उम्मीदवार रजनी अब्बी कांग्रेस की सविता शर्मा को 88 मतों से हराकर दिल्ली की मेयर चुनी गईं थीं। अब्बी तब दिल्ली विश्वविद्यालय के कानून की प्रोफेसर थीं और वर्तमान में विश्वविद्यालय के डीन के रूप में कार्यरत हैं।
2012 में मेयर के चुनाव
तीन हिस्सों में बंटने के बाद 2012 में तीनों निगमों – एनडीएमसी, एसदीएमसीऔर ईडीएमसीके लिए महापौर के चुनाव हुए। अप्रैल 2012 में, भाजपा की मीरा अग्रवाल को एमडीएमसी के मेयर के रूप में निर्विरोध चुना गया था, जबकि उनकी पार्टी के सहयोगी आजाद सिंह डिप्टी मेयर बने थे। मई 2012 में, अन्नपूर्णा मिश्रा सर्वसम्मति से पूर्वी दिल्ली की मेयर बनी, जबकि उनकी पार्टी की सहयोगी उषा शास्त्री को डिप्टी मेयर बनाया गया। भाजपा की सविता गुप्ता को दक्षिण दिल्ली के पहले मेयर के रूप में चुना गया था, जबकि BSP के बीर सिंह डिप्टी मेयर बने थे।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…