कड़ाके की ठंड पड़ रही है बे-घरों पर भारी : बेदी…

कड़ाके की ठंड पड़ रही है बे-घरों पर भारी : बेदी…

नई दिल्ली, 02 जनवरी। राजधानी दिल्ली में लगातार पड़ रही हाड़ कांप सर्दी बुजुर्गो और बच्चों के साथ-साथ बे-घर लोगों आफत बनकर टूट रही है। फुटपाथ तथा अन्य स्थानों पर खुले में सोने को मजबूर लोग बे-हाल है लेकिन राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार किसी को भी इन लोगों के हाल पर तरस नहीं आ रहा। आंकड़े बताते है कि मात्र एक माह के भीतर ही राजधानी दिल्ली में खुले आसमान के नीचे सोने वाले लोगों में से तकरीबन पौने दो सौ लोगों के शव लावारिस हालत में मिले है। जिनमे से ज्यातर लोगों की मौत सर्दी की चपेट में आने से हुई है। यह कहना है न्यू सीमा पुरी ब्लाक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के डेलिगेट वेद प्रकाश बेदी का। वेद प्रकाश बेदी कहते हैं इस मद के लिए हर साल करोड़ों रूपये का बजट होता है लेकिन सरकार जमीनी स्तर पर इस ओर कुछ नहीं कर रही परिणामस्वरूप राजधानी दिल्ली में औसतन आधा दर्जन लोग काल के ग्रास में समा जाते हैं। श्री बेदी कहते हैं चुनावों में अनाप शनाप वायदे करने वाले मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को भीषण पड़ रही ठंड में दिल्ली की सडकों पर सोने वाले लोगों के लिए स्थायी नहीं तो कम से कम अस्थाई व्यवस्था तो करनी चाहिए। दिल्ली सरकार की ओर से जिन रेन बसेरों की व्यवस्था की है उनका बुरा हाल है। उनमें बुनियादी सुविधाएँ तक नहीं है। वहां भी कुछ दबंगो ने स्थाई कब्जा जमाया हुआ है। ज्यादातर में क्षमता से ज्यादा लोग ठहरते हैं। अनेक लोग नशा करके वहां पहुंचते हैं जिनसे और लोगों को परेशानी होती है। दिल्ली सरकार बे-घरों के लिए कोई ठोस योजना बनाने में नाकाम साबित हो रही है। वेद प्रकाश बेदी कहते हैं अपने हर काम को वर्ल्ड लेवल का बताने वाली केजरीवाल सरकार के पास राजधानी दिल्ली में लाखों बे-घर लोगों के लिए कोई योजना नहीं है। आलम यह है की भीषण सर्दी हो या बरसात दिल्ली के बड़ी संख्या में लोग फ्लाई ओवरों के नीचे, रेलवे स्टेशनों के बाहर, बस अड्डों के बाहर तथा मन्दिरों के सामने, फुटपाथों पर जान हथेली पर रखकर सोने को मजबूर है।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…