बीजेपी कार्यालय पर खुद को आग लगाने वाले संविदा कर्मी की हुई मौत…
ठाकुरगंज पुलिस की सुस्ती हुई उजागर 5 दिन बीतने के बाद भी नही हुई कोई गिरफ्तारी…
लखनऊ । संवाददाता, 5 दिन पूर्व हजरतगंज में स्थित भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय के पास मकान मालिक की प्रताड़ना से तंग आकर आत्मदाह करने वाले 50 वर्षीय बिजली विभाग के संविदा कर्मी बलराम कुमार तिवारी आखिरकार जिंदगी की जंग हार गया और इलाज के दौरान उसकी किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में मौत हो गई । बड़ी बात यह है कि मकान मालिक की प्रताड़ना से बलराम कुमार तिवारी के द्वारा बीजेपी कार्यालय पर खुद को आग लगाने के बाद मामला गरमाया तो पुलिस ने मकान मालिक सहित 5 लोगों के खिलाफ मुकदमा तो दर्ज कर लिया लेकिन ताज्जुब की बात ये है कि घटना के 5 दिन गुज़र जाने के बाद ठाकुरगंज पुलिस एक भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकी । इंस्पेक्टर ठाकुरगंज विजय कुमार यादव का कहना है कि इस प्रकरण में भी कोई गिरफ्तारी नहीं हो सकी है गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं। आपको बता दें कि ठाकुरगंज थाना क्षेत्र अंतर्गत पुराना तोपखाना मोहल्ले में मनीष पाल के मकान में अपने 4 बच्चों और पत्नी सोनी तिवारी के साथ रहने वाले बिजली विभाग के संविदा कर्मी बलराम कुमार तिवारी ने 26 अगस्त को भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय में खुद को आग लगा ली थी 50% से ज्यादा झुलसे बलरामपुर को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां से उसे केजीएमयू रिफर कर दिया गया था जहां आज बलराम की मौत हो गई । घटना के दूसरे दिन बलराम तिवारी की पत्नी सोनी तिवारी की तहरीर पर मकान मालिक मनीष पाल सहित 5 लोगों के खिलाफ उसके पति को आत्महत्या के लिए प्रेरित करना का मुकदमा दर्ज किया गया था । बताया जा रहा है कि बलराम तिवारी अपने परिवार के साथ पिछले 6 महीनों से मनीष पाल के मकान में किराए पर रह रहा था उस पर कई महीनों का किराया बाकी हो गया था जिसकी वजह से मकान मालिक बकाया किराए को लेकर बलराम से अभद्रता गाली गलौच करता था। मकान मालिक ने ठाकुरगंज पुलिस से शिकायत की थी जिसके बाद आम्रपाली चौकी पर समझौता हुआ था। मृतक बलराम तिवारी की पत्नी का आरोप था कि मकान मालिक और उसके रिश्तेदार उसके पति को डरा धमका कर प्रताड़ित कर रहे थे और पुलिस ने भी उसके पति को डराया धमकाया था । सोनी तिवारी ने आरोप लगाया था कि आम्रपाली चौकी पर उसके पति को पुलिस के द्वारा मकान मालिक मनीष पाल के पक्ष में आकर धमकाया गया था । सवाल यही उठता है की बलराम तिवारी की जिंदगी पर मकान मालिक मनीष पाल की प्रताड़ना और पुलिस की अनदेखी का इतना असर क्यों हो गया कि उसने अपनी जिंदगी को दांव पर लगाकर आत्मदाह जैसा खतरनाक रास्ता चुना और वो मौत की नींद सो गया । क्यों पुलिस ने समय रहते इस प्रकरण को गंभीरता से नहीं लिया और पुलिस आर्थिक रूप से कमजोर किराएदार बलराम तिवारी की पीड़ा को नजरअंदाज करती रही । भले ही पुलिस ने मकान मालिक सहित पांचों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया लेकिन पुलिस के द्वारा अभी तक किसी भी आरोपी को गिरफ्तार न किया जाना भी ठाकुरगंज पुलिस की मुस्तैदी पर सवालिया निशान लगा रहा है।
हिन्द वतन समाचार” की रिपोर्ट…