देश के इतिहास का सबसे बड़ा न्यायिक फैसला…
अहमदाबाद सीरियल बम धमाकों के 38 दोषियों को मौत की सजा…
11 दोषियों को हुई उम्र कैद: धमाकों में 56 लोग मारे गए थे, 200 लोग घायल हुए थे…
लखनऊ/अहमदाबाद। गुजरात के अहमदाबाद शहर में हुए वर्ष 2008 में हुए सीरियल बम धमाकों के मामले में दोषियों को सजा सुना दी गई है। विशेष न्यायाधीश एआर पटेल की अदालत ने 49 अभियुक्तों में से 38 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई है, बाकी 11 दोषियों को उम्र कैद हुई है। बचाव पक्ष ने कम से कम सजा की अपील कोर्ट की थी। गौरतलब है कि अहमदाबाद विस्फोट मामले में सत्र न्यायालय के न्यायाधीश एआर पटेल ने 8 फरवरी को फैसला सुनाते हुए 49 आरोपियों को दोषी करार दिया था। अदालत ने 77 में से 28 आरोपियों को बरी कर दिया था।
बताते चलें कि साल 2008 में अहमदाबाद में सीरियल बम ब्लास्ट हुए थे। इस घटना में 56 लोगों की मौत हुई थी, साथ ही 200 लोग घायल हो गए थे। यह दिल दहला देने वाली घटना 26 जुलाई 2008 को घटी थी। सीरियल ब्लास्ट ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था, इन धमाकों की गूंज से हर कोई स्तब्ध था।
13 साल तक चली मामले की सुनवाई. . . . .
8 फरवरी को स्पेशल कोर्ट ने इन सभी को दोषी करार दिया था. जबकि 28 आरोपियों को बरी कर दिया था। इस मामले में स्पेशल कोर्ट में 13 साल से सुनवाई चल रही थी। सीरियल ब्लास्ट में 78 आरोपी थे, एक आरोपी बाद में सरकारी गवाह बन गया था। इस कारण कुल 77 आरोपी बन गए थे, 13 साल तक चली सुनवाई के दौरान 1,163 गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे. पुलिस और कानूनी एजेंसियों ने 6 हजार से ज्यादा सबूत पेश किए थे।
धमाकों के बाद मिले 29 जिंदा बम. . . . .
ब्लास्ट के बाद गुजरात की सूरत पुलिस ने 28 जुलाई और 31 जुलाई 2008 के बीच शहर के अलग-अलग इलाकों से 29 बम बरामद किए थे, जिनमें से 17 वराछा इलाके के और अन्य कतारगाम, महिधरपुरा और उमरा इलाके के थे। जांच में पता चला कि गलत सर्किट और डेटोनेटर की वजह से इन बमों में विस्फोट नहीं हो पाया था।
सतर मिनट में हुए थे इक्कीस धमाके. . . . .
26 जुलाई 2008 को अहमदाबाद में शाम 6 बजकर 45 मिनट पर पहला बम धमाका हुआ था। ये धमाका मणिनगर में हुआ था, मणिनगर उस समय के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का विधानसक्षा क्षेत्र था। इसके बाद 70 मिनट तक 20 और बम धमाके हुए थे, इन धमाकों में 56 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। ये बम धमाके इंडियन मुजाहिदीन ने 2002 में गोधरा कांड का बदला लेने के लिए किए थे।आतंकियों ने टिफिन में बम रखकर उसे साइकिल पर रख दिया था। भीड़ भाड़ और बाजार वाली जगहों पर ये धमाके हुए थे। इन धमाकों में इंडियन मुजाहिदीन और स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया से जुड़े आतंकी शामिल थे। धमाकों से 5 मिनट पहले आतंकियों ने न्यूज एजेंसियों को एक मेल भी किया था जिसमें लिखा था, ‘जो चाहो कर लो. रोक सकते हो तो रोक लो।’
19 दिन में पकड़े गए थे 30 आतंकी. . . . .
स्पेशल टीम ने महज 19 दिनों में 30 आतंकियों को पकड़कर जेल भेज दिया था। इसके बाद बाकी आतंकी देश के अलग-अलग शहरों से पकड़े जाते रहे। अहमदाबाद में हुए धमाकों से पहले इंडियन मुजाहिदीन की इसी टीम ने जयपुर और वाराणसी में भी धमाकों को अंजाम दिया था। देश के कई राज्यों की पुलिस इन्हें पकड़ने में लगी हुई थी, लेकिन ये एक के बाद एक ब्लास्ट करते चले गए। अहमदाबाद धमाकों के दूसरे दिन यानी 27 जुलाई को सूरत में भी सीरियल ब्लास्ट की कोशिश की गई थी, लेकिन टाइमर में गड़बड़ी की वजह से ये फट नहीं पाए थे। पहले 2 फरवरी को इस मामले में फैसला आना था, लेकिन स्पेशल कोर्ट के जज एआर पाटले कोरोना संक्रमित हो गए थे जिसके बाद इसे इज तक के लिए टाल दिया गया था। (18 फरवरी 2022)
विशेष संवाददाता विजय आनंद वर्मा की रिपोर्ट, , ,