अमेरिका लोकतंत्र को हथियार का रूप दे रहा : चीन ने बाइडन के सम्मेलन पर कहा…
बीजिंग, 09 दिसंबर। चीन ने बृहस्पतिवार को अमेरिका पर आरोप लगाया कि वह लोकतंत्र को हथियार का रूप दे रहा है। साथ ही, चीन ने इंटरनेट के भविष्य के लिए गठबंधन की बाइडन प्रशासन की पहल की आलोचना करते हुए कहा कि इसका लक्ष्य अमेरिका के साइबर वर्चस्व को कायम रखना है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन बृहस्पतिवार से लोकतंत्र सम्मेलन की मेजबानी कर रहे हैं, जिसका उद्देश्य सरकारों और नागरिक समाज के नेताओं को एक मंच पर लाना है। हालांकि, इसमें शामिल होने के लिए जिन देशों को न्योता दिया गया है उनमें चीन का नाम नहीं है।
चीन इस बात को लेकर नाराज है कि अमेरिका ने सम्मेलन के लिए ताईवान को न्योता दिया है। स्वशासित द्वीप ताईवान 9-10 दिसंबर को आयोजित सम्मेलन में आमंत्रित किये गये 110 देशों में शामिल है। चीन ताईवान पर अपनी मुख्य भूमि होने का दावा करता है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने यहां संवाददाता सम्मेलन में एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘यह साबित होता है कि अमेरिका लोकतंत्र का राजनीतिकरण कर रहा और इसे हथियार का रूप दे रहा है। ’’
यह सवाल, लोकतंत्र सम्मेलन में इंटरनेट के भविष्य के लिए गठबंधन के अमेरिकी प्रस्ताव को वाशिंगटन द्वारा आगे बढ़ाये जाने के बारे में किया गया था।
वांग ने कहा, ‘‘तथ्यों से पता चलता है कि लोकतंत्र के लिए तथाकथित सम्मेलन का लोकतंत्र को लेकर वैश्विक जन कल्याण से कोई लेना देना नहीं है बल्कि यह अमेरिका के स्वार्थ को पूरा करने तथा अमेरिकी वर्चस्व को कायम रखने के बारे में है।’’
एशिया-प्रशांत क्षेत्र से आमंत्रित किये गये देशों में भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, आस्ट्रेलिया, पाकिस्तान, मालदीव और फिलीपीन शामिल हैं।
सर्बिया सहित ज्यादातर यूरोपीय देशों को भी आमंत्रित किया गया है लेकिन बोस्निया और हर्जेगोविना या हंगरी को नहीं।
चीन सम्मलेन की यह कहते हुए आलोचना कर रहा है कि लोकतंत्र पर अमेरिका का एकाधिकार नहीं है और सम्मेलन का लक्ष्य विश्व को बांटना है।
वांग ने ‘इंटरनेट के भविष्य के लिए गठबंधन’ की भी आलोचना करते हुए कहा कि अमेरिका द्वारा प्रस्तावित इंटरनेट के लिए तथाकथित गठजोड़ इस बात का एक और उदाहरण है कि अमेरिका किस तरह प्रौद्योगिकीय एकाधिकार व साइबर वर्चस्व स्थापित करना चाहता है तथा अन्य देशों के प्रौद्योगिकीय विकास की अनदेखी करना चाहता है।
उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिका विशेष रूप से इंटरनेट के विकास में साझेदारों को चयनित करने के विकासशील देशों के अधिकार को छीनना और डिजिटल विकास एवं प्रौद्यागिकीय प्रगति का लाभ मिलने में बाधा डालना चाहता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिका टकराव पैदा कर रहा और इंटरनेट का विभाजन कर रहा। ’’
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…