अदालत ने टीटीएफआई के खिलाफ मनिका की याचिका पर केंद्र का पक्ष पूछा

अदालत ने टीटीएफआई के खिलाफ मनिका की याचिका पर केंद्र का पक्ष पूछा

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय शिविर में भाग नहीं लेने के कारण एशियाई टेबल टेनिस चैम्पियनशिप के लिये भारतीय टीम में जगह नहीं बना सकी मनिका बत्रा की याचिका पर सोमवार को केंद्र का पक्ष पूछा। भारतीय टेबल टेनिस संघ ने एशियाई चैम्पियनशिप में चुने जाने के लिये राष्ट्रीय शिविर में भाग लेना अनिवार्य किया था। जस्टिस

रेखा पल्ली ने केंद्र सरकार के वकील को दो दिन का समय दिया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि राष्ट्रीय कोच सौम्यदीप रॉय ने बत्रा पर एक मैच गंवाने का दबाव बनाया था ताकि उनकी निजी प्रशिक्षु ओलंपिक 2020 के लिये क्वालीफाई कर सके। बत्रा ने महासंघ के प्रबंधन की जांच का निर्देश भी खेल मंत्रालय को देने की मांग की है। जज ने कहा कि कोच के खिलाफ आरोप गंभीर है और केंद्र को सक्रियता दिखानी होगी। उन्होंने कहा ,‘‘ वह ऊंची रैंकिंग वाली खिलाड़ी है। अगर कोच के खिलाफ इस

तरह के गंभीर आरोप हैं तो केंद्र सरकार को थोड़ी सक्रियता दिखानी होगी। आखिरकार वह भारत की सर्वोच्च रैंकिंग वाली खिलाड़ी है।’’ बत्रा के वकील सचिन दत्ता ने कहा कि सारे मानदंडों पर खरी उतरने के बावजूद सिर्फ राष्ट्रीय शिविर में भाग नहीं लेने के कारण बत्रा को दोहा में सितंबर अक्टूबर में होने वाली एशियाई चैम्पियनशिप में खेलने का मौका नहीं दिया जा रहा। उन्होंने अदालत से इस नियम पर रोक लगाने की मांग की ताकि वह नवंबर में एक अन्य अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भाग ले सके।

उन्होंने कहा, नवंबर में एक और टूर्नामेंट है। इस नियम पर रोक लगनी चाहिये। इससे उसका कैरियर खत्म हो जायेगां ’’ महासंघ ने तमाम आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि राष्ट्रीय कोच शिविर में मौजूद ही नहीं है। राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता और खेल रत्न पुरस्कार प्राप्त बत्रा ने आरोप लगाया कि महासंघ की चयन प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है और उनकी तरह खिलाड़ियों को निशाना बनाया जा रहा है जो खेलों और खिलाड़ियों के हितों के विपरीत है।

मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी।

“हिन्द वतन समाचार” की रिपोर्ट