रिश्वतखोरी में 25 साल बाद जेल जाएगा पुलिस का सहायक उप निरीक्षक
नई दिल्ली, 16 सितंबर। भ्रष्टाचार के मामले में दिल्ली पुलिस के सहायक उप निरीक्षक राम नरेश तिवारी को करीब 25 साल बाद एक बार फिर से जेल जाना पड़ेगा। हाईकोर्ट ने 20 साल बाद निचली अदालत के फैसले को बहाल रखते हुए दोषी राम नरेश तिवारी की अपील को खारिज कर दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने तिवारी को सजा भुगतने के लिए जेल में आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया है।
वर्ष 1996 में रिश्वतखोरी के आरोप में गिरफ्तार गिए गए दिल्ली पुलिस के सहायक उप निरीक्षक राम नरेश तिवारी को निचली अदालत ने 25 अप्रैल 2001 को दोषी ठहराया था और इसके अगले दिन तीन साल कैद और आर्थिक दंड से दंडित किया था। इस मामले में हाईकोर्ट ने तिवारी की अपील को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए उसे जमानत दे दी थी। जस्टिस अनु मल्होत्रा ने करीब 20 साल बाद मामले फैसला देते हुए कहा है कि सीबीआई ने बिना किसी संदेश के आरोपी के दोष को साबित करने में पूरी तरह से सफल रहा है। उन्होंने तिवारी के उन दलीलों को सिरे से ठुकरा दिया जिसमें कहा था कि उसे सीबीआई से फर्जी मामले में फंसाया है।
हाईकोर्ट ने 64 पन्नों के फैसले में कहा है कि सीबीआई द्वारा पेश साक्ष्यों और गवाहों के बायानों को देखने से साफ पता चलता है कि निचली अदालत के फैसले में कोई खामी नहीं और इसमें हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है। यह टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने तिवारी की अपील खारिज कर दिया। साथ ही उन्हें जेल में आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया। सीबीआई का आरोप था कि दोषी राम नरेश तिवारी ने इस मामले के शिकायतकर्ता का एक आपराधिक मामले से नाम हटाने के लिए रिश्वत ली है। सीबीआई ने वर्ष 1996 में दोषी को 5 हजार रुपये रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
क्या था मामला : सीबीआई के अनुसार केशवपुर थाना के शांति नगर चौकी में 4 जून 1996 में बाल किशन अग्रवाल ने शिकायत दर्ज की कि उनकी बेटी का अपहरण कर लिया गया है। इस मामले में बाद में पता चला कि शिकायतकर्ता की बेटी ने अपने प्रेमी से शादी कर ली। इसके बाद दोनों पक्षों में समझौता हो गया और लड़की के पिता ने शादी को मंजूरी दे दी। सीबीआई का आरोप है कि इसके बाद भी चौकी में तैनात दिल्ली पुलिस के सहायक उप निरीक्षक राम नरेश तिवारी ने शिकायतकर्ता सुनील कुमार अग्रवाल को परेशान किया और किसी तरह की कार्रवाई नहीं करने के लिए उससे 10 हजार रुपये की मांग की। आरोपी है कि तिवारी ने 5 हजार रुपये सुनील से लिए भी। सुनील की शिकायत पर ही मामले की जांच कर सीबीआई ने तिवारी को गिरफ्तार किया।
-जून 1996 में रिश्वत लेने का आरोप
-विचारराधीन कैदी के तौर पर 16 दिन जेल में रहा है तिवारी
-25 अप्रैल 2001 को निचली अदालत ने दोषी ठहराया
-26 अप्रैल 2001 को भ्रष्टाचार व अन्य आरोपों में 3 साल कैद की सजा और जुर्माना
-मई 2001 में हाईकोर्ट ने सजा स्थगित कर जमानत दे दी थी
”हिन्द वतन” समाचार की रिपोर्ट