इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं रियल-एस्टेट में करियर…
समय के साथ तरक्की के नए रास्ते खुलते जा रहे हैं और इनमें इंफ्रास्ट्रक्चर एवं रियल एस्टेट का बहुत बड़ा योगदान है। हर तरह की उन्नति को हम इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं रियल एस्टेट से जोड़ सकते हैं। देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं रियल एस्टेट का क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है। हमारे चारों ओर सीमेंट-क्रांकीट के जंगल खड़े हो रहे हैं। इन्फ्रास्ट्रक्चर और रियल एस्टेट के बढ़ने से इसमें युवाओं के लिए करियर की संभावनाएं भी बढ़ी हैं।
यह क्षेत्र चुनौतियों के साथ-साथ भरपूर आर्थिक संभावनाओं वाला क्षेत्र भी है। इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए उन सभी गुणों और कौशल की आवश्यकता होती है जो की एक बिजनेस स्थापित करने के लिए ज़रूरी होते हैं। इस क्षेत्र को बिजनेस के रूप में अपनाने वाले युवा 12वीं पास करने के बाद युवा दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से इसका कोर्स कर सकते हैं। इंजीनियरिंग कॉलेजों से सिविल अथवा कंस्ट्रक्शन इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर इस क्षेत्र में जॉब किया जा सकता है। सेल्स एवं मार्केटिंग क्षेत्र में करियर के लिए एमबीए किया जा सकता है। रियल एस्टेट के कारोबार से जुड़ी कंपनियों में कार्य के आधार पर आप सेल्स मैनेजर, सेल्स एक्जीक्यूटिव, कंस्ट्रक्शन एक्जीक्यूटिव जैसे पदों पर कार्य कर सकते हैं।
चरणबद्ध प्रक्रिया
साधारणतः छात्र 12वीं के उपरान्त दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से इस क्षेत्र में कोर्स करते हैं यदि उन्हें अपना रियल-एस्टेट बिजनेस चलाना हो. परन्तु तकनीकी ज्ञान प्राप्त कर इस क्षेत्र में जॉब करने के लिए आपको देश भर में फैले इंजीनिअरिंग कॉलेजों से सिविल अथवा कंस्ट्रक्शन इंजीनिअरिंग में डिग्री लेनी होगी. तकनीक से जुड़ी नौकरियों के अलावा इस क्षेत्र में आप सेल्स और मार्केटिंग अथवाइंटरनेश्नल रिलेशंस में एमबीए करके या बिजनेस कम्युनिकेशंस में डिग्री प्राप्त कर किसी कंस्ट्रक्शन कम्पनी के साथ अपने करियर की शुरूआत कर सकते हैं. विभिन्न कंपनियों के कार्य के आधार पर आप सेल्स मैनेजर, सेल्स एग्जीक्यूटिव, कंस्ट्रक्शन एग्जीक्यूटिव जैसे पदों से शुरूआत कर सकते हैं.
यहाँ आपको निम्न क्षेत्रों का ज्ञान होना भी ज़रूरी है:
-बिल्डिंग और कंस्ट्रक्शन से जुड़े तकनीकी पहलू
-विभिन्न क्षेत्रों में घर/प्लॉट/ज़मीनों के बाज़ार भाव व इनसे जुड़ी ख़बरों पर नज़र रखना
-विभिन्न कम्पनियों के स्टॉक और शेयर पर नज़र रखना
-ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए मार्केटिंग, सेलिंग व प्राइसिंग रणनीतियों का ज्ञान
-शेयर होल्डर्स और खरीददारों का बड़ा नेटवर्क
यदि आप इन विषयों में अपनी तैयारी पक्की रखते हैं तो आप अपने लिए इस क्षेत्र में एक विशेष जगह बना सकते हैं.
पदार्पण
यदि आप खुद का रियल-एस्टेट बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो अपने रिस्क पर अपने बनाए गए कोंटेक्ट्स के ज़रिये आप बाज़ार से कच्चा माल व मजदूर प्राप्त कर सकते हैं. आपके व्यापार के आकार के आधार पर बैंक भी आपको लोन दे सकता है. अन्यथा आप सिविल इंजीनिअरिंग में डिग्री लेकर नौकरी भी कर सकते हैं.
क्या यह मेरे लिए सही करियर है?
यदि आपमें ज्यादा पैसा कमाने की इच्छा और लगन है और यदि आप 24 घंटे सातों दिन कठिन परिश्रम करते हुए बिल्डर्स, कंसल्टेंट्स, मजदूर एवं साईट मैनेजर की टीम को मार्गदर्शन दे सकते हैं तो इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं रियल-एस्टेट का क्षेत्र आपके लिए है.
एक बिल्डर के तौर पर आपको सीमेंट, चूना मसाला, ईंट एवं अन्य कच्चा सामान खरीदकर मजदूरों और आर्कीटेक्ट को तय करना होता है. बिल्डर का कार्य पुरानी, गिरवी रखी हुई तथा वाद-विवाद वाली ज़मीन, प्लॉट अथवा घर को कानूनी तौर पर सही बनाकर उसे बेचने योग्य बनाना भी होता है. अब अगला कदम आता है प्रोपर्टी को बेचना जिसके लिए आपको एक अच्छा समन्वयक होना ज़रूरी है.
हालांकि आपको शुरूआत में यह एक कठिन कार्य लगेगा परन्तु दीर्घकालीन दृष्टि से देखने पर यह आपके लिए किसी भी और प्रोफेशन से ज्यादा पैसे कमाने वाला प्रोफेशन साबित होगा. विशेषकर भारत में जहां इण्डिया प्रोपर्टी डोट कॉम, 99 एकड़ डोट कॉम और इण्डिया हाउसिंग डोट कॉम जैसी वेबसाईट सारे देश में प्रोपर्टी खरीदने और बेचने की सुविधा प्रदान कर रही हैं. ये वेबसाइट्स खरीदने वाले और बेचने वाले के बीच माध्यम बनकर प्रक्रिया को सरल बना देती हैं. बिजनेस को बढ़ाने का एक और माध्यम है- समाचार-पत्रों में विज्ञापन देना.
खर्चा कितना होगा?
अपने राज्य के किसी प्राइवेट संस्थान से सिविल इंजीनिअरिंग डिग्री करने पर 60,000 से लेकर 1 लाख रूपये तक वार्षिक खर्चा होगा. परन्तु यदि आप राष्ट्रीय स्तर की किसी प्रवेश परीक्षा को उत्तीर्ण कर आईआईटी या दिल्ली कॉलेज ऑफ़ इंजीनिअरिंग जैसे किसी संस्थान में दाखिला लेते हैं तो फीस अलग होगी. आपके पास सेल्स एंड मार्केटिंग में एमबीए कर रियल-एस्टेट एजेंसी में नौकरी करने का विकल्प भी है.
छात्रवृत्ति
यदि आप बैंक से लोन लेने के इच्छुक हैं तो स्टेट बैंक ऑफ़ इण्डिया से बेहतर विकल्प कोई नहीं है जोकि आपको 7.5 लाख तक का लोन देता है. चूंकि यह एक राष्ट्रीयकृत बैंक है इसलिए क़र्ज़ चुकाने के तरीके भी सुरक्षित हैं.
रोज़गार के अवसर
इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं रियल-एस्टेट क्षेत्र में सेल्स एग्जीक्यूटिव, प्रोपर्टी मैनेजर, एस्टेट मैनेजर, आईटी मैनेजर- रियल एस्टेट और प्रोफ़ेसर जैसे पद आपको प्राप्त हो सकते हैं. ये वेबसाइट्स तकनीकी क्षेत्र में कई अवसर उपलब्ध कराती हैं. यदि आप सिविल इंजीनियर या एक आर्कीटेक्ट हैं तो भी आप कंस्ट्रक्शन टीम का भाग बन सकते हैं. अन्य फील्ड सेल्स की नौकरियों की तुलना में निर्माण क्षेत्र की जॉब ज्यादा थकाऊ होती है. दूसरी ओर, इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में आते हैं– सिविल इंजीनियर, इन्फ्रास्ट्रक्चर मैनेजर, स्टोर या वेयरहाउस मैनेजर तथा इन्वेंटरी एग्जीक्यूटिव्स.
वेतनमान
बिजनेस लाने की मात्रा के आधार पर एक रियल-एस्टेट सेल्स एग्जीक्युटिव का शुरूआती मासिक वेतन 15000 से 50000 तक जा सकता है. यदि आप किसी बैंक अथवा प्राइवेट फाइनेंस कंपनी के रिअल्टी या मोर्टगेज डिपार्टमेंट में कमीशन बेस पर काम करते हैं तो व्यापारिक संबंध बनाने के अनुपात में आप असीमित आय प्राप्त कर सकते हैं. सिविल इंजीनियर के तौर पर आप अग्रणी कंपनियों में 20 से 25 हज़ार मासिक वेतन के साथ स्ट्रक्चर मैनेजर के पद से शुरूआत कर सकते हैं.
मांग एवं आपूर्ति
आईटी, इलेक्ट्रोनिक्स और टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियर की तुलना में सिविल इंजीनियर की मांग हालांकि कम है परन्तु एक बार इन कंपनियों में लग जाने पर आप बहुत अच्छा सेलेरी पैकेज प्राप्त कर सकते हैं तथा आपको जापान जैसे देशों की यात्रा करने का मौका भी मिल सकता है. इन्फ्रास्ट्रक्चर मार्केटिंग और इंजीनिअरिंग में नयी तकनीकों एवं मशीनों की खरीददारी करना भी समाहित होता है. इस क्षेत्र में मांग की तुलना में इंजीनियर्स की आपूर्ति ज्यादा है.
सकारात्मक/नकारात्मक पहलू
सकारत्मक
-इस क्षेत्र का बहुत तेज़ गति से तकनीकी विकास होने कारण जॉब की संभावनाएं बढ़ गयी हैं.
-कमाई के अवसर सभी रियल-एस्टेट प्रोफेशनल्स के लिए हैं चाहे वह बिल्डर, कन्स्ट्रक्टर, सेल्स मैनेजर हो या इंजीनियर. आपको चाहिए तो बस सेलिंग व रिलेशनशिप मैनेजमेंट स्किल.
नकारात्मक
-इस क्षेत्र में बहुत उतार-चढ़ाव होते हैं. 2009 की मंदी में ही बहुत सारे रियल-एस्टेट प्रोफेशनल कंगाल हो गए थे.
-यह एक जोखिम वाला कार्य है चूंकि इसमें बहुत बड़े तौर पर आर्थिक निवेश करना होता है तथा ज़्यादा यात्राएं करनी पड़ सकती हैं. यदि आपने शेयर या स्टॉक मार्केट में निवेश किया होता है तो बाज़ार के उतार-चढ़ाव की वजह से रिस्क और बढ़ जाता है.
भूमिका और पदनाम
रिअल-एस्टेट का अर्थ होता है घर या ऑफिस के लिए संपत्तियों का निर्माण करना. दूसरी ओर, आधारभूत संरचना के व्यापार में निहित होता है- बड़े पुल, मार्ग और आईटी पार्क विकसित करना. दोनों प्रकार के बिजनेस जिन कर्मचारियों की नियुक्ति करते हैं उन सभी को हालांकि एक ही प्रकार के कार्य सौंपे जाते हैं परन्तु उनका कार्य-क्षेत्र छोटा या बड़ा हो सकता है. रिअल-एस्टेट इंडस्ट्री में सेल्स-मैनेजर ठीक उसी प्रकार से संपत्तियां बेचकर अपनी कंपनी के लिए बिजनेस लाता है जिस प्रकार एक बैंक का सेल्स मैनेजर लोन, म्यूचुअल फंड अथवा क्रेडिट कार्ड बेचता है. इस उद्योग की बाज़ार में एक अलग जगह है और यह क्षेत्र दूसरे कई उद्योगों की तुलना में ज़्यादा वेतन देता है खासकर इंजीनियर व सेल्स अफसरों को.
अग्रणी कम्पनिया
भारत की टॉप-टेन रियल-एस्टेट कम्पनियाँ हैं:
-अम्बुजा रिअल्टी ग्रुप
-डीएलएफ बिल्डिंग
-सन सिटी प्रोजेक्ट्स
-मर्लिन ग्रुप्स
-मैजिक ब्रिक्स
-घर4यू
-एनके रिअल्टर
-99एकर्स
-मित्तल बिल्डर्स
-के रहेजा कन्स्ट्रक्टर
रोज़गार प्राप्त करने के लिए सुझाव
किसी रिअल-एस्टेट फर्म में इंजीनियर या सेल्स के पद के लिए साक्षात्कार देते समय निम्न बातों का ध्यान रखें:
-अपने मित्र, जान-पहचान वालों की लिस्ट हमेशा साथ रखें जिनके आधार पर आप कंपनी के लिए बिजनेस ला सकते हैं.
-नयी तकनीकों व कंस्ट्रक्शन कम्पनियों के बारे में अपने आपको अपडेट रखें. अपने भावी नियोक्ता को बताएं कि आपको बाज़ार की कीमतों व आने वाली नई तकनीकों के बारे में ज्ञान है .
-अच्छी अंग्रेज़ी बोलें तथा सभ्य ड्रेस पहनकर जाएँ चूंकि प्रजेंटेशन इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है चाहे वह सेल्स प्रोफेशनल हों या इंजीनियरिंग प्रोफेशनल.
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…