ईडी निदेशक संजय मिश्रा के सेवा विस्तार को चुनौती वाली याचिका खारिज

ईडी निदेशक संजय मिश्रा के सेवा विस्तार को चुनौती वाली याचिका खारिज

नई दिल्ली, 08 सितंबर। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी निदेशक संजय मिश्रा को मिले 1 साल के सेवा विस्तार को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार को सेवा विस्तार का अधिकार है लेकिन यह बहुत जरूरी मामलों में ही होना चाहिए। कोर्ट ने कहा था सेवा विस्तार सीमित समय के लिए होना चाहिए।

जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि ईडी निदेशक को अब आगे सेवा विस्तार न दिया जाए। इसका मतलब है कि संजय मिश्रा का कार्यकाल नवंबर में खत्म होने के बाद आगे सेवा विस्तार नहीं मिलेगा।

18 अगस्त को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि नियमों में नहीं लिखा है कि कार्यकाल तीन साल नहीं हो सकता है। ईडी निदेशक के हटने से कई संवेदनशील जांच पर असर पड़ सकता है। 17 अगस्त को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ईडी के डायरेक्टर के काम सराहनीय हैं लेकिन वो ये जरूर देखेगा कि उनका कार्यकाल बढ़ाया जा सकता था कि नहीं। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा था कि ईडी के डायरेक्टर का सेवा विस्तार प्रकाश सिंह के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का मजाक है।

सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने संजय कुमार मिश्रा के सेवा विस्तार के फैसले का समर्थन करते हुए कहा था कि पिछले दो वर्षों में तीन बड़े केसों में नौ हजार करोड़ रुपये जमा किए गए। ये तीनों मामले विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा था कि ईडी डायरेक्टर का न्यूनतम कार्यकाल दो वर्षों का होता है लेकिन अच्छी वजहों से ये बढ़ाई जा सकती है।

ईडी के निदेशक का सेवा विस्तार के फैसले का विरोध करते हुए दुष्यंत दवे ने विनीत नारायण के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार 2019 के आदेश को संशोधित करती है और सेवा विस्तार की अवधि को दो वर्ष से बढ़ाकर तीन वर्ष करती है। इसके बावजूद मई 2020 में रिटायर होनेवाले अधिकारी को 2021 तक फिर से नियुक्त किया जाता है। उन्होंने पूछा कि क्या सरकार नियमों और संवैधानिक जनादेश का उल्लंघन कर सकती है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार प्रकाश सिंह बनाम केंद्र सरकार और अन्य के केस में दिए गए दिशानिर्देशों से बाध्य है और सेवा विस्तार आगे नहीं दिया जा सकता।

एनजीओ कॉमन कॉज ने याचिका दाखिल कर कहा है कि मिश्रा का कार्यकाल 19 नवंबर 2020 को पूरा हो चुका है। याचिका में कहा गया है कि सेंट्रल विजिलेंस कमीशन एक्ट की धारा 25 के तहत ईडी के निदेशक पद पर एडिशनल सेक्रेट्री या ऊंचे रैंक का अफसर नियुक्त हो सकता है। रिटायर हो चुके मिश्रा को सेवा विस्तार देना नियम विरुद्ध है। मिश्रा को 19 नवंबर 2018 में ईडी का डायरेक्टर नियुक्त किया गया था। केंद्र सरकार ने 13 नवंबर 2020 को एक साल का सेवा विस्तार दे दिया था। याचिका में मांग की गई है कि ईडी के डायरेक्टर की नियुक्ति में पारदर्शिता बरती जाए। ईडी के डायरेक्टर की दो साल के लिए नियुक्ति के पीछे वजह ये है कि उसे कोई प्रभावित नहीं कर सके। लेकिन इस सेवा विस्तार के लिए ईडी की धारा 25(डी) का उल्लंघन किया गया है।