सुप्रीम कोर्ट ने कहा- बॉम्बे हाईकाेर्ट के फैसले का अर्थ यह कि…
काेई दस्ताने पहनकर शाेषण करे ताे अपराध नहीं, ये अपमानजनक…
बच्चों की यौन-प्रताड़ना मामले में दिए गए बॉम्बे हाईकोर्ट के एक फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने अपमानजनक बताया है। हाईकोर्ट ने कहा था कि त्वचा का त्वचा से संपर्क हुए बिना बच्ची (पीड़ित) से की गई यौन-छेड़छाड़ पॉक्सो के तहत अपराध नहीं है। इस पर शीर्ष अदालत ने कहा, ‘इसका अर्थ तो यह हुआ कि कोई दस्ताने पहनकर बच्चों का शोषण कर सकता है। फिर इस दलील के आधार पर अपराधमुक्त हो सकता है कि उसने स्किन टू स्किन कॉन्टेक्ट नहीं किया।’
जस्टिस यूयू ललित और अजय रस्तोगी की बेंच ने इस मामले में दायर याचिकाओं पर सुनवाई की। बेंच ने कहा, ‘हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार तो बच्चों के कपड़ों को बिना हटाए उन्हें छूना यौन शोषण की श्रेणी में नहीं आएगा। इस तरह कोई भी अपराधी अपराध करने के बाद हाईकोर्ट के फैसले का उदाहरण देने लगेगा।’ यूथ बार एसोसिएशन, अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल व अन्य की ओर से इस मामले में याचिकाएं दायर की गई हैं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसले पर रोक लगा दी थी।
याचिकाकर्ताओं ने दलील दी है कि बाॅम्बे हाईकोर्ट का फैसला पूरी तरह गलत है। इसीलिए उन्हें याचिका दायर करने पर मजबूर होना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट को यौन अपराध की परिभाषा बेहतर तरीके से स्पष्ट करनी चाहिए। खासकर इस तथ्य के मद्देनजर कि देशभर में पिछले एक साल में 43 हजार बच्चों के साथ यौन शोषण के मामले दर्ज किए गए हैं।
आराेपी के लिए वकील की नियुक्ति का निर्देश, अगली सुनवाई 14 को
इस मामले में आरोपी की ओर से मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कोई वकील पेश नहीं हुआ। इस पर बेंच ने विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिया कि वह आरोपी की ओर से एक वकील की नियुक्ति करे। इसके बाद मामले की सुनवाई 14 सितंबर तक टाल दी।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट