खाकी से बदला लेने की कोशिश, सीसीटीवी से सच आया सामने…

खाकी से बदला लेने की कोशिश, सीसीटीवी से सच आया सामने…

अलीगढ़, 07 अगस्त। आएदिन खाकी पर बदनामी का ठीकरा फूटता रहता है, लेकिन हर बार खाकी गलत नहीं होती। कैंपस के झगड़े में कुछ लोगों ने दारोगा के साथ ऐसा ही किया। हुआ यूं कि एक युवती की सिफारिश लेकर युवक दारोगा के पास आया था। युवती की गलती निकली तो दारोगा ने कार्रवाई कर दी। बस, यही बात युवक को अच्छी नहीं लगी। अब संयोग की बात है कि कैंपस में झगड़ा होने से कुछ देर पहले तक दारोगा वहां मौजूद थे। इसी बात का फायदा उठाकर युवक ने बदला लेने के लिए दारोगा को कठघरे में खड़ा कर दिया। कहा, दारोगा के साथ खड़े युवकों ने फायरिंग की, जिसमें एक को गोली लगी। युवक की हिमाकत देखिए, गलती भी की और दारोगा को गवाह बनाने की कोशिश करने लगा,चेतावनी भी दे डाली। सीसीटीवी में दारोगा मौके पर नहीं दिखे तो कुछ हद तक सच सामने आया। हालांकि, जांच अभी जारी है।

शहर का बस स्टैंड देह व्यापार के लिए शुरू से ही बदनाम रहा है। फिलहाल यहां गनीमत है, लेकिन शहर से सटे इलाकों में यह व्यापार खूब जोरों पर चल रहा है। नए बने थाना क्षेत्र की बात करें तो हालात इतने बदतर हैं कि बहन-बेटियों का रास्ते से निकलना भी दूभर हो गया है। होटल तो एक तरफ हैं, कई मकानों में भी धड़ल्ले से यह व्यापार चलता है। इलाके की पुलिस को इसकी पूरी जानकारी रहती है, लेकिन कार्रवाई करने से घबराती है। सिर्फ खानापूर्ति के लिए अधिकारियों के आदेश के अनुपालन में एक-आध बार छापेमारी हो जाती है, मगर गंभीरता से कभी इस ओर ध्यान नहीं दिया जाता। होटल में बिना सत्यापन के कोई भी ठहर जाता है। कई मामलों में ये वजह ही बड़े अपराध का कारण भी बनती है। आखिर क्यों पुलिस इस व्यापार पर नकेल कसकर जनता को स्वच्छ माहौल उपलब्ध नहीं करा पाती?

देर से सही, शहर की ध्वस्त पड़ी यातायात व्यवस्था को सुधारने की कवायद शुरू हो गई है। इस अव्यवस्था के दो बड़े कारण हैं। पहला शहर में घूमने वाली टिर्रियां, दूसरा अवैध पार्किंग। मुख्य बाजार हो या तंग गलियां, टिर्रियां कहीं भी घुसकर जाम का कारण बन जाती हैं। इनके लिए कई बार रंग और रूट निर्धारित किए गए हैं, लेकिन कभी गौर नहीं किया गया। सवाल है कि आखिर किसकी शह पर टिर्री चालक इतनी मनमानी कर लेते हैं। दूसरा सड़क पर कहीं भी आड़े-तिरछे वाहन खड़े दिख जाते हैं। किसी ने सड़क पर ही कब्जा करके अपना निजी पार्किंग बना लिया है, तो कई सरकारी दफ्तरों में भी बेतरतीब तरीके से वाहनों को खड़ा करने से नहीं घबराते। पहले पुलिस की भी मजबूरी हो सकती थी, लेकिन अब तो शहर में ट्रैफिक लाइन भी बन गई है, तो अनावश्यक वाहनों पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है?

प्रहार, आवारा, निहत्था, ब्लैक कैट, तिकड़ी के बाद जिले में अब नया आपरेशन साइलेंस शुरू हो गया है। शुरुआत जबरदस्त है। अधिकारी खुद सड़क पर उतरकर लोगों को समझा रहे हैं और कार्रवाई भी कर रहे हैं। जनता के लिए यह अभियान अच्छा है, लेकिन निचले स्तर के पुलिकर्मियों को इसे बरकरार रखना होगा। दूसरी तरफ आपरेशन आवारा का असर अब फीका पड़ता जा रहा है। लोग सड़कों पर जाम छलकाने से पीछे नहीं हट रहे हैं। थाना क्षेत्रों में कुछ दिनों तक सख्ती दिखाई गई थी, मगर फिर से पुरानी नीति अपना ली गई है। हालात ये हैं कि पुलिस की गाड़ी आती है तो लोग हट जाते हैं, लेकिन गाड़ी जाते ही फिर से जाम छलकने लगते हैं। अगर वाकई पुलिस को आवाराओं पर नकेल कसनी है तो तगड़ी कार्रवाई भी करनी होगी। कोई अभियान तभी सफल हो सकता है, जब उसकी सख्ती शुरुआत की तरह बनी रहे।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…