बच्चों के पोषण स्तर के सुधार के लिए शुरू हुआ वजन सप्ताह…

बच्चों के पोषण स्तर के सुधार के लिए शुरू हुआ वजन सप्ताह…

0-5 वर्ष के बच्चों हेतु 24 जून तक 1564 आंगनवाड़ी केंद्रों पर मनाया जाएगा वजन सप्ताह…

इटावा:- जनपद में गुरुवार से पोषण स्तर में सुधार करने हेतु कुपोषित बच्चों की पहचान के लिए वजन सप्ताह मनाया जा रहा है |देश को सशक्त बनाने के लिए सरकार ने नौनिहालों के पोषण स्तर पर विशेष ध्यान दिया है, इसलिए वजन सप्ताह के द्वारा कुपोषण की सबसे गंभीर श्रेणी में सैम,मैम बच्चों को चिन्हित कर चिकित्सीय उपचार,परामर्श और उचित निर्देशन पोषित करना यही हमारा उदेश्य है,यह कहना है जिला कार्यक्रम अधिकारी सुरेश चंद्र यादव का।
जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया जनपद में ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में कुल 1564 आंगनवाड़ी केंद्र है, सभी केंद्रों पर वजन सप्ताह 24 जून तक मनाया जाएगा। उन्होंने बताया कोविड गतिविधियों में आंगनवाड़ी की व्यस्तता होने के कारण उनकी कार्य योजना में समन्वय स्थापित कर अलग-अलग दिन जनपद के सभी आंगनवाड़ी केंद्रों पर कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए वजन सप्ताह मनाया जाएगा।
मुख्य सेविका अंजू शर्मा ने बताया 1 जुलाई से 2 अक्टूबर के मध्य जनपद में “संभव पोषण संवर्धन की ओर एक कदम” नाम से यह अभियान चलाया जाएगा |इस दौरान वजन सप्ताह में चिन्हित किए गए सैम,मैम, गंभीर कम वजन बच्चों के लिए सघन समुदायिक गतिविधियां जैसे सप्ताहिक गृह भ्रमण स्वास्थ्य जांच, चिकित्सीय उपचार और कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र डॉ भीमराव अंबेडकर जिला चिकित्सालय में भेजकर इलाज किया जाएगा। उन्होंने बताया कि कुपोषित व अतिकुपोषित बच्चों को चिन्हित कर उन्हें इस श्रेणी से बाहर लाने के लिए अभिभावकों को इसके महत्व के विषय व पोषक आहार देने के लिए आंगनवाड़ी द्वारा उचित मार्गदर्शन भी प्रदान किया जाएगा।
इटावा शहर के आलमपुरा द्वितीय आंगनवाड़ी केंद्र पर आंगनवाड़ी मधुलता ने गुरूवार को 36 बच्चों का वजन लिया जिसमें 3 बच्चे अति कुपोषित (सैम) और 7 बच्चे कुपोषित (मैम) की श्रेणी में पाए गए । सराय शेख आंगनवाड़ी केंद्र पर आंगनवाड़ी साधना गुप्ता ने 34 बच्चों का वजन लिया जिसमें तीन बच्चे सैम और 6 बच्चे मैम श्रेणी में पाए गए। आंगनवाड़ी ने बच्चों की माताओं को उनकी देखरेख व चिकित्सीय उपचार और पोषण संबंधित विस्तार पूर्वक मार्गदर्शन किया और बताया उम्र के हिसाब बच्चों का वजन कम ज्यादा हो सकता है। लेकिन कुपोषित होने के कारण बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और इस वजह से बच्चों को कई प्रकार के रोगों का खतरा बना रहता है,और बच्चे धीरे-धीरे कमजोर हो जाते हैं। इसलिए पौष्टिक आहार और उचित चिकित्सीय उपचार द्वारा बच्चों को पुनः स्वस्थ बनाया जा सकता है।

पत्रकार नितेश प्रताप सिंह की रिपोर्ट…