ममता से मुलाकात पर टिकैत बोले…
क्या अफगानिस्तान के राष्ट्रपति से मिला, जो सरकार से अनुमति लेनी पड़ेगी…
लखनऊ, 10 जून। मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 6 महीनों से दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन जारी है। इस बीच भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बुधवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से कोलकाता में मुलाकात की। इस मुलाकात पर जब सवाल उठे, तो राकेश टिकैत भड़क गए। पत्रकारों ने गुरुवार को जब उनसे मुलाकात को लेकर सवाल किए, तो टिकैत ने कहा कि मैं मुख्यमंत्री से मिला न कि पार्टी प्रमुख से। क्या मैं अफगानिस्तान के राष्ट्रपति से मिला, जो भारत सरकार से अनुमति लेनी पड़ेगी। देश के अंदर मुख्यमंत्री से मिलने के लिए वीजा लगता है क्या?
टिकैत ने आगे कहा कि क्या मैं किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष से मिला? पश्चिम बंगाल तो हिंदुस्तान का ही स्टेट है। वो (ममता बनर्जी) चुनी हुई मुख्यमंत्री हैं। देश के अंदर मुख्यमंत्री से मिलने के लिए वीजा लगता है? या हम किसी मुख्यमंत्री से नहीं मिल सकते? राकेश टिकैत ने कहा कि हम स्टेट की पॉलिसी को लेकर सभी मुख्यमंत्रियों से मिलेंगे। उत्तराखंड में भाजपा और पंजाब में कांग्रेस की सरकार है, हम उनसे भी मिलेंगे। हम तो अरविंद केजरीवाल से भी मिले। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार है, हम उनसे भी 6-7 बार मिले। अखिलेश यादव से अब तक नहीं मिले।
राकेश ने कहा कि चुनाव आएगा तो हमारी भूमिका रहेगी। हम चुनाव में कहेंगे कि इन्हें वोट न दो। भाजपा ने देश का नुकसान किया है। देश को बेचने का काम किया है। उत्तर प्रदेश में बिजली सबसे अधिक महंगी है। गन्ने का रेट पिछले चार साल से नहीं बढ़े हैं, हम उसकी बात करेंगे। देश में विपक्ष कमजोर है। हम अब सड़कों पर बैठे हैं, अगर विपक्ष मजबूत होता तो हमें ऐसा करने की जरूरत नहीं होती। विपक्ष मजबूत होना चाहिए।
बताया जा रहा है कि अपनी प्राथमिकता को ध्यान में रखते हुए ही ममता ने किसान नेता टिकैत से मुलाकात की। सूत्रों ने भास्कर को बताया कि ममता ने एक स्थानीय किसान संगठन के जरिए राकेश टिकैत को बंगाल आने का न्योता भेजा था। इस मुलाकात का शेड्यूल इतना गुप्त रखा गया कि भारतीय किसान यूनियन ने भी इसे लेकर पहले से कोई बयान नहीं दिया। दरअसल, दीदी का ही संदेश था कि मुलाकात से पहले इसकी खबर नहीं फैलनी चाहिए।
संयुक्त किसान मोर्चा के कुछ असंतुष्ट किसानों ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि बंगाल में चुनाव के दौरान भाजपा के खिलाफ टिकैत का प्रचार अभियान भी दीदी के बुलावे पर ही किया गया था। किसान संगठनों के बीच खटपट भी यहीं से शुरू हुई थी। कुछ किसान संगठनों का कहना था कि हमें पॉलिटिक्स नहीं करनी चाहिए। चुनाव प्रचार से दूर रहना चाहिए।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…