गृह नक्षत्र के अनुसार 16 मई से कम होने लगेगा कोरोना…

गृह नक्षत्र के अनुसार 16 मई से कम होने लगेगा कोरोना…
भोपाल,04 मई । प्राकृतिक आपदाओं महामारी हो, तादाद में जनजाति हो। इस तरह की विपदाओं के लिए ज्योतिष शास्त्र की मोदिनीय शाखा के नियमों के आधार पर गणना की जाती है। ज्योतिष शास्त्र के आधार पर प्रत्येक नववर्ष की शुरुआत चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकम अर्थात गुड़ीपड़वा से की जाती है। इस वर्ष 13 अप्रैल 2021 गुड़ीपड़वा था। एकम तिथि की शुरुआत 12 अप्रैल को सुबह आठ बजे हुई थी। 12 अप्रैल 2021 को सुबह आठ बजे दिल्ली के वृषा लग्न उदित था। ज्योतिष शास्त्र के आधार पर व्यापक स्तर पर होने वाली आपदाओं के लिए हर्षल (युरेनस), नेपच्युन, प्लटो शनि, मंगल और राहू इन ग्रहों के आपस में बनने वाले योगों का महत्व होता है। इन ग्रहों की गणना अनिवार्य हो जाती है। कोरोना के पहले दौर में शिथिलता आने शुरुआत होते ही 24 जनवरी को गोचर शनि हर्षल के साथ अंशात्मक केंद्र योग बना था। लगभग इसी समय से दूसरे दौर की शुरुआत होने लगी थी। इस समय मंगल भी मेष राशि में भ्रमण कर रहा था। 21 फरवरी को मंगल ने वृषभ राशि में प्रवेश किया। लगभग 29 फरवरी से संक्रमण की तादाद बढऩा शुरू हुई। हर्षल व्यापक स्तर पर परिणाम देने वाला ग्रह है। मार्च में राहु के साथ मंगल की युति ने लोगों के साथ शासन में बैठे वरिष्ठ पदाधिकारियों को भी चुनावी प्रलोभन में लिप्त कर दिया। राहूल गफलत पैदा करते हुए लापरवाही भी करवाता है साथ ही भ्रम की स्थिति भी निर्मित करता है। यह परिणाम प्रत्यक्ष रूप से दृष्टिगोचर हुआ। नौ अप्रैल को मंगल और नेपच्युन का अंशात्मक केन्द्र योग बना। नेपच्युन के साथ मंगल का अशुभ योग स्पर्शजन्य रोग को बढ़ावा देता है। इसका प्रत्यक्ष अनुभव भी दिखार्ठ दिया। 11 अप्रैल को प्लूटो का शुक्र अंशात्मक केंद्र योग बना। इसी समय से जीवनरक्षक दवाई इंजेक्शन और ऑक्सीजन की कालाबाजारी के मामले उजागर होने लग गए। 12 अप्रैल को कुंडली में शुक्र व्यय भाव में स्थित था और प्लूटो मकर राशि में नवम स्थान में स्थित था। अर्थात शुक्र और प्लूटो का केंद्र योग बना था। इस योग के परिणाम स्वरूप ही चिकित्सा क्षेत्र की लूटपाट घटनाएं तादाद में उजागर हुई। प्लूटो हर तरह के स्कैंडल को उजागर करता है। 25 अप्रैल को जब मंगल ने मिथुन राशि में गोचर करते हुए आद्र्रा नक्षत्र में प्रवेश किया इसी समय के बाद संक्रमण में व्यापकता आई। इसका कारण है मिथुन राशि वायुतत्व की राशि है, इस राशि में अग्नितत्व का ग्रह मंगल राहू के नक्षत्र में गोचर करेगा तो संक्रमण बढ़ाएगा ही। इसी योग ने करेला और नीम चढ़ा वाली महावत को चरितार्थ किया। 16 मई को मंगल आद्र्रा नक्षत्र छोड़ेगा। इसी समय से संक्रमण में धीरे-धीरे कमी आने लगेगी। दो जून को मंगल कर्क राशि में प्रवेश करेगा देश के उत्तरी क्षेत्र में इसी समय से संक्रमण में कमी होने की शुरुआत होगी। दो जुलाई से छ: जुलाई के बीच देश के उत्तरी क्षेत्र के प्रदशों में भयंकर राजनैतिक उथल-पुथल मचेगी। छ: जुलाई के बाद महामारी में बहुत शिथिलता आएगी और कोरोना बीमारी समाप्ति की ओर बढ़ेगी। जून के अंतिम सप्ताह में कोरोना के लिए कोई कारगर दवाई मिलेगी। भारत की मूल कुंडली में शनि, सूर्य, चन्द्र, प्लूटो, शुक्र और बुध कर्क राशि में स्थित हैं। दो जुलाई से छ: जुलाई के बीच मध्यप्रदेश के दक्षिण के प्रांत में सत्ता परिवर्तन होने की संभावना है। दा मई को जो चुनाव परिणाम आने वाले हैं वे केंद्र सरकार के लिए विपरीत होंगे। उपर्युक्त फलादेश अनुमानित है। हर एक विज्ञान सम्मत विषय पर किया गया विश्लेषण अनुमानित ही होता है।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…