अतीत की खोज बनाएगा भविष्य…
हजारों साल पहले मानव जीवन कैसा रहा होगा? किन-किन तरीकों से जीवन से जुड़े अवशेषों को बचाया जा सकता है? एक सभ्यता, दूसरी सभ्यता से कैसे अलग है? क्या हैं इनकी वजहें? ऐसे अनगिनत सवालों से सीधा सरोकार होता है आर्कियोलॉजिस्ट्स का।
अगर आप भी देश की धरोहर और इतिहास में रुचि रखते हैं तो आर्कियोलॉजिस्ट के रूप में एक अच्छे करियर की शुरुआत कर सकते हैं। इसमें आपको नित नई चीजें जानने को तो मिलेंगी ही, सैलरी भी अच्छी खासी है। आर्कियोलॉजी के अंतर्गत पुरातात्विक महत्व वाली जगहों का अध्ययन एवं प्रबंधन किया जाता है।
हेरिटेज मैनेजमेंट के तहत पुरातात्विक स्थलों की खुदाई का कार्य संचालित किया जाता है और इस दौरान मिलने वाली वस्तुओं को संरक्षित कर उनकी उपयोगिता का निर्धारण किया जाता है। इसकी सहायता से घटनाओं का समय, महत्व आदि के बारे में जरूरी निष्कर्ष निकाले जाते हैं।
जरूरी योग्यता
एक बेहतरीन आर्कियोलॉजिस्ट अथवा म्यूजियम प्रोफेशनल बनने के लिए प्लीस्टोसीन पीरियड अथवा क्लासिकल लैंग्वेज, मसलन पाली, अपभ्रंश, संस्कृत, अरेबियन भाषाओं में से किसी की जानकारी आपको कामयाबी की राह पर आगे ले जा सकती है।
पर्सनल स्किल
आर्कियोलॉजी ने केवल दिलचस्प विषय है बल्कि इसमें कार्य करने वाले प्रोफेशनल्स के लिए यह चुनौतियों से भरा क्षेत्र भी है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए अच्छी विशेलषणात्मक क्षमता, तार्किक सोच, कार्य के प्रति समर्पण जैसे महत्वपूर्ण गुण जरूर होेने चाहिए। कला की समझ और उसकी पहचान भी आपको औरों से बेहतर बनाने में मदद करेगी। इसके अलावा आप में चीजों और उस देशकाल को जानने की ललक भी होनी चाहिए।
संभावनाएं व वेतन
आर्कियोलॉजिस्ट की मांग सरकारी और निजी हर क्षेत्र में है। इन दिनों कॉरपोरेट हाउसेज में भी नियुक्ति हो रही है। वे अपने रिकॉर्ड्स के रख-रखाव के लिए एक्सपर्ट की नियुक्ति करते हैं। इसी तरह रिचर्स के लिए भी इसकी मांग रहती है। आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया में आर्कियोलॉजिस्ट पदों के लिए संघ लोक सेवा आयोग हर वर्ष परीक्षा आयोजित करता है। राज्यों के आर्कियोलॉजी डिपार्टमेंट में भी असिस्टेंट आर्कियोलॉजिस्ट की मांग भी रहती है। वहीं नेट क्वालीफाई करके लेक्चररशिप भी कर सकते हैं। आर्कियोलॉजी के क्षेत्र में किसी भी पद पर न्यूनतम वेतन 25 हजार रुपए है। उसके बाद वेतन का निर्धारण पद और अनुभव के आधार पर होता है।
कोर्सेज
आर्कियोलॉजी से जुड़े रेगुलर कोर्स जैसे पोस्ट ग्रेजुएशन, एमफिल या पीएचडी देश के अलग-अलग संस्थानों में संचालित किए जा रहे हैं। हालांकि हेरिटेज मैनेजमेंट और आर्किटेक्चरल कंजरवेशन से जुड़े कोर्स केवल गिने-चुने संस्थानों में ही पढ़ाए जा रहे हैं। आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया की फंक्शनल बॉडी इंस्टीट्यूट ऑफ आर्कियोलॉजी में दो वर्षीय डिप्लोमा कोर्स की पढ़ाई होती है। अखिल भारतीय स्तर की प्रवेश परीक्षा के आधार पर इस कोर्स में दाखिला दिया जाता है। इसी तरह गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी नई दिल्ली से एफिलिएटेड इंस्टीट्यूट, दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ हेरिटेज रिसर्च एंड मैनेजमेंट, आर्कियोलॉजी और हेरिटेज मैनेजमेंट में दो वर्षीय मास्टर कोर्स का संचालन होता है।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…