*अवैध काल सेंटर द्वारा विदेशियों से करोड़ों की ठगी में*

*अवैध काल सेंटर द्वारा विदेशियों से करोड़ों की ठगी में*

*37 काल सेंटर कर्मी गिरफ्तार, 56 डेस्कटॉप और 41 फोन जब्त*

*नई दिल्ली।* दिल्ली पुलिस की साइबर सेल यूनिट ने अवैध काल सेंटर द्वारा विदेशियों से करोड़ों की ठगी में 37 काल सेंटर कर्मियों को गिरफ्तार किया है। जनकपुरी में दो और बिंदापुर में चल रहे एक काल सेंटर पर पुलिस ने कार्रवाई कर ठगी के धंधे का पर्दाफाश किया। काल सेंटर कर्मी एमाजोन व एपल कंपनी का तकनीकी कर्मी बताकर पीड़ित से संपर्क करते थे। बाद में सिस्टम ठीक करने सहित अलग-अलग तरीके से उनसे सैकड़ों डालर अपने खाते में आलाइन स्थानांतरित करवा लेते थे।

साइबर सेल के डीसीपी अन्येष राय ने बताया कि पुलिस को बिंदापुर और जनकपुरी स्थिति काल सेंटर से फोन कर विदेशियों को ठगे जाने की सूचना मिल रही थी। इसकी जानकारी के बाद इंस्पेक्टर सज्जन सिंह और परवीन सिंह की टीम ने बिंदापुर में एक जबकि जनकपुरी में दो काल सेंटर पर छापा मारा। इसमें वहां काम कर रहे मैनेजर, टीम लीडर और काल ऑपरेटर सहित कुल 37 कर्मियों को गिरफ्तार किया गया। जनकपुरी से 28 और बिंदापुर स्थित काल सेंटर से नौ कर्मी दबोचे गए हैं। वहीं वहां से कुल 56 डेस्कटॉप और 41 फोन जब्त किए गए।

किसी को पता का ना चले इसके लिए जनकपुरी के असालतपुर गांव स्थित एक आवासीय भवन में काल सेंटर का संचालन किया जा रहा था। पुलिस अधिकारी ने बताया कि छानबीन में पता चला कि बिंदापुर काल सेंटर के माध्यम से अब तक कनाडा और अमेरिका में रहने वाले हजारों विदेशियों को 10 करोड़ रुपये का चूना लगाया जा चुका है। जबकि जनकपुर सेंटर से पांच करोड़ रुपये की ठगी अब तक की जा चुकी है। आरोपितों को धाराप्रवाह विदेशी लहजे में बात करने का प्रशिक्षण दिया गया था। मैनेजर को एक लाख रुपये, टीम लीडर को 75 हजार जबकि काल करने वाले कालर को प्रतिमाह 30 हजार तनख्वाह दी जाती थी।

काल सेंटर कर्मी दो तरीके से विदेशियों को ठगते थे। कर्मी पहले पीड़ित के कंप्यूटर पर फर्जी पॉपअप मैसेज भेजकर उसमें खराबी आने की सूचना देते थे। बाद में आरोपित खुद को एमाजोन और एपल कंपनी का तकनीकी स्टाफ बताकर उनके कंप्यूटर को ठीक करने का दावा करते थे। ठीक करने के लिए रुपये आनलाइन स्थानांतरित करते ही आरोपित कंप्यूटर ठीक कर देने का दावा करते थे। जबकि हकीकत में उसमें कोई खराबी होती ही नहीं थी। वहीं, उनका अन्य तरीका धमकाकर लोगों से डालर वसूलना होता था। काल सेंटर कर्मी खुद को सामाजिक सुरक्षा प्रशासन, ड्रग एंफोर्समेंट एडमिनिस्ट्रेशन, यूएस मार्शल सर्विस व अन्य अमेरिकी एजेंसी का अधिकारी बता विदेशी नागरिकों से संपर्क करते थे। वे बताते थे कि उनके बैंक खाते से अवैध लेन-देन हुई है। इसके लिए उन्हें जेल की हवा खानी पड़ सकती है। सजा से बचने के लिए बाद में ठग लोगों को वैकल्पिक विवाद समाधान (एडीआर) का विकल्प देते थे। इसके तहत एक तय राशि का बिटकॉइन गुगल गिफ्ट कार्ड खरीदना होता था। भय से लोग बगैर जांच किए कार्ड खरीद लेते थे। इसकी राशि काल सेंटर के इलक्ट्रानिक वॉलेट में स्थानांतरित हो जाती थी।