भारतीय चमड़ा उद्योग तीव्र गति से उभर रहा क्षेत्र है।

भारतीय चमड़ा उद्योग तीव्र गति से उभर रहा क्षेत्र है।

 

हमें आश्चर्य होना चाहिए कि पश्चिमी देशों को इतना चमड़ा निर्यात क्यों कर रहा है। इसका स्पष्ट कारण यह है कि चमडे के पहनावों की विदेशों में अभी भी व्यापक मांग है और आजकल घरेलू बाजार भी इस उद्योग के उत्पादों का विकास एवं खपत कर रहे हैं। कईयों को यह जानकर भी आश्चर्य  होगा कि भारतीय चमड़ा उद्योग देश का चैथा सबसे बड़ा निर्यात अर्जक है। कोई भी व्यक्ति कल्पना कर सकता है कि और विकसित हो जाने पर यह उद्योग क्या रूप लेगा।

 

बढ़ रही है मांग:- चमड़े के सामान की मांग बढ़ रही है और आशा है कि यह मांग और बढ़ेगी। बहु-राष्ट्रीय कंपनियों के अधिकाधिक संख्या में भारत में आने के साथ ही, यह उद्योग एक हाई-टेक उद्योग बनाने के लिए कटिबद्ध है। चमडे के सामान (लेदर वियर) में जूते-चप्पलों से लेकर बैल्ट, बैग, पर्स तथा टोपियों से लेकर खिलौनों, अपहोल्स्टरी, बैगेज, संगीत के उपकरणों, गारमेंट टैग्स, उपकार मदों आदि जैसे विभिन्न उत्पाद शामिल हैं।

 

इस समय, इस उद्योग में कार्यरत व्यक्ति प्रशिक्षित नहीं हैं, किंतु अब इस उद्योग के प्रौद्योगिकी एवं व्यावसायिक-दोनों दृष्टि से प्रगति एवं विकास की ओर अग्रसर होने के साथ ही- व्यक्तियों की मांगों तथा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इस उद्योग को योग्य व्यवसायियों की आवश्यकता है। यदि कोई व्यक्ति इस उद्योग को कॅरिअर के एक विकल्प के रूप में लेना चाहते हैं तो वह अपनी रुचि एवं अभिवृत्ति के आधार पर डिजाइनिंग या तकनीकी क्षेत्र अथवा उत्पादन क्षेत्र में जा सकता है। ये दोनो विकल्प लाभप्रद है। जहां तक डिजाइनिंग का संबंध है, पूरे विश्व में, डिजाइनर्स ने चमड़े का, अपने डिजाइनर वीयर के एक महत्त्वपूर्ण भाग के रूप में उपयोग करना प्रारंभ किया है, जिसके परिणाम चमड़ा परिधान की एक उच्च सामग्री बन गया है। दूसरा विकल्प- उत्पादन भी एक अच्छा क्षेत्र है। उत्पादन के क्षेत्र में अपेक्षित योग्यताएं प्राप्त करके कोई भी व्यक्ति चमड़ा-निर्माता कंपनियों तथा टेनरीा के साथ कार्य प्रारंभ कर सकता है।

 

पात्रता:- चमडे के सामान तथा डिजाइन में कॅरिअर बनाने के लिए, धुन या लगन, उच्च सर्जनात्मकता तथा प्रेरणा होनी आवश्यक है। तथापि प्रमुख फैशन हाउसों और ग्लैम स्टोर्स में अच्छे राोगार प्राप्त कर सकते हैं। कई फैशन एवं ललित कला वि।ालय चमड़े के सामान एवं डिजाइन में विशेषज्ञता पूर्ण पाठयक्रम एवं स्नातक कार्यक्रम चलाते हैं। एसोशिएट तथा अधिस्नातक कार्यक्रमों में प्रवेश लेने के लिए छात्र 10$2 योग्यता रखते हों और मानकीकृत प्रवेश-परीक्षाओं में उत्तीर्ण होना चाहिए। अधिकांश स्नातक एवं उच्च कार्यक्रम में प्रवेश के समय डिजाइनिंग में पिछले व्यावहारिक अनुभव को महत्त्व दिया जाता है और कॉलेज के प्रमाण सहित किए गए सर्जनात्मक कार्यों के ब्यौरे मांग सकते हैं।

 

चमड़े के उद्योग में अत्यधिक विशेष गुणों की आवश्यकता नहीं होती है, किंतु किसी भी अन्य उद्योग की तरह उच्च लक्ष्य प्राप्त करने के लिए किसी भी व्यक्ति को अत्यधिक सफल, वचनबद्ध, कार्य-समर्पित एवं कठोर परिश्रमी होना आवश्यक है, यदि कोई व्यक्ति उत्पादन क्षेत्र में जाना चाहता है तो कार्य अत्यधिक उबाऊ या थकाने वाला होता है, विशेष रूप से तब जब कोई चर्म-शोधन या उत्पादन संस्था में कार्य करता है, जिसमें कठोर परिश्रम एवं तनाव शामिल होता है। दूसरी और सफलतापूर्वक डिजाइनिंग कार्य करने में मानसिक क्षमता एवं कलात्मक सूक्ष्मता का मिश्रण होना अपेक्षित है। अनोखी अर्जनशीलता डिजाइनर्स के लिए आश्चर्यजनक कार्य कर सकती है। सर्जनशीलता एवं मौलिकता का गुण अत्यधिक महत्त्वपूर्ण होता है। अपने विचारों या सोच को मूर्तरूप देने के लिए उन्हें अपनी मानसिक क्षमता का निरंतर सोच के साथ अमन्वय करना चाहिए और दक्षता के साथ नए विचार या सोच प्रस्तुत करनी चाहिए।

 

डिजाइनरों को उच्च स्तर की सर्जनात्मक क्षमता एवं उत्पादन पद्धतियों की तकनीकी समझ होनी चाहिए। फैशन की जानकारी, रंग एवं आकृति की समझ होना महत्त्वपूर्ण होती है।  समस्या समाधान कौशल, समय प्रबंधन तथा आत्म-नियंत्रण फैशन डिजाइन के व्यवसाय में उपयोगी होता है। द्वविचारों की दृश्य तथा मौखिक दोनों रूपों में अभिव्यक्त करने की क्षमता होनी चाहिए। नए विचारों को प्रकट करने एवं प्रभावित करने की क्षमता हो। इस तथ्य की रुचि हो कि कपड़े कैसे बनते हैं, परिवर्तन तथा विकास के साथ आकर्षण में भी रुचि हो। एकजुट होकर कार्य करने का कौशल तथा शारीरिक सहनशीलता होना अनिवार्य है क्योंकि कार्य-घंटे अधिक लंबे एवं मांगकारी होते हैं और आपके निर्धारित लक्ष्य को ध्यान में रखकर एक टीम में मिलकर कार्य करना होता है।

 

पाठयक्रम:- किसी संगठन में दक्षतापूर्वक कार्य करने के लिए व्यावसायिक योग्यता की एक महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। किसी व्यावसायिक डिग्रीडिप्लोमा के अतिरिक्त, नवीनतम अंतरराष्ट्रीय मानकों एवं प्रतिस्पर्धा की पूर्ण जानकारी भी अत्यधिक महत्त्वपूर्ण होती है। भारत में ऐसे विभिन्न संस्थान हैं जो चमड़ा-उत्पाद डिजाइनिंग में कई पाठयक्रम चलाते हैं। उनमें से कुछ संस्थान निम्नलिखित हैंः-

 

चमड़े के सामान एवं डिजाइन में एम.एस.सी। (एम.एस.सी.-एल.जी.ए.डी.)

द्वचमडे के सामन एवं डिजाइन में बी.एस.सी.। (बी.एस.सी.-एल.जी.ए.डी.)

चमडे के सामान एवं डिजाइन में डिप्लोमा।

चमडे के सामन एवं डिजाइन में प्रमाणपत्र कार्यक्रम।

 

कॅरियर की संभावना:- कोई भी किसी व्यक्ति की फैशन की समझ में वृद्धि करती है। यदि आप फैशन-उद्योग में एक बड़ी शक्ति बनाना चाहते हैं तो अपनी लगन तथा कौशल को डिजाइन में लगाकर आप अपने कॅरिअर को बड़ी ऊंचाइयों तक ले जा सकते हैं। इस व्यवसाय की एक विशेषता यह है कि आप अपने कार्य को अपने घर से प्रारंभ कर सकते हैं और उसके बाद अपनी डिजाइन को, विश्व में अपनी पैठ जमाने के लिए रिटेल एवं डिजाइनर स्टोर्स में पहुंचा सकते हैं। डिजाइनिंग में कोई व्यावसायिक पाठयक्रम करने के इच्छुक डिजाइनर चमडे के सामान, कीमती एवं कोस्टयूम वेलरी, टेबलवेयर, गिफ्टवेयर, घड़ियों, फुटवियर, हस्तिशिल्प तथा जीवनशैली उत्पादों आदि जैसे क्षेत्रों में डिजाइनर, उत्पाद प्रबंधक, ब्राण्ड प्रबंधक, विजुअल मर्चेन्डाइजर तथा उ।मी के कार्य तलाश सकते हैं। चमड़ा-उद्योग में तकनीकी एवं डिजाइनिंग-दोनों क्षेत्रों में उावल कॅरिअर के अवसर हैं और यह उद्योग विकास की ओर अग्रसर है।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…