शबनम की फांसी रोकने के लिए अयोध्‍या से उठी पहली मांग…

शबनम की फांसी रोकने के लिए अयोध्‍या से उठी पहली मांग…

“हिंद वतन समाचार” पर इस बारे में 17,18 एवं 20 फरवरी को चली खबर 👆  

महंत परमहंस दास बोले-महिला को फांसी दी तो आएंगी आपदाएं…

“इससे दुर्भाग्य और आपदाओं को न्यौता मिलेगा…

लखनऊ/अयोध्या। प्रेमी से शादी करने के लिए अपने ही परिवार के सात लोगों को मौत के घाट उतारने वाली हत्‍यारिन शबनम की फांसी रोकने के लिए पहली मांग अयोध्‍या से उठी है। तपस्‍वी छावनी के महंत परमहंस दास ने राष्‍ट्रपति से अपील की है कि वे शबनम की फांसी की सजा को माफ कर दें। महंत ने कहा कि देश की आजादी के बाद आज तक किसी महिला को फांसी नहीं दी गई। यदि शबनम को फांसी दी जाती है तो यह पहला मामला होगा। उन्‍होने कहा कि एक महिला को फांसी दिए जाने से देश को दुर्भाग्‍य और आपदाओं का सामना करना पड़ सकता है।
महंत ने कहा कि ‘हिंदू शास्‍त्रों में नारी का स्‍थान पुरुष से बहुत ऊपर है। एक नारी को मृत्‍युदंड दिए जाने से समाज का कोई भला नहीं होगा, उल्‍टे इससे दुर्भाग्‍य और आपदाओं को न्‍यौता मिलेगा। महंत ने कहा कि यह सही है कि उसका अपराध माफ किए जाने योग्‍य नहीं है लेकिन उसे महिला होने के नाते माफ किया जाना चाहिए।
महंत परमहंस ने राष्‍ट्रपति से की अपील…..
महंत परमहंस दास ने कहा कि ‘हिंदू धर्मगुरु होने के नाते मैं राष्‍ट्रपति से अपील करता हूं कि माफी के लिए शबनम की याचिका को स्‍वीकार कर लें, अपने अपराध के लिए वह जेल में प्रायश्चित कर चुकी है। यदि उसे फांसी दी गई तो यह इतिहास का सबसे दुर्भाग्‍यपूर्ण अध्‍याय होगा। महंत ने कहा कि देश का संविधान राष्‍ट्रपति को असाधारण शक्तियां देता है। उन्‍हे इन शक्तियों का इस्‍तेमाल क्षमा देने में करना चाहिए।’
उत्‍तर प्रदेश के अमरोहा के बाबनखेड़ी गांव की शबनम को अपने ही परिवार के सात लोगों की बेरहमी से हत्‍या के अपराध में फांसी की सजा दी गई है। शबनम ने 14-15 अप्रैल 2008 की रात को अपने प्रेमी के साथ मिलकर इस जघन्‍य वारदात को अंजाम दिया। वह जुलाई 2019 से यूपी की रामपुर की जेल में बंद है।

“हिंद वतन समाचार” की रिपोर्ट, , ,