उ0प्र0 सरकार द्वारा 04 फरवरी 2021 को चैरी-चैरा घटना के 100 वर्ष पूर्ण होने पर…

उ0प्र0 सरकार द्वारा 04 फरवरी 2021 को चैरी-चैरा घटना के 100 वर्ष पूर्ण होने पर…

सम्पूर्ण वर्ष को चैरी-चैरा शताब्दी महोत्सव वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया…

लखनऊ 4 फरवरी। उ0प्र0 सरकार द्वारा 04 फरवरी 2021 को चैरी-चैरा घटना के 100 वर्ष पूर्ण होने पर सम्पूर्ण वर्ष को चैरी-चैरा शताब्दी महोत्सव वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है। इस क्रम मे चैरी-चैरा शताब्दी समारोह के प्रथम दिवस पर राज्य संग्रहालय , लखनऊ द्वारा अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद के अस्थिकलश को माह के विशेष प्रर्दश के रूप में दिनांक 04 फरवरी, 2021 को दर्शकों के अवलोकनार्थ प्रदर्शित किया गया है।
अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद के अन्तिम संस्कार के पश्चात उनके अस्थि अवशेषों का कुछ अंश स्व0 शिव विनायक मिश्र ने अपने पास रख लिया था, जो काफी समय तक उनके यहाॅ सुरक्षित रहा। राज्य संग्रहालय, लखनऊ में संरक्षित यह अस्थि कलश क्रांतिवीर आजाद की पावन स्मृतियों को संजोये हुए है। अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद कि यह ऐतिहासिक शोभा-यात्रा 01 अगस्त, 1976 को महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणासी से प्रारम्भ होकर 10 अगस्त, 1976 को राज्य संग्रहालय, लखनऊ में चन्द्रशेखर जी के अस्थिकलश के समर्पण के साथ समाप्त हुई है। प्रदर्शित कलश के ढ़क्कन पर आजाद की कुछ अस्थियां कलश रखी हुयी है। भारतीय स्वतंत्रा संग्राम के महानायक चन्द्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई, 1906 में मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले भाबरा नामक स्थान पर हुआ था। स्न 1920-21 में चन्द्रशेखर आजाद गांधीजी के असहयोग आन्दोलन से जुुड़े और वे गिरफ्तार हुए एवं न्यायाधीश के समक्ष पेश  किये गये। जहाॅ उन्होंने अपना नाम ”आजाद” पिता का नाम ”स्वतंत्रता” और ”जेल” को अपना निवास बताया। उन्हें १५ कोड़ों की सजा दी गयी, हर कोड़े के वार के साथ उन्होंने ”वन्दे मातरम्” का स्वर बुलंद किया। इसके बाद वे सार्वजनिक रूप से आजाद कहलाए। बाद में क्रान्तिकारी आन्दोलन उग्र होने के साथ चन्द्रशेखर आजाद हिन्दुस्तान सोशलिस्ट आर्मी से जुड़े और स्वतंत्र भारत के लिए चलाये गये कई आन्दोलन में सक्रिय भूमिका निभायी। चन्द्रशेखर आजाद ने संकल्प लिया था कि वे न कभी पकड़े जाएंगे और न ब्रिटिश सरकार उन्हें फांसी दे सकेगी। अपने इसी संकल्प को पूरा करते हुए उन्होंने 27 फरवरी,1929 को अलफे्रड पार्क, प्रयागराज (इलाहाबाद) मंे स्वयं को गोली मार कर मातृभूमि कि रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।
उक्त अवसर पर निदेशक, राज्य संग्रहलय लखनऊ ने बताया कि अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद हमारे लिए एक प्ररेणा ़स़्त्रोत है तथा प्रस्तुत प्रदर्श द्वारा स्वतंत्रता के अमर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गयी है। उक्त अवसर पर श्रीमती रेनू द्विवेदी, सहायक निदेशक, सुश्री अलशाज फातमी सहायक निदेशक, डाॅ0 मीनाक्षी खेमका, सहायक निदेशक राज्य संग्रहालय, लखनऊ के साथ ही उ0प्र0 संग्रहालय निदेशालय, लखनऊ एवं लोक कला संग्रहालय, लखनऊ के अन्य अधिकारी एवं कर्मचारीगण सहित काफी संख्या मे दर्शक उपस्थित थे।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…