बच्चे को प्यार तो करें पर जिद्दी न बनाएं … 

बच्चे को प्यार तो करें पर जिद्दी न बनाएं …

 

राहुल जैसे ही स्कूल से घर आया उसने अपना बैग एक तरफ रखा और टीवी देखने की जिद करने लगा। उसने न तो अपनी ड्रेस उतारी और न ही जूते। मम्मी ने उसे डांटा तो राहुल रोता हुआ अंदर चला गया। कुछ देर बाद जब मां का गुस्सा शांत हुआ तो फिर वह बाहर की चीजें खाने की जिद करने लगा। मां ने बहुत समझाया पर राहुल जिद करता रहा। तभी उसके पापा आए और उन्होंने राहुल को चाकलेट दिला दी। हर बार राहुल कोई न कोई जिद लेकर बैठ जाता। कभी चाकलेट की, कभी खिलौने की तो कभी टीवी पर कार्टून शो देखने की। न तो वह बाहर खेलने जाता न ही ढंग से पढ़ाई करता। राहुल की मां बहुत परेशान रहती। कभी-कभी तंग आकर वह राहुल को मार बैठती। लेकिन यह समस्या सिर्फ राहुल की मां की नहीं है बल्कि अधिकतर माओं की है जिनके बच्चे हर बात पर जिद करते हैं।

 

पर क्या सिर्फ बच्चे ही इस बात के लिए जिम्मेदार हैं? बच्चों से ज्यादा जिम्मेदार उनके माता-पिता और घर के अन्य सदस्य होते हैं जो बच्चे की हर जायज-नाजायज इच्छाएं पूरी करते रहते हैं। बिना यह जाने कि इसका परिणाम क्या होगा। इसी लाड़-प्यार में बच्चे जिद्दी बनते जाते हैं और फिर यह आगे चलकर परेशानी का सबब बन जाता है। अगर कुछ बातों का ध्यान रखें तो काफी हद तक इस समस्या से अभिभावक बच सकते हैं।

 

-बचपन से ही बच्चे की हर इच्छा को पूरी न करें। आप खुद तय करें कि उसकी कौन सी इच्छा पूरी करने लायक है। वह जो कहेगा उसे आप मानते रहे तो वह जिद्दी हो जाएगा। फिर वह आपकी बिलकुल नहीं सुनेगा।

 

-अगर आप किसी बात के लिए उसे मना करते हैं तो उसे यह जरूर बताएं कि आपने फलां चीज देने से या करने से क्यों मना किया है।

 

-बच्चों को ज्यादा देर तक टीवी न देखने दें और न ही आप खुद देखें। क्योंकि अगर आप हर वक्त टीवी के सामने चिपके रहेंगे तो बच्चा भी वही करेगा। बच्चे दरअसल बड़ों से ही सीखते हैं।

 

-अगर आप परिवार में रहते हैं तो सबकी एक राय होनी चाहिए। ऐसा नहीं कि अगर आपने कुछ नहीं दिलाया तो कोई दूसरा सदस्य उसे वह चीज दिला दे जिसकी वह मांग कर रहा हो।

 

-बच्चों को कहानियां और गेम्स वगैरह की किताबें लाकर दें जो उसे रोचक भी लगें और उनका ज्ञान भी बढ़ाएं। हो सके तो आप खुद उसे कहानी सुनाएं। उसे बाहर खेलने जाने दें। इससे बच्चे का शारीरिक विकास भी होगा। मगर वह कहां जा रहा है, इस पर नजर जरूर रखें।

 

-उसके दोस्तों के बारे में उससे जरूर पूछें। हो सकता है आपका बच्चा गलत संगत में पड़कर भी जिद कर रहा हो। बच्चे के दोस्तों को घर पर भी बुलाएं इससे आपको उनके बारे में पता चलेगा।

 

-कोई भी अच्छा काम करने या स्कूल में उसकी बेहतर रिपोर्ट मिलने पर उसे उपहार दें। इससे बच्चे में अच्छा काम करने की भावना पैदा होगी। उसे वक्त-बेवक्त चीजें या उपहार लाकर न दें।

 

-सबसे बड़ी बात, आप अपने बच्चे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय व्यतीत करें इससे आप अपने बच्चे को जान पाएंगे और उसकी भावनाओं को समझ पाएंगे।

 

इन छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर आप अपने बच्चे को जिद्दी बनने से रोक सकते हैं और उसे एक बेहतर इंसान बना सकते हैं।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…