अद्भुत यात्रा का अनुभव है कन्याकुमारी…

अद्भुत यात्रा का अनुभव है कन्याकुमारी…

 

भारतीय प्रायद्वीप के दक्षिणी क्षेत्र में स्थित पवित्र स्थान कन्याकुमारी के बारे में कहा जाता है कि स्वामी विवेकानंद जब ज्ञान की खोज में निकले थे तो यहीं पहुंच कर उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। यहां अरब सागर और बंगाल की खाड़ी हिंद महासागर में आकर मिलते हैं। इसलिए यहां तीन अलग-अलग रंगों की रेत देखने को मिलती है।

 

शहर की भीड़ से दूर तथा तनाव व शोरगुल से भी दूर यह स्थान बड़ा शांतिमय है। यहां यदि शोर है तो वह है सिर्फ समुद्री लहरों का, जोकि कानों में संगीत की तरह गूंजता है। कन्याकुमारी के सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य तो देखते ही बनते हैं।

 

कन्याकुमारी का मंदिर कन्याकुमारी को ही अर्पित है। इस मंदिर को भारत के छोरों का रखवाला भी माना जाता है। इस मंदिर को मदुरै, रामेश्वरम और तिरूपति आदि मंदिरों की तरह ही पवित्र माना जाता है। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां केवल हिन्दू ही जा सकते हैं। यह मंदिर प्रातः चार बजे से लेकर ग्यारह बजे तक तथा उसके बाद सायं 5.30 से लेकर 8.30 तक खुला रहता है।

 

यहां विवेकानन्द जी का स्मारक भी है। यह समुद्र के बीच एक विशाल शिला पर स्थित है। इस शिला पर बैठ कर ही स्वामी विवेकानंद जी ने साधना की थी। स्मारक के कक्ष में विवेकानन्द जी की विशाल मूर्ति भी है। स्मारक स्थल से चारों और फैले विशाल समुद्र का दृश्य आपको मंत्रमुग्ध कर देगा।

 

कन्याकुमारी में महात्मा गांधी का स्मारक भी है। यहीं पर महात्मा गांधी का अस्थि कलश रखा गया था। यह स्मारक कन्याकुमारी मंदिर के ठीक पास ही बना हुआ है। पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र यह स्मारक अपनी अद्भुत कलाकृति के लिए भी जाना जाता है।

 

कन्याकुमारी से लगभग 34 किलोमीटर दूर स्थित उदयगिरि किला भी देखने योग्य है। इस किले को 18वीं शताब्दी में राजा मार्तंड वर्मा ने बनवाया था। इसके साथ ही आप गुगनंत स्वामी मंदिर भी देखने जा सकते हैं। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह करीब एक हजार साल पुराना मंदिर है। इस मंदिर को एक चोल राजा ने बनवाया था।

 

कन्याकुमारी आए हैं तो सुचिंद्रम देखना नहीं भूलें। यह कन्याकुमारी से लगभग 13 किलोमीटर दूर स्थित है। 9वीं शताब्दी के शिलालेख इस मंदिर में पाए जाते हैं। यहां पर भगवान शिव, भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु की एक साथ पूजा की जाती है। यहां पर हनुमान जी की एक बड़ी मूर्ति है जो कि यहां की मूर्तिकला का जीता-जागता उदाहरण है।

 

नागरकोयिल नागराज का अद्भुत मंदिर है। नागराज का मंदिर होते हुए भी इसमें भगवान शिव और भगवान विष्णु की मूर्तियां है। यहां का द्वार चीनी शिल्पकला में बनाया गया है। यहां आपको देखने को मिलेगा कि भक्तों को दिया गया प्रसाद जमीन से निकाला जाता है। यहां नागलिंग फूल भी पाया जाता है। यह मंदिर कन्याकुमारी से बीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां तक पहुंचने के लिए आपको आसानी से बसें मिल जाएंगी और यदि आप चाहें तो बंगलौर, चेन्नई, त्रिवेन्द्रम, मदुरै आदि जगहों से यहां रेल व सड़क मार्ग से भी आ सकते हैं।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…