अयोध्या के धन्नीपुर में बन रही मस्जिद में नमाज पढ़ना और चंदा देना हराम- ओवैसी…

अयोध्या के धन्नीपुर में बन रही मस्जिद में नमाज पढ़ना और चंदा देना हराम- ओवैसी…

अल्लाह के लिए जहां नमाज पढ़ी जाए वह जगह हराम नहीं- अतहर हुसैन…

लखनऊ/बीदर (कर्नाटक)। अयोध्या के धन्नीपुर मस्जिद का संगे बुनियाद 26 जनवरी को रख दिया गया है, लेकिन मस्जिद को लेकर सियासी नेताओं की बयानबाजी थमने का नाम नहीं ले रही हैं। अब ऑल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लिमीन के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने बड़ा बयान दिया है और ट्रस्टियों पर हमला बोला है। ओवैसी ने कर्नाटक के बीदर में एक प्रोग्राम को खिताब करते हुए कहा कहा “धन्नीपुर में बनने वाली मस्जिद इस्लाम के खिलाफ है, उसे मस्जिद नहीं कहा जा सकता है। इस लिहाज से इसकी तामीर के लिए डोनेशन देना और वहां नमाज पढ़ना दोनों हराम है।”
हालांकि इस पर ट्रस्ट के सचिव अतहर हुसैन का कहना है कि अल्लाह के लिए जहां पर भी नमाज़ अदा की जाती है वह जगह हराम नहीं हो सकती। उन्होने आगे कहा कि ओवैसी जिस इलाके से आते हैं वहां 1857 में हुई आजादी की पहली लड़ाई की तकलीफ उन्हे महसूस नहीं हुई, यह भी हो सकता है कि ओवैसी के आबा-ओ-अजदाद (पूर्वज) ब्रिटिश सरकार के खिलाफ उस विद्रोह में हिस्सा ही न लिया हो।
बताते चलें कि धन्नीपुर मस्जिद की नींव 26 जनवरी के खास मौके पर रखी गई है, नींव रखने से पहले यहां ध्वजारोहण हुआ और राष्ट्रगान गाया गया। इसके बाद फलदार और छायादार पेड़ लगाए गए, जिसके बाद संगे बुनियाद की रस्म अदा की गई। कहा जा रहा है कि मस्जिद की तामीर अगने ढाई-तीन सालों में मुकम्मल हो जाएगी। वहीं अगर मस्जिद के नाम की बात करें तो कहा जा रहा है कि महान स्वतंत्रता सेनानी अहमदुल्ला शाह के नाम पर मस्जिद का नाम रखा जा सकता है।
जानिए कौन हैं अहमदुल्ला शाह. . . . .
खबर है कि मस्जिद का नाम महान स्वतंत्रता सेनानी अमदुल्लाह शाह के नाम पर रखने की चर्चा हो रही है। अहमदुल्ला शाह 1857 की क्रांति के योद्धा थे, जिनके नेतृत्व में अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की पहली जंग में अवध को जीता गया था। उनका जन्म 1787 में हुआ था और वे फैजाबाद के मौलवी के तौर पर मशहूर थे। उन्होने दिल्ली, मेरठ, पटना, कलकत्ता के अलावा अन्य स्थानों की यात्रा कर लोगों के मन आजादी के बीज बोए थे।

“हिंद वतन समाचार” की रिपोर्ट, , ,