पहाड़ी मदिकेरी में बनाइए अपनी छुट्टियों को यादगार…

पहाड़ी मदिकेरी में बनाइए अपनी छुट्टियों को यादगार…

मदिकेरी की खूबसूरती में एक सदगी हैं। इसे भगवान का आशीर्वाद हासिल है। प्रदूषण से मुक्त यहां का शांत माहौल सभी को अच्छा लगता है। अपनी छुट्टियों को यादगार बनाना चाहते हैं, तो मदिकेरी से बेहतर कुछ नहीं। लकड़ियों के ढलान, गांव, रंग-बिरंगे दृश्य और प्राकृतिक छटा पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है।

मदिकेरी को कुर्ग का जिला मुख्यालय कहा जाता है जो 1525 मीटर की ऊंचाई पर है। इस शहर में ज्यादातर बंगले लाल रंग के पत्थर के हैं। यही इस शहर की खासियत है। मदिकेरी को भारत का स्कॉटलैंड भी कहा जाता है जिसकी मृदु राजा ने 1681 में तलाश की थी। मृदुराजाकेरी के नाम पर ही इस शहर का नाम मदिकेरी रखा गया। कावेरी नदी शहर से 44 किलोमीटर की दूरी पर बहती हैं।

कर्नाटक में मदिकेरी से आठ किलोमीटर दूर है- ऐबे फॉल व अब्बी फॉल। यह वाटरफॉल कॉफी के बागान, मसालों के बागान और हरे पेड़-पौधे के बीच है जहां से कई धाराएं पहाड़ों से गिरती हुई कावेरी नदी मे जाकर मिलती हैं। यह वाटर फॉल अचानक ही बनता हैं। चट्टानों से यह वाटरफॉल तेजी से गिरता हुआ शांत पूल में मिलता है। इस के गिरने की गर्जन सड़क से ही सुनी जा सकती है। मानसून के दौरान इस वाटरफॉल की धारा बहुत ऊंची हो जाती हैं मगर गर्मी के दिनों में यह कम हो जाती हैं।

इस वाटरफॉल की सुंदरता देखने के लिए सर्दियों की शुरूआत होते ही आपको जाना होगा ताकि मानसून के पानी से बने इस वाटरफॉल की सुदंरता को आप खो न दें। राजा सीट एक छोटा सा मंडप है जिसके चारों तरफ बगीचा है। यहां से नीचे घाटी की हरियाली देखते बनती है। अद्भुत सूर्यास्त और नीले पहाड़ का खूबसूरत दृश्य देखकर एक पल के लिए तो सांसें रूक जाती हैं।

मदिकेरी किले का निर्माण राजा मृदुराजा ने 17वीं शताब्दी में करवाया था। इस किले के अंदर एक पैलेस भी बनवाया था। टीपू सुल्तान ने इस महल को दोबारा ग्रेनाइट से बनवाया। इसे जाफराबाद नाम दिया गया। 1790 में यह किला डोडावीरा राजेन्द्र के कब्जे में चली गई।

मदिकेरी को ओककारेश्वर मंदिर का निर्माण 1820 में लिंग राजेन्द्र ने करवाया था। यह मदिकेरी शहर के दिल से सिर्फ एक किलोमीटर दूर है। वास्तुकला की बात करें, तो यहां दो तरह की वास्तुकला देखने को मिलती हैं पहली इस्लामिक और दूसरी गोथिक। इस मंदिर के मुख्या देवता शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं। कहते हैं कि लिंगराजेन्द्र ने ब्रह्महत्या से मुक्ति पाने के लिए इस मंदिर का निर्माण कराया और शिवलिंग की स्थापना की।

मदिकेरी में कई ऐसे ट्रैकिंग स्थल हैं जहां आप ट्रैंकिंग का मजा ले सकते हैं। ट्रैकर्स के लिए मदिकेरी स्वर्ग हैं। मदिकेरी जाने का बेहतरीन समय है सितम्बर से मार्च। नजदीकी हवाई अड्डा मंगलौर 136 किलोमीटर दूर है। नजदीकी रेलवे स्टेशन कसरगॉड 106 किलोमीटर दूर है। मदिकेरी दूसरे कई मुख्य शहरों से सड़क यातायात से जुड़ा है।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट …