*अब निशुल्क प्रवेश न लेने पर स्कूलों को होगी दिक्कत*
*गाजियाबाद।* जिले में शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत निशुल्क प्रवेश नहीं लेने वाले स्कूलों के खिलाफ सीबीएसई और शासन को लिखा जाएगा। बेसिक शिक्षा अधिकारी ने ऐसे स्कूलों का पिछले 3 साल का डाटा मांगा है, जिनके पास बच्चों के प्रवेश करने की लिस्ट भेजी गई है और उन्होंने प्रवेश नहीं लिया है। जिन स्कूलों की स्थिति सबसे ज्यादा खराब मिलेगी उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत प्रत्येक निजी स्कूल को 25 प्रतिशत बच्चों का प्रवेश निशुल्क लेना अनिवार्य है। इसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग पात्र बच्चों का चयन करके स्कूलों के पास प्रवेश के लिए प्रत्येक वर्ष सूची भेजता है। जिन बच्चों की सूची स्कूलों के पास पहुंचती है उनका प्रवेश करना अनिवार्य होता है। जिले के अधिकतर निजी स्कूल बच्चों के प्रवेश ही नहीं लेते हैं। जबकि कुछ स्कूल कुछ प्रतिशत बच्चों के प्रवेश लेकर खानापूर्ति कर लेते हैं। निजी स्कूलों की इस मनमानी के कारण 25 प्रतिशत बच्चों में से 5 से 10 प्रतिशत बच्चों को ही मुश्किल से प्रवेश मिल पाता है। ऐसे में 15 से 20 प्रतिशत बच्चे सरकार की इस योजना का लाभ लेने से वंचित रह जाते हैं। इस वर्ष भी निशुल्क शिक्षा के तहत काफी संख्या में बच्चे प्रवेश से वंचित रह गए हैं। बीएसए ने ऐसे स्कूलों को चेतावनी भी जारी की है, लेकिन उसके बावजूद स्कूलों ने कोई सुनवाई नहीं की है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी बृज भूषण चौधरी ने ऐसे स्कूलों का पिछले 3 साल का डाटा मांगा है, जिनके पास बच्चों की सूची बनाकर भेजी गई है। उन्होंने कितने प्रवेश लिए हैं और कितने बच्चों को प्रवेश नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि प्रवेश नहीं लेने वाले स्कूलों के खिलाफ पिछले 3 वर्ष का डाटा निकलवा कर शासन और सीबीएससी को कार्यवाही के लिए लिखा जाएगा। उन्होंने कहा कि नियम के अनुसार निशुल्क शिक्षा के तहत प्रवेश लेना प्रत्येक स्कूल के लिए अनिवार्य है। जो स्कूल मनमानी करेंगे वह किसी भी कार्यवाही के लिए स्वयं जिम्मेदार होंगे।