जांच में लापरवाही, थाना प्रभारी व जांच अधिकारी निलंबित…

जांच में लापरवाही, थाना प्रभारी व जांच अधिकारी निलंबित…

गुरुग्राम, 10 नवंबर। हार्ले-डेविडसन बाइक हादसा मामले की जांच में लापरवाही बरतने के आरोप में डीएलएफ फेज-टू थाना प्रभारी इंस्पेक्टर अमन व जांच अधिकारी हरिओम को पुलिस आयुक्त ने निलंबित कर दिया। कार्रवाई की पुष्टि पुलिस प्रवक्ता सुभाष बोकन ने की है। लापरवाही बरतने के आरोप लगने पर पुलिस आयुक्त केके राव ने दोनों के खिलाफ जांच करने की जिम्मेदारी एसीपी को दी थी। सोमवार शाम आई रिपोर्ट देखने के बाद पुलिस आयुक्त ने थाना प्रभारी व जांच अधिकारी को तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया।

सेक्टर-57 स्थित बीपीटीपी पार्क में परिवार के साथ रहने वाले आलोक गुप्ता एक मल्टीनेशनल कंपनी में चीफ फाइनेंस आफिसर (सीएफओ) के पद पर कार्यरत थे। 23 अगस्त की सुबह वह अपने दोस्त राहुल मलिक के साथ ग्रेटर नोएडा जा रहे थे। दोनों अपनी-अपनी हार्ले डेविडसन बाइक से थे। डीएलएफ फेज टू स्थित रैपिड मेट्रो स्टेशन के नजदीक पहुंचे ही थे कि शंकर चौक की तरफ से आ रही एक तेज रफ्तार कार ने आलोक की बाइक में टक्कर मार दी थी, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई थी। कार एक नाबालिग चला रहा था। उसके साथ बगल की सीट पर भी उसका हमउम्र दोस्त बैठा था।

पुलिस जांच में सामने आया था कि दोनों ने शराब पी रखी थी। नशे में धुत किशोर कार को 120 किलोमीटर प्रतिघंटा से अधिक गति से दौड़ा रहा था, मोड़ पर गति अधिक होने से किशोर ने कार से नियंत्रण खो दिया था। घटना के बाद पुलिस जांच से आलोक के स्वजन संतुष्ट नहीं थे। वह लगातार विरोध प्रदर्शन कर केस में सख्त धारा लगाने की मांग करते रहे। आलोक की पत्नी मिहिका का आरोप था कि पुलिस ने जांच में खानापूर्ति की है। जिसके बाद पुलिस आयुक्त ने एफआइआर में धारा बदलवाने के साथ-साथ थाना प्रभारी व जांच अधिकारी की भूमिका की जांच करने के निर्देश दिए थे। पहले धारा बढ़ा चुकी है पुलिस

आलोक की पत्नी मिहिका गुप्ता ने करीब एक माह पहले पुलिस पर लापरवाही बरतने का आरोप लगा मामले में सख्त धारा लगाने की मांग की थी। मिहिका ने सगे संबंधियों के साथ मिल कई बार शांतिपूर्वक प्रदर्शन करते हुए सख्त धारा लगाने की मांग की थी। न्याय के लिए कई शहरों में प्रदर्शन हुए थे। जिसके बाद पुलिस आयुक्त के निर्देश पर पुलिस को 304 पार्ट टू यानी गैर इरादतन हत्या की धारा लगाई थी।

इसमें दोष साबित होने पर दस साल की सजा का प्रावधान है। जबकि पुलिस ने आइपीसी की 304-ए यानी लापरवाही से मौत का मामला दर्ज किया था, जिसके चलते आरोपित को तुरंत जमानत मिल गई थी। धारा बढ़ने पर आरोपित किशोर को नए सिरे से जमानत लेनी पड़ी। अभी भी नहीं संतुष्ट हैं आलोक के स्वजन

आलोक की पत्नी मिहिका गुप्ता ने कहा हमारी मांग सही जांच करने की थी। तीन माह होने को जा रहे हैं। पुलिस ने अभी तक हमारे परिवार का ठीक से बयान तक नहीं लिया। आरोपित किशोर के खिलाफ धारा बढ़ाई गई पर नाबालिग को कार की चाबी देने वाले कार मालिक के खिलाफ पुलिस ने कुछ नहीं किया। घटना वाले दिन चालक के साथ बगल की सीट में बैठे किशोर के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। जबकि वह चालक को कार तेज गति से चलाने के लिए दबाव बना रहा था। हमारा संघर्ष जारी रहेगा।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…