*याचिका दायर करने में ए-4 आकार के कागज के*
*इस्तेमाल की अपील को अभिवेदन मानें : अदालत*
*नई दिल्ली, 05 नवंबर।* दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपनी रजिस्ट्री को आदेश दिया है कि याचिकाएं दायर करने में इस्तेमाल किये जा रहे बड़े आकार के कानूनी कागजों के बजाय छोटे ए-4 आकार के कागजों का इस्तेमाल करने की मांग कर रही याचिका को अभिवेदन माना जाये। इस याचिका का मकसद कागज की बर्बादी रोकना तथा पेड़ों को बचाना है। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल एवं न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने इस मुद्दे को उठाने के लिये याचिकाकर्ता की सराहना की और कहा कि उच्च न्यायालय की नियम बनाने वाली समिति इस मुद्दे पर विचार करेगी और एक प्रशासनिक निर्णय किया जायेगा। पीठ ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि अधिवक्ता नम्रता मु कीम की ओर से दायर इस याचिका को अभिवेदन के तौर पर माना जाये और इसे समिति को भेजा जाये। इस निर्देश के साथ ही पीठ ने याचिका का निपटारा कर दिया। मुकीम ने अपनी याचिका में कहा कि उच्च न्यायालय में रिट दायर करने के लिये डबल स्पेस प्रिंटिंग और ऊपरी तथा बाईं ओर लगभग चार सेंटीमीटर के आंतरिक मार्जिन के साथ फिलहाल कानूनी आकार के पन्ने का एक ही तरफ का इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने कहा कि याचिका दायर करने के इस तरीके से पन्नों की बर्बादी होती है और सुझाव दिया कि इसके बदले ए-4 पृष्ठों का इस्तेमाल किया जाये तथा इसके दोनों तरफ प्रिंट की व्यवस्था हो ताकि कागज की बचत की जा सके। अधिवक्ता ने यह भी कहा कि याचिका दायर करने के इस तरीके को उच्चतम न्यायालय में भी अपनाया गया है और इस संबंध में शीर्ष अदालत ने पांच मार्च को आदेश दिया था। इस पर न केवल कम खर्च आता है बल्कि यह पर्यावरण के भी अनुकूल है। याचिका में उन्होंने कानूनी आकार के पृष्ठ के एक तरफ के इस्तेमाल को ”औपनिवेशिक काल की प्रथा” करार दिया, जिसे अब और ढोने की जरूरत नहीं है।