जिलाधिकारी ने कलेक्ट्रेट से प्रचार वाहनों को झंडी दिखाकर किया रवाना…
इटावा/उत्तर प्रदेश-: कृषक धान की पराली, फसल अवशेष खेत में न जलाये बल्कि इन्हें खेत में सड़ाकर खाद बनाये। खेत में पराली जलाने से खेतों की उर्वरा शक्ति कम होती है साथ पर्यावरण प्रदूषित होता है।
यह विचार जिलाधिकारी श्रृति सिंह ने कलेक्ट्रेट से कृषि विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में किसानों को जागरूक करने के उद्देश्य से प्रचार वाहनों छोटा हाथी से निकाली गयी रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना करने हुए व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि खेतों में पराली न जलाने के लिए किसानो को विभिन्न प्रचार माध्यमों से जागरूक किया जा रहा है कि खेत में पराली जलाना जमीन की उर्वरा शक्ति के लिए बहुत नुकसान दायक है। डीएम ने कहा कि यदि हमारी धरा स्वस्थ होगी तो किसान समृद्ध बनेगा। खेतों में किसानो द्वारा जो पराली जलायी जाती है उससे खेतों की उर्वरा शक्ति कमजोर होती है खेत की उर्वरा शक्ति कमजोर होने पर फसल की पैदावार धीरे धीरे कम होती जाती है। इसलिए कृषक खेतो में पराली न जलायें बल्कि पराली को एक जगह गढढा बनाकर उसमें एकत्र करें वह कुछ दिनों सड़कर खाद के रूप में तैयार हो जायेगी। उस खाद को अपने खेतो में प्रयोग करें जिससे फसलो की पैदावार मे बढ़ोत्तरी होगी। जब फसलो की पैदावार बढेगी तो उनकी आय में भी बढ़ोत्तरी होगी। इस अवसर पर उप निदेशक कृषि एके सिंह, जिला कृषि अधिकारी अभिनन्दन सिंह सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
पत्रकार नितेश प्रताप सिंह की रिपोर्ट…