हर आँखे नम तो लबों पर सदाए या हुसैन की गूँज के साथ निकला बहत्तर शहीदों का ताबूत…
करबला ए हिन्द इमामबाड़ा मोजिज़नूमा दरियाबाद से रवायती अन्दाज़ में निकाला गया करबला के बहत्तर शहीदों का ताबूत…
कोविड 19 के कारण दरियाबाद क़ब्रिस्तान नहीं ले जाया गया जुलूस,इमामबाड़ा मोजिज़नूमा के प्रांगण मे ही पण्डाल के अन्दर एक एक शहीदों के ताबूत ला कर रखे गए…
अक़िदतमन्दों की संख्या कम होने के बाद बहत्तर ताबूत इन्तेज़ामिया कमेटी के लोगों ने देर रात को बहत्तर ताबूत…
ज़ुलजनाह, झूला और अलम पर चढ़ाए गए अक़िदत के फूलों को आँसूओं का नज़राना पेश करते हुए सुपुर्देखाक किया…
प्रयागराज/उत्तर प्रदेश:- इमामबाड़ा जद्दन मीर साहब के अज़ाखाने से निकलने वाला ऐतिहासिक बहत्तर ताबूत मरजा ए कराम हुकूमते हिन्द और ज़िला प्रशासन की गाईड लाईन पर अमल करते हुए दरियाबाद क़ब्रिस्तान तक नही ले जाया गया। अन्जुमन खुद्दामे मोजिज़नुमा दरियाबाद के सद्र (अध्यक्ष) रज़ा हसनैन एडवोकेट की सदारत में बहत्तर शहीदों का ग़म मनाते हुए एक एक शहीद का ताबूत इमामबाड़ा मोजिज़नुमा से निकाल कर बाहरी हिस्से मे बनाए गए गंजे शहीदाँ मे एकत्रित कर जनाबे ज़हरा को उनके लाल हुसैन का पुरसा पेश किया गया।इमामबाड़े के अन्दर बने मंच से एक एक शहीदों की शुजा और बहादुरी के साथ हक़ और इन्सानियत की बक़ा के लिए दी गई अज़ीम क़ुरबानी का ज़िक्र होता रहा और एक एक ताबूत बाहर लाकर पण्डाल मे रखा जाता रहा। ऐतिहासिक बहत्तर ताबूत कार्यक्रम की शुरुआत मंजरुल हिन्दी की सोज़ख्वानी से हुई। बहलोले कायनात नजीब इलाहाबादी के संचालन में ज़रखेज़ नजीब ने मजलिस को खेताब करते हुए बहत्तर शहीदों की क़ुरबानी का तज़केरा किया।जौनपुर के मौलाना इन्तेज़ार आब्दी ने एक एक शहीदों का परिचय कराते हुए बारगाहे खुदावन्दी में दी गई अज़ीमुश्शान क़ुरबानी का तफसीली बयान करते हुए ताबूत बरामद कराए।सीतापुर की अन्जुमन हैदरी महमूदाबाद स्टेट के नौहाख्वान, उत्तराखण्ड के ख्याती प्राप्त नौहाख्वान अहसन मंगलौरी, भनोली सादाय सुलतानपुर की अन्जुमनसिपाहे हुसैनी ने खुसूसी नौहा पढ़ा। मंझनपुर की अन्जुमन असग़रिया क़दीम, नासिरुल अज़ा कोराली के नौहाख्वानों व मातमदारों ने इमाम हुसैन के वफादार घोड़े ज़ुलजनाह की शबीह के साथ नौहा पढ़ते हुए माहौल को संजीदा बना दिया। अन्जुमन ग़ुन्चा ए क़ासिमया बख्शीबाज़ार के नौहाख्वानों ने करबला में सोने वालों महापारों अलवेदा की सदा बुलन्द करते हुए ताबूत इमाम हुसैन के साथ साथ पण्डाल तक मातम करते हुए पुरसा पेश किया।अन्जुमन मोहाफिज़े अज़ा क़दीम के नौहाख्वान ग़ुलाम अब्बास नक़वी ने हज़रत अली असग़र के झूले की शबीह के आगे आगे नौहा पढ़ कर करबला के सबसे छोटे मात्र छैः माह के अली असग़र की शहादत पर गिरया करते हुए ग़मगीन नौहा पढ़ा।अन्जुमन नक़विया ने इमामबाड़ा मोजिज़नुमा के अहाते मे बनाए गए क़ैदखाना ए सकीना की मंज़रकशी करते हुए इमाम हुसैन की छोटी बेटी जनाबे सकीना पर ढाए गए ज़ुल्मो सितम को याद करते हुए आँसूओं के नज़राने के साथ पचरसा पेश किया। हाशिमया दरियाबाद, अन्जुमन हुसैनिया क़दीम दरियाबाद, अन्जुमन हैदरिया रानीमण्डी, अन्जुमन शब्बीरिया व अन्जुमन मज़लूमिया के नौहाख्वानों व मातमदारों ने बहत्तर शहीदों को ग़मगीन नौहा पढ़ते हुए खेराजे अक़िदत पेश की। इस मौक़े पर रज़ा हसनैन, नजीब इलाहाबादी, आफताब रिज़वी, आग़ा भाई, अमन इलाहाबादी, ज़रखेज़ नजीब, सैय्यद अज़ादार हुसैन, ताहिर मलिक, सैय्यद मोहम्मद अस्करी,ज़ामिन हसन समेत अन्य लोग मौजूद रहे।
पत्रकार इरफान खान की रिपोर्ट…