कोविड-19 महामारी में बिना किसी स्पष्ट आदेश के रोस्टर के लागू होने के बावजूद अनुपस्थित शिक्षकों का…

कोविड-19 महामारी में बिना किसी स्पष्ट आदेश के रोस्टर के लागू होने के बावजूद अनुपस्थित शिक्षकों का…

वेतन अवरुद्ध करना बेसिक शिक्षा अधिकारी लखनऊ दिनेश कुमार मनमानी दिखा रहे हैं…

लखनऊ/उत्तर प्रदेश जहां पूरे प्रदेश में कई जनपदों ने बेसिक शिक्षा अधिकारी ने शिक्षकों की सहूलियत हेतु स्पष्ट आदेश जारी करके कोविड-19 के बचाव मैं उनका सहयोग किया है वही लखनऊ के बेसिक शिक्षा अधिकारी कोई स्पष्ट आदेश ना जारी करते हुए शिक्षकों में कंफ्यूजन की स्थिति का फायदा उठाकर लगातार लखनऊ जनपद के विभिन्न ब्लॉकों के स्कूलों को चेक कर रहे हैं और बिना समय दिए स्पष्टीकरण न मांग के शिक्षकों की समस्याओं को ना जानते हुए एक दिन का वेतन अवरुद्ध करने का आदेश लगातार जारी कर रहे हैं।
पिछले 3 दिनों में मोहनलालगंज के प्राथमिक विद्यालय भावाखेड़ा,पूर्व माध्यमिक विद्यालय भावा खेड़ा,माल ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय अटारी,प्राथमिक विद्यालय रुदान खेड़ा, प्राथमिक विद्यालय मसीधा हमीर दो, यूपीएस कन्या नवी पनाह,यूपीएस नवीपनाह,प्राथमिक विद्यालय नवी पनाह1,प्राथमिक विद्यालय नवी पनाह2, प्राथमिक विद्यालय हिम्मत खेड़ा इत्यादि।सरोजनी नगर के हसनपुर खेवली तथा मलिहाबाद के प्राथमिक विद्यालय भदवाना ,प्राथमिक विद्यालय फूलचंद खेड़ा इत्यादि कई विद्यालय विद्यालयों के शिक्षकों को 1 दिन का वेतन अवरुद्ध करने का आदेश जारी करते हैं जबकि कोविड-19 महामारी एक्ट के तहत विद्यालय के स्टाफ को रोस्टर के अनुसार विद्यालय पहुंचना है।परंतु इस आदेश को दरकिनार कर बेसिक शिक्षा अधिकारी शिक्षकों पर पूरा स्टाफ उपस्थित होने का दबाव डाल रहे हैं जो कोविङ महामारी के संक्रमण को बढ़ाने के लिए बहुत ही आसान कार्य सिद्ध होगा।
प्राथमिक तथा पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में इस समय बच्चों का अवकाश है परंतु शिक्षकों को बिना किसी काम के वहां बैठना है।जब उत्तर प्रदेश के सभी विभागों में रोस्टर अनुसार कर्मचारी जा रहे हैं और महामारी का ध्यान रखते हुए अपनी सुरक्षा को सर्व परी समझते हुए कार्य कर रहे हैं तो फिर बेसिक शिक्षा विभाग से अछूता कैसे हैं?
क्यों बेसिक शिक्षा अधिकारी शिक्षकों को कोविड-19 के नियमों का पालन नहीं करने दे रहे हैं।
एक तरफ देश ही नहीं पूरा प्रदेश विशेष तौर पर लखनऊ कोविड-19 महामारी से जूझ रहा है संक्रमित लोगों का आंकड़ा दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, वही लखनऊ के बेसिक शिक्षा अधिकारी दिनेश कुमार लगातार रोस्टर लागू होने के बावजूद भी सभी शिक्षकों को विद्यालय में नियत समय से ज्यादा 2 घंटे देने का दबाव डाल रहे हैं प्रदेश के ज्यादातर जिलों में 8:00 से 1:00 तक का समय निर्धारित है परंतु लखनऊ में 7:30 से 2:30 बजे तक विद्यालयों में रुकने का दबाव बनाया जा रहा है। जो महामारी की इस विषम परिस्थितियों में शिक्षक को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का एक तरीका है।
बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों को निर्धारित किए गए सभी कार्य हो जाने के बावजूद बिना किसी रोस्टर के पूरा स्टाफ विद्यालय में बैठे इसका दबाव अपने निरीक्षण के द्वारा लगातार बना रहे हैं। यदि कोई शिक्षक किसी कारण से अनुपस्थित होता है तो बिना यह कारण जाने कि वह इस महामारी के दौर में किस समस्या से ग्रसित है उसका वेतन अवरुद्ध करने का आदेश जारी कर देते हैं।जबकि बेसिक शिक्षा सहित सभी विभागों में यह नियम है कि 7 दिन का समय स्पष्टीकरण मांगने के लिए दिया जाता है परंतु बेसिक शिक्षा अधिकारी महोदय दूसरे दिन ही वेतन वृद्धि का आदेश जारी कर देते हैं।
बेसिक शिक्षा अधिकारी लखनऊ दिनेश कुमार द्वारा जारी किया गया इस तरह के आदेश शिक्षकों के शोषण के लिए बनाया गया चक्रव्यू है क्योंकि पहले वेतन अवरुद्ध किया जाएगा और उसके बाद वेतन लगवाने के लिए शिक्षक लगातार बीएसए ऑफिस और लेखा अधिकारी के चक्कर लगाएगा।
लखनऊ में कार्यरत बेसिक शिक्षक संघ ने कई बार बेसिक शिक्षा अधिकारी से बनारस बागपत तथा अन्य जिलों के बीएसए द्वारा आदेशित आदेश का हवाला देकर स्पष्ट आदेश जारी करने का आग्रह कर चुके हैं परंतु ऐसा कोई भी आदेश दिनेश कुमार ने जारी नहीं किया और लगातार शिक्षकों के शोषण के लिए औचक निरीक्षण और बिना स्पष्टीकरण लिए वेतन काटने को आतुर है।
वर्तमान में लखनऊ के एक दर्जन से ज्यादा शिक्षक कोविड-19 महामारी से जूझ रहे हैं जिसके तहत पूरा का पूरा विद्यालय ना तो कभी सैनिटाइज कराया गया और ना ही 48 घंटे के लिए बंद किया गया।बेसिक शिक्षा विभाग लखनऊ कि यदि शिक्षकों के प्रति इस महामारी में शोषण और दमनकारी नीति जारी रही तो वाकई कोविड-19 महामारी के इतिहास में यह एक काला पन्ना सिद्ध होगा।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…