*मीडिया की स्वतंत्रता हर नागरिक की स्वतंत्रता, पत्रकारों की लड़ाई में समाज भी साथ दे*
*पत्रकारों के उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी- हेमंत तिवारी👆*
*आईएफडब्लूजे के वेबिनार में शामिल हुए कई राज्यों के पत्रकार*
*लखनऊ।* पत्रकारों की स्वतंत्रता नागरिकों की स्वतंत्रता से अलग नही है। पत्रकारों पर होने वाले हमले के विरोध में केवल मीडिया ही नही समाज के हर वर्ग को साथ आना चाहिए। विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस (वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे) के मौके पर इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट (आईएफडब्लूजे) ने प्रेस की स्वतंत्रता पर एक वेबिनार का आयोजन किया। कार्यक्रम में देश के कई राज्यों से सौ से ज्यादा लोग जुड़े। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट (सीपीजे) के भारत में प्रतिनिधि कुणाल मजूमदार ने पत्रकारों पर भारत में हाल के दिनों में हुए हमलों और उत्पीड़न को लेकर रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि हाल के दिनों में यह देखा गया है कि उत्तर प्रदेश के जिलों में सरकार ही नही बल्कि स्थानीय माफियाओं में पत्रकारों पर हमला बोलने की प्रवृत्ति बढ़ी है। उन्होंने कहा कि अवैध काम करने वाले प्रशासन की मिली भगत से पत्रकारों पर झूठे मुकदमे दर्ज करा उन्हें फंसा देते हैं। विशिष्ट वक्ता के तौर पर वरिष्ठ पत्रकार/ लेखक अभिषेक श्रीवास्तव ने कहा कि पत्रकार को समाज के अन्य वर्गों के सुख दुख से साथ खुद को जोड़ना होगा।
राज्यसभा टीवी के वरिष्ठ पत्रकार अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि भाषाई पत्रकारों का उत्पीड़न बढ़ा है और दमन के वो आसान शिकार हैं। आईएफडब्लूजे के प्रधान महासचिव परमानंद पांडे ने कहा कि संगठन सड़क से लेकर अदालत तक पत्रकारों के लिए लगातार लड़ाई लड़ रहा है। पंजाब से “आज समाज” के संपादक अजय शुक्ला ने कहा कि पत्रकारों पर हमले को रोकने के लिए संसद में कानून बने इसके लिए आईएफडब्लूजे सहित सभी को जनप्रतिनिधियों पर दबाव बनाना होगा। संगठन की विदेश सचिव गीतिका ताल्लुकदार ने असम सहित समूचे उत्तर पूर्व में पत्रकारों पर हुए हमलों की जानकारी दी। मुंबई से वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह ने जेडे हत्याकांड को याद करते हुए बताया कि कैसे महाराष्ट्र के पत्रकारों ने एकजुट होकर अपने पत्रकार साथी को इस मामले में फर्जी फंसाने को लेकर लड़ाई लड़ी। मुंबई के ही रामकिशोर त्रिवेदी ने कहा कि पत्रकारों को आपसी मतभेद भूल कर एक होना होगा।
आईएफडब्लूजे के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हेमंत तिवारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में पत्रकारों के उत्पीड़न के खिलाफ हर सरकार में लड़ाई लड़ी गयी है और आगे भी जारी रहेगी। उन्होने कहा कि पत्रकारों पर हमला दरअसल नागरिक अधिकारों पर भी हमला है। मध्यप्रदेश से आईएफडब्लूजे उपाध्यक्ष ने पत्रकारों के उत्पीड़न को लेकर लड़ी गयी लड़ाईयों में संगठन के योगदान का जिक्र करते हुए कहा कि हर दौर की सरकारों से मीडिया की स्वतंत्रता पर हमले को लेकर संगठन ने संघर्ष किया है। बंगाल से आईएफडब्लूजे की मंजरी तरफदार ने वहां के हालात बताए और कोरोना संकट में पत्रकारों के काम करने की दशा बतायी। तेलंगाना के निलेश जोशी ने पत्रकारों को सूचना पाने और उसे प्रसारित करने में आने वाले दबावों का जिक्र करते हुए कहा कि आईएफडब्लूजे को इसके लिए एक रणनीति बनानी होगी। धर्मगुरु स्वामी सांरग ने कहा कि पत्रकार अब महज कहने के लिए लोकतंत्र का चौथा खंबा है। यूपी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन (यूपीडब्लूजेयू) अध्यक्ष भास्कर दुबे ने कहा कि पत्रकारिता में गिरावट भी एक बड़ा कारण है जिस पर सोचना होगा। अंत में आईएफडब्लूजे के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.वी मल्लिकार्जुनैय्या ने सभी को बधाई देने के साथ प्रेस स्वतंत्रता के लिए संघर्ष को आज की जरुरत बताया।
आईएफडब्लूजे के इस दूसरे वेबिनार में कोषाध्यक्ष रिंकू यादव, गुजरात से वरिष्ठ पत्रकार बसंत रावत, तेलंगाना से के. प्रसाद राव, डा अशोक, यूपी से टीबी सिंह, लखनऊ इकाई के अध्यक्ष डॉ.उत्कर्ष सिन्हा, दादा हेमंत शुक्ला, राजेश मिश्रा, अजय त्रिवेदी, आशीष अवस्थी, दिल्ली से अलक्षेंद्र नेगी, सीके पांडे, आऱके मौर्य, संतोष गुप्ता, बिहार से पीपीएन सिन्हा, सुधांशु, हरियाणा से संजय जैन, उत्तराखंड से सुनील थपलियाल शामिल रहे। कार्यक्रम के संयोजक व संचालक सिद्धार्थ कलहंस ने बताया कि जल्दी इसी तरह की तकनीकी के प्रयोग से और भी बैठकों व चर्चाओं का आयोजन होगा।
*”हिंद वतन समाचार” की रिपोर्ट, , ,*