मानसिक पीड़ा के शिकार होते आज के युवा…

मानसिक पीड़ा के शिकार होते आज के युवा…

– धर्मेन्द्र बघेल
लेखक और फिल्म निर्देशक मुंबई ,राष्ट्रीय महासचिव(कला) शेफ़र्ड फैमिली ट्रस्ट

हम आधुनिक युग भारत मैं रहते है, टेक्नोलोजी ने हमें बहुत कुछ दिया मगर हमसे बहुत कुछ छीना भी है.. क्यूँ कि समाज कभी नहीं बदला न उसकी सोच बदली है.. आज कितने युवा मानसिक रोगी हो चुके हैं, मैं भी एक युवा हूँ, में भी इस दौर से गुजरा हूँ…
आज विश्व की बात करें तो सबसे ज्यादा युवा भारत मैं ही रहते है,इनका जोश और सोच देखते ही बनता है, मगर इन्होने अपनी सोच को बिकसित नहीं किया या समझो इनकी सोच पर किसी और का अधिकार है, ज्यादातर पढे लिखे योग्य युवा सिर्फ़ सरकारी नौकरी के पीछे भागते है और कई साल इसी आशा मैं निकाल देते है, कि शायद कल इनकी नौकरी लग जायेगी फिर घरवाले अच्छी लड़की देख कर शादी कर देंगे और इनकी जिम्मेदारी ख़त्म.. और सत्तर प्रतिशत युवाओं की यही सोच है.. नहीं..ये इनकी सोच नहीं हो सकती, इनके पेरेंट्स की सोच है, जो इन पर थोपी जाती है.. क्यों की वो इनको बताते है की आपकी पढाई मैं लाखों रुपया खर्च हुआ है किसी ने बैंक से लोन लिया है और किसी ने अपनी जमीन बेचीं है, और अपना हक़ इतना जमा देते है की इनके लिए ये सोचना मुश्किल हो जाता है की सही क्या है और गलत क्या है, ये बात बिलकुल सौ आने सच है, अब हर किसी की तो नौकरी नहीं लग सकती, और वही युवा जब आगे जाकर अपने परिवार को छोड़कर अकेला रहने लगता है तो उसी को फ़िर मानसिक पीड़ा दी जाती है, अब वो अपने परिवार की सुने या अपनी जिम्मेदारी पूरी करे, इसी चक्रव्यूह मैं वो ऐसे उलझता जाता है, कि फिर नहीं निकल पाता है, और उसे सामाजिक ताने अलग से मिलते है, कि जिन्होंने उसे पढ़ा लिखा कर बड़ा किया वो उनसे अलग हो गया, वो अपनी पत्नी का गुलाम हो गया बगेरहा बगेरहा..मगर इस सब के जिम्मेदार कौन है कभी सोचा है … ये वही परिवार हैं जो अपने बच्चों को मानसिक पीड़ा देते हैं, मगर ये कभी नहीं सोचते, हमने तो अपनी जिन्दगी जीली है, इन्हें तो जीने दो मगर नहीं जीने देते ये सामाजिक कुरीतियों के शिकार लोग.. और इनकी इसी सोच की वजहों से कितने युवा आज या तो आत्महत्या कर लेते हैं. .. या मानसिक रोगी बन जाते है..अगर हमें युवाओ को बचाना है तो उन्हें उनकी सोच को नहीं सामाजिक आडम्बरों और कुरीतियों को बदलना होगा..क्यूँ कि अगर युवाओं की सोच गलत दिशा मैं बदली तो नए भारत का निर्माण कभी नहीं हो सकता…

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…