गृहणियाँ बनी इस लॉक डाउन की कर्णधार…

गृहणियाँ बनी इस लॉक डाउन की कर्णधार…

– श्रीमती शशिकला पाल(महिला कार्यकर्ता राष्ट्रीय गूंज एवम जीवन बीमा अभिकर्ता)

पूरे विश्व मे जो कोरोना संकट आया है, उससे भारत वर्ष अछूता नही, जहाँ सरकार और वैज्ञानिक इस महाभयंकर बीमारी से लड़ने की उपाय योजना बनाने में व्यस्त है, वही डॉक्टर अपनी तरफ से लोगो को सचेत एवं इलाज कर रहे है, तो पुलिस विभाग सरकारी उपाययोजना को लागू करवा रही है

इन सब के बीच जो सरकार एवं वैधकीय विभाग द्वारा इस बीमारी की रोकथाम के लिए सब से कारगर सुझाव है कि सब लोग एकदूजे से मिलने की बजाय अपने घरों में रहे यानी एक सब अपने परिवार के साथ एकांतवास में चले जाएं , यह सुनने में बहुत ही सरल लग रहा है परंतु इसके पालन करना बहुत ही कठिन है, और ऐसे में इस उपाय को लागू करने में, इसका पालन करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका आती है वह है हर घर मे मौजूद उस घर की गृहणी का
वही गृहणी जो अपने आप को परिवार के हर सदस्य से चोट समझते हुए सब से महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
गृहणी फिर चाहे वो कामकाजी हो या सुद्ध रूप से गृहणी इस लॉक डाउन में उसकी सबसे महत्पूर्ण एवम अहम भूमिका है और हमसब को उसका आदर करना चाहिए
परिवार के हर बुजुर्ग एवम बच्चो को इतने दिनों तक घर मे रखना एक चुनवती है, उस गृहणी को प्यार से , दाँत के इन को घरों से बाहर निकलने से रोकना है, और वह भी बिना इन्हें कोई असुविधा दिए बगैर, गृहणियां इस लिए सुबह शाम अपने परिवार के लिए तरह तरह के व्यंजन(रसोई घर मे जो राशन उपलब्ध है)बनाती है, कुछ ऐसे कार्य निकलती है, जैसे घर की साफ सफाई, इत्यादि जिसमे घर का हर सदस्य व्यस्त हो, उनके साथ ऐसे समय व्यतीत करती है, जिससे कि समय गुजरने का पता ना चले, बहुत सी गृहणी तो इस समय परिवार के किसी अन्य सदस्य को किसी भी बहाने बाहर जाने से रोकती है, और रोज के लिए जरूरी सामान भी स्वतः ला रही है, और वह भी नियोजन करते हुए की एकबार मे कम से कम सफ्ताह भर का जरूरी सामान एकही बार मे ले आये
इस समय वे घर के हर सदस्य के लिए माँ, बेटी, बहन, बहु, पत्नी, और अगर कामकाजी हो तो अपने कार्यालय की कार्यकर्ता इन बहुमुखी भूमिका निभा रही है
तो इस लॉक डाउन में सबसे महत्पूर्ण भूमिका निभाने वाली समस्त भारतवर्ष की महिलाओं की अनदेखी ना किया जाए,और उनके सम्मान, आत्मविश्वास को उचित प्रोतसाहन किया जाना चाहिए
में स्वतः एक जीवन बीमा अभिकर्ता हूँ, और इसी वजह से लॉक डाउन से पूर्व हमे अपने काम के सिलसिले में व्यक्तियों से मिलने जाना होता था, और यह मुलाकात ज्यादातर तो अपने कार्यालय में ही होती है, परंतु कभीकभार व्यक्ति के आवास पर भी जाना होता है, और वहाँ हमने देखा है कि कार्यालय में व्यक्ति चाहे जैसा भी हो परन्तु अपने आवास में घर की गृहणी की सहमति के बगैर उसकी डाल नही गलती, यानी कि परिवार के लिए हर कदम हर फैसले पर घर की गृहणी का प्रभाव अवस्य होता है।

और इस मातृशक्ति को सच्चा सम्मान तभी दिया जाएगा जब उनकी कोशिशों को नजरअंदाज ना करते हुए सरकार द्वारा सुझाये इस लॉक डाउन का पूरे ईमानदारी से पालन किया जाए.

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…