विपक्षी दलों ने पुणे लोकसभा सीट पर उपचुनाव के संबंध में अदालत के फैसले का स्वागत किया…
पुणे (महाराष्ट्र), 14 दिसंबर । महाराष्ट्र में विपक्षी दलों ने भारत के निर्वाचन आयोग (ईसीआई) को पुणे लोकसभा सीट पर तत्काल उपचुनाव कराने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि इस निर्वाचन क्षेत्र के लोगों को लंबे समय तक प्रतिनिधित्व से वंचित नहीं छोड़ा जा सकता है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और पुणे के पूर्व महापौर मुरलीधर मोहोल ने कहा कि उच्च न्यायालय के फैसले का सम्मान किया जाना चाहिए और इसे राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि एक राजनीतिक दल के रूप में भाजपा हमेशा चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहती है। उन्होंने कहा कि पुणे लोकसभा सीट 2019 में पार्टी के उम्मीदवार गिरीश बापट ने जीती थी जिनके निधन के बाद इस सीट पर उपचुनाव कराने की आवश्यकता पड़ी है।
उच्च न्यायालय ने पुणे लोकसभा सीट पर उपचुनाव न कराने के संबंध में निर्वाचन आयोग द्वारा जारी एक प्रमाणपत्र के खिलाफ पुणे के निवासी सुघोष जोशी की याचिका पर बुधवार को यह आदेश पारित किया। यह सीट 29 मार्च को भाजपा के सांसद बापट के निधन के बाद रिक्त हो गई है।
न्यायमूर्ति गौतम पटेल और न्यायमूर्ति कमल खाटा की खंडपीठ ने उपचुनाव न कराने के निर्वाचन आयोग के कदम की आलोचना की। निर्वाचन आयोग ने कहा था कि वह 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों समेत अन्य चुनावों में व्यस्त है। अदालत ने इस कदम को ”विचित्र और पूरी तरह अनुचित” बताया।
कांग्रेस ने उच्च न्यायालय के फैसले को सत्तारूढ़ गठबंधन के घटक दल भाजपा,साथ ही निर्वाचन आयोग के लिए फटकार बताया।
कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के उपाध्यक्ष मोहन जोशी ने दावा किया, ”यह निर्वाचन आयोग और भाजपा के लिए बड़ी फटकार है जो हार के डर से उपचुनाव से बच रही है।”
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के शरद पवार गुट के पुणे शहर इकाई के अध्यक्ष प्रशांत जगताप ने अदालत के फैसले का स्वागत किया और कहा कि भाजपा इस लोकसभा सीट में उपचुनाव से बच रही है क्योंकि वह इस साल की शुरुआत में पुणे शहर में कसबा विधानसभा सीट पर उपचुनाव में हार के बाद फिर से हारना नहीं चाहती है।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…