मणिपुर राइफल्स के शिविर पर हमले की घटना के बाद इंफाल में शांति, पर हालात तनावपूर्ण…

मणिपुर राइफल्स के शिविर पर हमले की घटना के बाद इंफाल में शांति, पर हालात तनावपूर्ण…

इंफाल, 02 नवंबर । मणिपुर की राजधानी इंफाल में बृहस्पतिवार को शांति रही, लेकिन हालात अभी भी तनावपूर्ण हैं। एक दिन पहले यहां मणिपुर राइफल्स के शिविर के शस्त्रागार को लूटने की कोशिश के दौरान सुरक्षा बलों ने दो हजार से अधिक लोगों की भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हवा में कई राउंड फायरिंग की थी।

शहर में कई बाजार बंद रहे, लेकिन शैक्षणिक संस्थान, सरकारी कार्यालय और मणिपुर उच्च न्यायालय सामान्य रूप से खुले रहे, जबकि सुबह 10 बजे से कर्फ्यू में ढील के बाद सड़कों पर वाहनों की आवाजाही भी देखी गई।

प्रशासन ने प्रमुख चौराहों पर अतिरिक्त राज्य और केंद्रीय बलों को तैनात किया और पुलिसकर्मी मणिपुर राइफल्स शिविर के पास के इलाकों में गश्त कर रहे हैं।

राज्य पुलिस ने बृहस्पतिवार को कहा, ”कल हथियारबंद भीड़ द्वारा मणिपुर राइफल्स बटालियन में हथियार और गोला-बारूद लूट की कोशिश की गई थी, जिसे संयुक्त सुरक्षा बलों ने विफल कर दिया था।”

भीड़ ने बुधवार को इंफाल वेस्ट जिले में राजभवन और मुख्यमंत्री कार्यालय के करीब मणिपुर राइफल्स शिविर को निशाना बनाया था।

इसके बाद सख्ती दिखाते हुए इंफाल ईस्ट और वेस्ट जिले में अधिकारियों ने दैनिक कर्फ्यू में सुबह पांच बजे से रात 10 बजे तक की छूट को वापस ले लिया था।

हालांकि, इंफाल ईस्ट के जिलाधिकारी ने कर्फ्यू प्रतिबंध में बृहस्पतिवार को सुबह 10 बजे से शाम छह बजे तक ढील दी।

इंफाल वेस्ट में भी सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक इस तरह का प्रतिबंध हटा लिया गया।

सरकारी आदेश में कहा गया कि ”लोगों के आवासों के बाहर गतिविधियों पर लगाये गये प्रतिबंध में बृहस्पतिवार को सुबह 10 बजे से शाम छह बजे तक छूट दी गई है” लेकिन ”यह छूट किसी तरह की भीड़ जुटाने या बड़े पैमाने पर आंदोलन या विरोध प्रदर्शन या रैली करने के लिए नहीं होगी।”

राज्य की राजधानी में मंगलवार सुबह मोरेह शहर में आदिवासी उग्रवादियों द्वारा बहुसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखने वाले पुलिस उपाधीक्षक स्तर के एक अधिकारी की गोली मारकर हत्या किये जाने के बाद तनाव फैल गया था।

एक अन्य घटना में, मंगलवार दोपहर तेंगनौपाल जिले के सिनम में उग्रवादियों ने राज्य बल के एक काफिले पर हमला कर दिया था, जिसमें तीन पुलिसकर्मी गोली लगने से घायल हो गए।

इस बीच, कुकी छात्र संगठन (केएसओ) ने तेंगनौपाल जिले के मोरेह शहर में अतिरिक्त पुलिस कमांडो की तैनाती के विरोध में एक नवंबर की आधी रात से राज्य में 48 घंटे के बंद का आह्वान किया है।

तीन मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 180 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, जब मेइती समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया गया था।

मणिपुर की आबादी में मेइती लोगों की जनसंख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं। आदिवासियों में नगा और कुकी शामिल हैं।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…