हिंद-प्रशांत के लिए भारत का दृष्टिकोण विवादों के शांतिपूर्ण समाधान पर जोर देता है : सेना प्रमुख…
भारत-प्रशांत क्षेत्र की मौजूदा चुनौतियों पर आर्मी चीफ कॉन्फ्रेंस में चिंता जताई गई
अगले दो दिनों तक इंडो-पैसिफिक में शांति बनाए रखने और स्थिरता को बढ़ावा देने पर होगी चर्चा
जनरल मनोज पांडे ने भारत-प्रशांत क्षेत्र की सेनाओं के प्रमुखों से रक्षा सहयोग बढ़ाने पर की वार्ता
नई दिल्ली, 26 सितंबर। राजधानी के मानेकशा सेंटर में मंगलवार से भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका की सेनाओं की मेजबानी में शुरू हुए दो दिवसीय 13वें इंडो-पैसिफिक आर्मी चीफ कॉन्फ्रेंस (आईपीएसीसी) में भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने अपने उद्घाटन भाषण में सम्मेलन के एजेंडे पर बात की। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में इंडो-पैसिफिक निर्माण ने समकालीन भू-रणनीतिक परिसर में केंद्रीय स्थान पर कब्जा कर लिया है। इसका महत्व दुनिया की राजनीतिक सुरक्षा, आर्थिक और पर्यावरणीय क्षेत्रों में उभरती गतिशीलता का प्रतिबिंब है।
सेना प्रमुख जनरल पांडे ने कहा कि इस वर्ष के आयोजन का विषय ‘शांति के लिए एक साथ: भारत-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखना’ मौजूदा चुनौतियों से मेल खाता है। सुरक्षित, स्थिर, स्वतंत्र, खुला और समावेशी इंडो-पैसिफिक सभी देशों के लिए विकास के अवसर प्रदान करता है। इंडो-पैसिफिक देशों की भू-राजनीतिक प्रासंगिकता और भू-आर्थिक विजन इस तथ्य से स्पष्ट है कि यह दुनिया की आबादी का 65%, दुनिया की जीडीपी का 63%, दुनिया के व्यापारिक बाजार का 46% और दुनिया के समुद्री व्यापार का 50% हिस्सा है।
जनरल पांडे ने कहा कि अगले दो दिनों में हम इंडो-पैसिफिक में शांति बनाए रखने, स्थिरता को बढ़ावा देने, सैन्य कूटनीति, आत्मनिर्भरता की आवश्यकता और सैन्य प्रशिक्षण में सहयोग जैसे विषयों पर विचार-विमर्श करेंगे। सेना प्रमुख ने कहा कि हमारे सामने महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं लेकिन हमारी सामूहिक ताकत भी महत्वपूर्ण है। इसलिए खुली बातचीत और विचारों के आदान-प्रदान के माध्यम से हम चुनौतियों का समाधान ढूंढ पाएंगे। जनरल पांडे ने कहा कि यह संगोष्ठी इस बात का ज्वलंत उदाहरण है कि जब राष्ट्र एक समान उद्देश्य के साथ एक साथ आते हैं, तो क्या हासिल किया जा सकता है।
सम्मेलन में सेना प्रमुख ने आगे कहा कि उन्हें विश्वास है कि इस संगोष्ठी के जरिये इंडो-पैसिफिक को मजबूत और अधिक स्थायी बनाने के लिए साझेदारी और दृष्टिकोण को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस इंडो-पैसिफिक आर्मी चीफ कॉन्फ्रेंस से सैन्य सहयोग के लिए एक साझा दृष्टिकोण विकसित करने, सामूहिक जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देने, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने, जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों और समुदायों की सराहना करने, सैन्य आदान-प्रदान प्रयासों को बढ़ाने और रक्षा कूटनीतिक पहलों को आगे बढ़ाने का मौका मिलेगा।
जनरल मनोज पांडे ने सोमवार को सम्मेलन में भाग लेने के लिए पहुंचे भारत-प्रशांत क्षेत्र की सेनाओं के प्रमुखों के साथ रक्षा सहयोग को और बढ़ाने के तरीकों पर विचार-विमर्श करने के लिए उनके साथ व्यक्तिगत रूप से बातचीत की। उन्होंने जापान के जनरल मोरीशिता यासुनोरी, ऑस्ट्रेलियाई सेना के जनरल साइमन स्टुअर्ट, अमेरिकी सेना प्रमुख जनरल रैंडी जॉर्ज, वियतनाम पीपुल्स आर्मी के डिप्टी चीफ ऑफ जनरल स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल म्गुयेन दोआन अन्ह और केन्याई सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीटर म्बोगो नजीरू से मुलाक़ात की।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…