चांद पर भारत का झंडा लहराते ही उत्साह में झूमा नोएडा-ग्रेटर नोएडा…
नोएडा, । भारत के मिशन चन्द्रयान-3 ने इतिहास रच दिया है। चांद पर ठीक 6:03 बजे चन्द्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग ने हर भारतीय का सर गर्व से ऊंचा कर दिया है। चन्द्रयान-3 की सफल लैंडिंग होते ही नोएडा, ग्रेटर नोएडा में रहने वाले झूम उठे। शहर में कई सोसायटियों व सेक्टरों में लोगों ने घरों से निकलकर चन्द्रयान-3 मिशन की सफलता पर मिठाईयां बांटी और “भारत माता जिंदाबाद” के नारे लगाये। कुछ लोग अपने घरों में टीवी स्क्रीन पर चन्द्रयान-3 की लैंडिंग देखते रहे तो कुछ इंटरनेट पर चन्द्रयान-3 की लैंडिंग के बारे में जानकारियां लेते रहे। नोएडा-ग्रेटर नोएडा वासियों ने इसरो के वैज्ञानिकों को इस ऐतिहासिक सफलता के लिए बधाई दी है।
नोएडा के सेक्टर-28 में रहने वाले अरूण सोलंकी ने चन्द्रयान-3 की सफल लैंडिंग पर इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी और कहा कि आज हर भारतवासी के लिए गर्व का दिन है। भारत दुनिया का ऐसा पहला देश है जिसने चांद के दक्षिणी धु्रव में पहुंचने में सफलता हासिल कर अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ को भी पीछे छोड़ दिया है।
सेक्टर-34 में रहने वाली महिला उद्यमी रशमी शर्मा ने चन्द्रयान-3 की सफलता के लिए केन्द्र सरकार तथा इसरो के वैज्ञानिकों को सराहा। उन्होंने कहा कि आज भारत ने इतिहास रच दिया है। हमारा देश इतने कम समय में अंतरिक्ष में ऐसा बड़ा इतिहास रचेगा इसका आभास दुनिया भर को नहीं था। इसरो के वैज्ञानिकों की मेहनत रंग लाई है।
व्यवसायी राघव मेहता चन्द्रयान-3 की सफलता पर कहा कि चांद तो केवल शुरूआत है इसरो को तो मंगल और शुक्र तक जाना है। भारत के इस मिशन ने महाशक्ति अमेरिका और चीन को भी दिखा दिया है कि आने वाला समय भारत का है। आज दुनिया भर में इस मिशन की सफलता ने हर भारतवासी का सर गर्व से ऊंचा कर दिया है।
चन्द्रयान-3 का 41 दिन का सफर : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी (इसरो) के वैज्ञानिक बीते 14 जुलाई 2023 की दोपहर 14.35.17 बजे पर खुशी से झूम उठे जब चन्द्रयान-3 ने सफल उड़ान भरी। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया गया था। इसरो का पिछला मून मिशन ‘चंद्रयान-2’ आखिरी दौर में फेल हो गया था। चंद्रयान-3 को पिछली गलतियों से सबक लेकर डिजाइन किया गया था। भारत से पहले केवल अमेरिका, रूस और चीन ही चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कर पाए हैं। इसरो ने चंद्रयान-3 को कई तरह के टेस्ट से गुजारा है ताकि चंद्रयान-2 जैसी चूक न होने पाए।
‘चंद्रयान’ भारत का महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष प्रोजेक्ट है। इसके जरिए भारतीय वैज्ञानिक चांद के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी हासिल करना चाहते हैं। 2003 के स्वतंत्रता दिवस संबोधन में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने चांद से जुड़े मिशन की घोषणा की थी। इसरो ने 2008 में चंद्रयान-1 लॉन्च किया। वह डीप स्पेस में भारत का पहला मिशन था। 2019 में चंद्रयान-2 को लॉन्च किया गया था।
चंद्रयान-2 में जहां ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर थे। वहीं, चंद्रयान-3 में प्रपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर हैं। चंद्रयान-3 का लैंडर+रोवर चंद्रयान-2 के लैंडर+रोवर से करीब 250 किलो ज्यादा वजनी है। चंद्रयान-2 की मिशन लाइफ 7 साल (अनुमानित) थी, वहीं चंद्रयान-3 के प्रपल्शन मॉड्यूल को 3 से 6 महीने काम करने के लिए डिजाइन किया गया है। चंद्रयान-2 के मुकाबले चंद्रयान-3 ज्यादा तेजी से चांद की तरफ बढ़ा था। चंद्रयान-3 के लैंडर में 4 थ्रस्टर्स लगाए गए हैं।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…