2047 में विकसित भारत का तिरंगा फहराएंगे : मोदी…

2047 में विकसित भारत का तिरंगा फहराएंगे : मोदी…

नई दिल्ली, 15 अगस्त। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशवासियों खासकर युवाओं का वर्ष 2047 में विकसित भारत के निर्माण के लिए शुचिता, पारदर्शिता एवं निष्पक्षता के सिद्धांतों पर काम करने का मंगलवार को आह्वान किया और कहा कि वह भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टीकरण की बुराइयों को दूर करने के लिए जुटे रहेंगे।
श्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘मेरी नीति साफ है और नीयत पर कोई सवालिया निशान नहीं है। सच्चाई को स्वीकार करके उसके समाधान के लिए आगे बढ़ना होगा। मैं आज आपसे मदद और आशीर्वाद मांगने आया हूं कि देश की समस्याओं को गंभीरता से लेना है। वर्ष 2047 में जब देश आज़ादी के 100 वर्ष पूरे करेगा, तब दुनिया में विकसित भारत का तिरंगा फहराएंगे। हमारे संकल्प में रत्ती भर भी कमी नहीं आएगी।”
उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए शुचिता, पारदर्शिता और निष्पक्षता पहली जरूरत है। यह हमारा सामूहिक दायित्व है। 75 साल के इतिहास में भारत का सामर्थ्य कम नहीं हुआ। जो देश सोने की चिड़िया था, वह साल 2047 में देश की आज़ादी के शताब्दी वर्ष में फिर से उसी वैभव से खड़ा होगा। उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में 30 साल से कम आयु के सबसे अधिक लोग भारत में हैं। देश की युवा शक्ति, नारी शक्ति और आम मानवीय की शक्ति पर भरोसा है कि आजादी के 100 वर्ष पूरे होने पर देश वर्ष 2047 में विकसित राष्ट्र बनकर रहेगा।”
उन्होंने कहा, ‘‘हमें यह संकल्प लेना है कि वर्ष 2047 में हमारा तिरंगा एक विकसित राष्ट्र का राष्ट्रीय ध्वज होगा।
देश आज हमारी माताओं-बहनों के सामर्थ्य से आगे बढ़ा है। आज देश प्रगति की राह पर चल पड़ा है तो हमारे किसान भाई-बहनों का पुरुषार्थ है, यह उनका ही परिश्रम है कि देश आज कृषि क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है।”
प्रधानमंत्री ने भारत के विकसित राष्ट्र बनने में तीन चुनौतियों को सबसे बड़ी बाधा करार देते हुए सभी से इनसे मिलकर लड़ने का आह्वान किया और कहा कि ये तीन चुनौतियां भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टिकरण की नीति हैं और सभी को इनके सफाये के लिए संकल्प लेना होगा। उन्होंने कहा कि वह इन समस्याओं को जड़ से मिटाने के लिए निरंतर काम करते रहेंगे।
उन्होंने कहा कि यह आंख बंद करने या आंख मिचौनी का समय नहीं है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार ने देश के सामर्थ्य और व्यवस्था को बुरी तरह से नोचा है, लेकिन इस दीमक से अब मुक्ति पाने का समय आ गया है। उन्होंने कहा, ‘‘यह मेरी प्रतिबद्धता है कि मैं इससे लड़ता रहूंगा।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि परिवारवाद की बुराई ने देश को जकड़ रखा है, लोगों का हक छीना है। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से राजनीतिक पार्टियों में परिवारवाद ने देश के हक को मारा है और लोकतंत्र को कमजोर किया है। इन पारिवारवादी पार्टियों का एक ही मंत्र है कि ये परिवार की, परिवार द्वारा और परिवार के लिए ही होती हैं।
श्री मोदी ने कहा कि तुष्टिकरण की नीति ने देश के राष्ट्रीय चरित्र को दाग लगाया है और उसे तहस -नहस कर दिया है। उन्होंने कहा कि सभी को इन बुराइयों से मिलकर लड़ना है। उन्होंने देशवासियों को परिवारजन बताया और कहा कि तुष्टिकरण ने देश की आकांक्षाओं का दमन किया है और अब इसका दमन करना जरूरी है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘इतिहास में एक कालखंड की एक छोटी सी घटना ने देश पर दीर्घकालिक प्रभाव डाला और देश ने एक हजार साल की गुलामी झेली और आज हम ऐसे संक्रमण काल में खड़े हैं, जहां हमारे कार्य आने वाले 1000 वर्ष तक भारत के भविष्य की दिशा निर्धारित करेंगे। हम जो भी करेंगे, जो भी कदम उठाएंगे, जो फैसला लेंगे, वह अगले एक हजार साल तक अपनी दिशा निर्धारित करने वाला है, भारत के भाग्य को लिखने वाला है।”
प्रधानमंत्री ने देशवासियों विशेष रूप से युवाओं से देश को विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लेने तथा उन संकल्पों को सिद्ध करने की दिशा में कार्य करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा,“ हम अमृतकाल में प्रवेश कर गये हैं जो हमें हजार वर्षों के स्वर्णिम युग में ले जायेगा। देश और दुनिया का भारत में असीम विश्वास एवं भरोसा है और उनकी भारत से बहुत बड़ी अपेक्षा है।”
उन्होंने कहा, ‘‘भारत के अमृतकाल के कालखंड में हम जितना त्याग करेंगे, आने वाले एक हजार वर्ष का स्वर्णिम इतिहास उससे अंकुरित होने वाला है। हमारे पास डेमोग्राफी, डेमोक्रेसी और डायवर्सिटी की त्रिवेणी है जो भारत को बहुत आगे ले जायेगी।”
श्री मोदी ने इस मौके पर विश्वकर्मा योजना की घोषणा करते हुए कहा कि इसे जमीनी स्तर पर लागू कर अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाया जायेगा। इस योजना के अंतर्गत सुनार, सुतार, राजमिस्त्री, धोबी, नाई आदि वर्ग के लोगों को परंपरागत औज़ारों की जगह नये तकनीकी उपकरण मुहैया कराये जाएंगे। इसके लिए 13 से 15 हजार करोड़ रुपए खर्च किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जन औषधि केन्द्रों की संख्या 10 हजार से बढ़ा कर 25 हजार की जाएगी। उन्होंने रिफॉर्म, परफॉर्म एवं ट्रांसफॉर्म को अपना कार्य मंत्र बताया।
प्रधानमंत्री ने मणिपुर को लेकर देश की चिंताओं को भी रखा और कहा कि मणिपुर बड़ी समस्या से जूझ रहा है। उन्होंने मणिपुर के लोगों को आश्वस्त किया कि इस नाजुक घड़ी में समूचा देश उनके साथ खड़ा है। उन्होंने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा मणिपुर में शांति बहाली के सभी प्रयास किये जा रहे हैं और इन प्रयासों से वहां शांति लौट रही है तथा उन्हें विश्वास है कि रास्ता जरूर निकलेगा और वहां जल्द शांति बहाली होगी।
श्री मोदी महंगाई की समस्या पर भी बोले और कहा कि युद्ध के कारण पूरा विश्व महंगाई से परेशान है। हम भी महंगाई से पीड़ित हैं, लेकिन वह इसे भी दूर करने का हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश के विकास को लेकर क्षेत्रीय आकांक्षाओं का समाधान करना जरूरी है। इसीलिए उनकी सरकार देश के सभी क्षेत्रों के संतुलित विकास की योजनाओं पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि देश के साढ़े 13 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से निकाल कर नये मध्य वर्ग में शामिल करने में कामयाबी मिली है। गरीब की क्रय शक्ति जब बढ़ती है तो मध्यम वर्ग की कारोबारी शक्ति एवं आर्थिक समृद्धि बढ़ती है और इससे अर्थव्यवस्था का चक्र तेज़ होता है।
प्रधानमंत्री ने अपने करीब डेढ़ घंटे के भाषण में अपनी सरकार के नौ साल के कामकाज का उल्लेख किया और अगले लोकसभा चुनाव में जीत का विश्वास व्यक्त करते हुए यह भी कहा कि वह अगले वर्ष भी लालकिले से देश को संबोधित करेंगे।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…