लखनऊ।हिन्द वतन समाचार…
देश के प्रधानमंत्री को डंडों से पीटने की बात कहना…
बेहद घटियापन का सबूत है?…
राहुल गाँधी की दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचार करते देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर की गयी टिप्पणी बेहद निंदनीय है , देश के प्रधानमंत्री को डंडों से पीटने की बात कहना बेहद घटियापन का सबूत है।
सामने वाला कितना भी घटिया और निम्न हो , अपने स्तर को तो ऊँचा रखना ही चाहिए। निश्चित रूप से उस राहुल गाँधी की भाषा से मुझे दुख पहुँचा है जो अपने कार्रकर्ताओं को प्यार और अहिंसा का संदेश सदैव देते रहे हैं। उनकी यह भाषा अपने ही व्यवहार के विरुद्ध है।
राहुल गाँधी से मेरी मुलाकात है और घंटों की बातचीत है , मुझे यह शख्स अपने विचारों के प्रति तो कट्टर लगता है पर राजनैतिक रूप से अपरिपक्व लगता है।
पता नहीं इनका राजनैतिक सलाहकार कौन है ? जो इनको ऐसी सलाह देता है कि हर कुछ दिन बाद यह ऐसी हरकत करते हैं की अपनी बन रही गंभीर छवि को तोड़ कर फिर “पप्पू” बन जाते हैं।
राहुलगाँधी को “पप्पू” छवि बनाने में भाजपा और संघ का जितना हाथ है उससे अधिक हाथ तो स्वयं राहुल गाँधी का है जो अपनी हरकतों से खुद को “पप्पू” बनाए रखे रहते हैं।
इसके कुछ उदाहरण बिल्कुल स्पष्ट हैं
जब देश में कोई बड़ी राजनैतिक घटना होती है और देश राहुल गाँधी को ढूढता है तब यह शख्स विदेश में मिलता है , मेरी समझ में नहीं आता कि यह शख्स इतनी विदेश यात्राएँ करता ही क्युँ है ?, सबसे महत्वपुर्ण है इनकी हर विदेश यात्राओं का गोपनीय और रहस्यमयी होना। यह राहुल गाँधी की विश्वसनीयता को खंडित करता है।
जब भी देश में राजनैतिक रूप से आगे आने का अवसर होता है यह शख्स या तो पीछे रहता है या कोई ऐसी हरकत करता है कि अवसर का लाभ उठाकर अपनी राजनैतिक परिपक्वता दिखाने की जगह खुद का मज़ाक बना लेता है। तब जबकि एक पूरा विशाल नेटवर्क इनकी इस हरकत के इंतज़ार में रहता है।
एक राजनैतिक व्यक्ति का निजी जीवन भी बिल्कुल स्पष्ट और पारदर्शी होना चाहिए , जो कि राहुल गाँधी का नहीं है , उनके विवाह को लेकर लगातार संदेह बना हुआ है , 50 साल की आयु में कोई सामान्य व्यक्ति विवाह अविवाहित हो यह बहुत कम देखा गया है , या तो वह घोषणा ही कर दें कि “विवाह नहीं करूँगा”।
राहुल गाँधी की नियत और विचारधारा , शेष काँग्रेसियों की अपेक्षा बिल्कुल स्पष्ट और दृढ़ है पर इतने बड़े परिवार के होकर भी यदि भाषण कला की ट्रेनिंग नहीं ले पाए तो यह भी उनकी राजनैतिक अकुशलता ही है और इसी कारण वह अपने भाषणों में गलतियाँ करते हैं , उनकी ज़बान फिसलती रहती है।
राहुल गाँधी ने यदि डाक्टर मनमोहन सिंह सरकार में 10 साल किसी मंत्रालय का मंत्री बनकर अपनी योग्यता देश को दिखाई होती तो आज वह “पप्पू” की छवि से बच गये होते , पर उन्होंने स्वयं इस अवसर को खो दिया।
काँग्रेस का अध्यक्ष पद ज़िद करके छोड़ना राहुल गाँधी के राजनैतिक जीवन की सबसे बड़ी गलती है , संसद में अपनी पार्टी का नेता का पद ना लेना उनकी सबसे बड़ी गलती है , संसद में अनेक अवसरों पर बहस में शामिल ना होकर अनुपस्थित रहना उनकी गंभीरता को नष्ट करता है और वह खुद की हरकतों से “पार्ट टाईम पालिटीशियन बन गये।
देश अंधा नहीं है , वह देखता है कि जो व्यक्ति अपनी पार्टी का नेतृत्व नहीं कर सकता , संसद में अपनी पार्टी का नेतृत्व नहीं कर सकता वह देश का नेतृत्व क्या करेगा ? जो व्यक्ति संसद में अपनी बात रखने से भागता हो वह विश्व में भारत की क्या बात रखेगा ?
मणिशंकर ऐय्यर ने नरेन्द्र मोदी को “नीच” कहा था , राहुल गाँधी ने उनको पार्टी से निलंबित कर दिया था , अब वह स्वयं देश के प्रधानमंत्री को डंडे मारने की बात कर रहे हैं तो वह खुद पर क्या ऐक्शन लेंगे ?
माफ कीजिएगा , मुझे तीन चार लोगों के राजनैतिक रूप से बर्बाद होने पर तरस आता है , इन लोगों को तुरंत अपना राजनैतिक सलाहकार और निजी सचिव बदल लेना चाहिए।
मैंने गलत राजनैतिक सलाहकारों के कारण एक से एक लोगों को ध्वस्त होते देखा है , राहुल गाँधी अपनी विचारधारा को लेकर बेहद दृढ़ , इमानदार और ज़िद्दी हैं , उनका ध्वस्त होना उस विचारधारा के लिए ही घातक है।
राजनैतिक लोगों को अपने आसपास , सलाह लेने के लिए परिपक्व लोगों को रखना चाहिए , जो कम से कम सही और गलत की समझ रखता हो। माफ कीजिएगा , राहुल गाँधी जेएनयू के कुछ लंपटों से घिरे हुए हैं , उनकी बर्बादी का वही कारण भी हैं।
राहुल गाँधी को मोदी पर दिए बयान के लिए माफी माँगना चाहिए।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…