अंतरराष्ट्रीय चावल संस्थान एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के बीच कार्य योजना पर हस्ताक्षर…
अनुसंधान के ज़रिए कृषि और किसानों के विकास के साझा उद्देश्यों को पूरा करने का लक्ष्य
वाराणसी, । अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (इरी) के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने बुधवार को पंचवर्षीय कार्य योजना पर हस्ताक्षर किया। दोनों संस्थानों ने अपने साझेदारी को नवीनीकरण करने के साथ अगले पांच वर्षों के लिए शोध और विकास गतिविधियों को मजबूत करने पर बल दिया है।
कार्ययोजना में प्रमुख नवाचारों और अनुसंधान जैसे धान की सीधी बिजाई प्रणाली, चावल की विभिन्न किस्मों की पोषण गुणवत्ता में वृद्धि और जलवायु समन्वय क्षमता प्रणाली के विकास को अपनाना है। इस अवसर पर आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने कहा कि भारत को एक समृद्ध राष्ट्र बनाने के लिए आवश्यक है कि हमारे देश की कृषि समृद्धि की ओर बढ़े। इस स्वप्न को साकार करने के लिए चावल की खेती को विकसित करना आवश्यक है। इस कार्य-योजना के माध्यम से हमारा प्रयास रहेगा कि हम अनुसंधान के ज़रिए कृषि और किसानों के विकास के अपने साझा उद्देश्यों को पूरा करने में सदा तत्पर रहेंगे।
डॉ. पाठक ने कहा कि देश में चावल अनुसंधान के लिए (आई.सी.ए.आर )और इरी की प्राथमिकताओं के आधार पर 2023 से 2027 के लिए पारस्परिक सहयोग से पांच व्यापक क्षेत्रों की पहचान की गई है। इरी की ‘वन राइस ब्रीडिंग’ रणनीति का उपयोग करके उच्च आनुवंशिक लाभ के साथ बाजार आधारित चावल की किस्मों को विकसित करने के लिए एक रूपरेखा बनायेंगे।
कार्यक्रम में इरी के महानिदेशक डॉ. जीन बैले ने कहा कि दोनों संस्थान वर्ष 1965 से एक साथ मिलकर अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में लगातार कार्य कर रहें हैं। वर्तमान कार्य योजना, अपनी संरचना और लक्ष्यों में व्यापक है और भारत की आकांक्षाओं के अनुरूप है। कार्यक्रम में दोनों संस्थानों के शीर्ष और स्थानीय आला अफसर मौजूद रहे।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…