वीकेंड मस्ती के लिए दिल्ली के आसपास भी है खूबसूरत लोकेशन…

वीकेंड मस्ती के लिए दिल्ली के आसपास भी है खूबसूरत लोकेशन…

लंबे समर वैकेशन की शुरुआत होने वाली है। फैमिली या फिर फ्रेंड्स के साथ वीकेंड का लुत्फ उठाने का सही समय है। अगर आप प्लानिंग बना रहे हैं, तो दिल्ली के आसपास भी काफी खूबसूरत जगहें हैं…

दिल्ली के आसपास मात्र 150 से 250 किलोमीटर की दूरी पर सड़क या रेलमार्ग से दो से पांच घंटों की यात्रा करके कई पर्यटन स्थलों की सैर की जा सकती है। इनमें ट्रैकिंग, रिवर रॉफ्टिंग, बोटिंग, बंगी जंपिंग, माउंटेनियरिंग जैसे साहसिक खेलों के साथ-साथ एम्यूजमेंट पार्क, ऐतिहासिक स्थलों, भव्य प्राचीन स्मारकों और इमारतों, जंगल-सफारी, तीर्थस्थलों को देखने के अलावा, भरपूर खरीदारी और विविध खानपान का लुत्फ उठाया जा सकता है। हमने आपके वीकेंड को यादगार बनाने के लिए ऐसे कुछ खूबसूरत, खुशनुमा डेस्टिनेशन का चयन किया है।

लैंसडाउन

सबसे पहले चलते हैं उत्तराखंड की ओर। दिल्ली-मेरठ-मवाणा-बिजनौर- नजीबाबाद-डुगुड्डा-लैंसडाउन, यह दिल्ली से लैंसडाउन पहुंचने का रास्ता है। यह कोटद्वार से 42 किमी. और दिल्ली से करीब 240 किमी. की दूरी पर है। वर्ष 1887 में लॉर्ड लैंसडाउन ने इसकी स्थापना की थी, इसलिए उनके नाम पर इस जगह का नामकरण किया गया। यह मूलतः अंग्रेजों के बीच एक लोकप्रिय पर्वतीय स्थल था। अब यहां भारतीय सेना के मशहूर गढ़वाल राइफल्स का मुख्यालय है। यह छावनी क्षेत्र है। यह बहुत व्यवस्थित और साफ-सुथरी जगह है। शहर के कोलाहल से दूर प्रकृति के सानिध्य का लाभ उठाना चाहते हैं, तो दिल्ली के नजदीक लैंसडाउन बेहतरीन जगह है। देवदार, चीड़, बुरांश, बांज, काफल आदि के जंगल से घिरा व हिमालय की गगनचुंबी चोटियां चैखम्बा, बंदर पूंछ, नीलकंठ, भुल्ला ताल लेक, दूधातोली के दर्शन कराता लैंसडाउन के निकट टिप इन टॉप, सिद्ध बल मंदिर भैरव गढ़ी, कालेश्वर, कण्वाश्रम आदि दर्शनीय स्थल हैं।

वृंदावन-मथुरा-आगरा
ये उत्तर प्रदेश के बहुत पुराने और लोकप्रिय गंतव्य हैं, पर हैं सदाबहार। दिल्ली से वृंदावन की दूरी मात्र 155 किलोमीटर है। इन तीन जगहों की यात्रा एक वीकेंड में बारी-बारी से मात्र एक या दो रात रुक कर की जा सकती है। दिल्ली से सड़क मार्ग से सुबह प्रस्थान कीजिए और दो घंटे में भगवान कृष्ण की नगरी वृंदावन पहुंच जाएंगे। वृंदावन को मंदिरों की नगरी कहें, तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। राधा वल्लभ मंदिर, जयपुर मंदिर, श्री राधा रमण मंदिर, शाह जी मंदिर, गोविंद देव जी मंदिर, श्री कृष्ण-बलराम मंदिर, राधा दामोदर मंदिर, बांके बिहारी मंदिर, मदन मोहन मंदिर आदि यहां के दर्शनीय और महत्वपूर्ण मंदिर हैं। वृंदावन से 33 किलोमीटर की दूरी पर है भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा जहां भगवान का जन्म हुआ था। मथुरा में भी भगवान कृष्ण की सर्वव्यापकता है।

भगवान की जन्मस्थली की जगह एक अतिप्राचीन मंदिर केशव देव मंदिर है। इस प्राचीन तीर्थ में किंवदंतियों से जुड़े कई दर्शनीय स्थल हैं, जिनमें द्वारकाधीश मंदिर, कृष्ण जन्मभूमि, कंस किला, विश्राम घाट अवश्य देखना चाहिए। मथुरा के पेड़े और रूद्राक्ष तो मशहूर हैं ही। इसके अलावा यहां के खानपान भी स्वादिष्ट होते हैं। पूरे दिन वृंदावन और मथुरा घूमने के बाद रात्रि में मथुरा में विश्राम कर सकते हैं। पुनः सुबह आगरा के लिए निकल पड़िए। रास्ते में तकरीबन 32 किलोमीटर की दूरी पर फतेहपुर सीकरी पडे़गा, जो अपने किले, बुलंद दरवाजा, शेख सलीम चिश्ती की मजार के लिए मशहूर है। लाल सैंड स्टोन से बने फतेहपुर सीकरी का निर्माण अकबर ने करवाया था। इसका निर्माण काल वर्ष 1571 से 1585 के बीच है। यह मुगल स्थापत्य कला का बेहतरीन उदाहरण है। यहां से 37 किलोमीटर की दूरी पर आगरा है। यह मुगल काल का एक उल्लेखनीय गर और मोहब्बत के बेमिसाल स्मारक ताज महल के लिए विश्वविख्यात है।

मगर ताजमहल का अद्भुत सौंदर्य चांदनी रात में गजब का निखर जाता है। आगरा के पेठे, चमड़े के जूते-चप्पल, ताजमहल की प्रतिकृति जो कि टॉकस्टोन की बनी होती है और कई सजावटी सामान यहां से खरीदे जा सकते हैं। आगरा और इसके आसपास कई दर्शनीय स्थल हैं। सिकंदराबाद में अकबर द्वारा निर्मित मकबरा है और यहीं अकबर की कब्र है। यह स्मारक हिंदू, मुस्लिम, इसाई, बौद्ध और जैन स्थापत्य कला का सुंदर संगम है। चीनी-का-रोजा भी दर्शनीय है। आगरा से 15 किमी. की दूरी पर राधास्वामी मत के संस्थापक की समाधि है, जो दयाल बाग के नाम से मशहूर है। नूरजहां के पिता का मकबरा एतमाद-उद-दौला मीनार, अकबर की पत्नी की याद में निर्मित मरियम मकबरा और बाबर द्वारा भारत में मुगलों के हाथों निर्मित पहले उद्यान राम बाग का भ्रमण भी जरूर करना चाहिए। देर शाम तक पूरे आगरा का भ्रमण करने के पश्चात आप वापस दिल्ली के लिए रवाना हो सकते हैं। दिल्ली आगरा के बीच की दूरी करीब 210 किमी. है। एक्सप्रेस वे के कारण यह दूरी काफी कम हो गई है।

दमदमा
दिल्ली-गुड़गांव-बादशाहपुर-दमदमा यही मार्ग है दमदमा लेक तक पहुंचने के लिए। दिल्ली से एनएच 8 होते हुए यह करीब 63 किलोमीटर की दूरी पर है। यह गुड़गांवअलवर मार्ग पर स्थित है। अरावली के निकट स्थित यह स्थान फन-ट्रिप यानी मौज-मस्ती, पिकनिक आदि के लिए बेहतरीन है। झील में तरह-तरह की बोटिंग की व्यवस्था है। यहां पूरे दिन अनेक प्रकार की पिकनिक एक्टिविटीज सुविधाओं से युक्त बेहतरीन रिजॉर्ट हैं, जहां आप नाइट स्टे भी कर सकते हैं।

बहरोड
बहरोड वीकेंड के लिए एक आदर्श गंतव्य है। यह दिल्ली-गुड़गांव-धारुहेड़ा होते हुए दिल्ली से करीब 120 किमी. की दूरी पर है। राजस्थान के अलवर जिले में स्थित बहरोड में रोर समुदाय द्वारा स्थापित विशाल किला देखने लायक है। यहां करीब 10 एकड़ क्षेत्र में विकसित हरियाली का सौंदर्य उल्लेखनीय है। इसके अलावा, सुकून से वीकेंड गुजारने के लिए यहां आरामदायक रिजॉर्ट भी हैं। बहरोड के पास ही स्थित है मशहूर नीमराणा किला, तरंग सुल्तान का मकबरा, सरिस्का बाघ अभयारण्य आदि। यह दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग 8 पर स्थित है। सरिस्का में पर्यटन का मतलब है निकट ही स्थित दो और मजेदार स्थलों की सैर। पहला सिलीसढ़ झील और दूसरा भानगढ़। सरिस्का से 30 किलोमीटर की दूरी पर सिलीसढ़ झील आकर्षक पिकनिक स्थल है, जहां बोटिंग का अपना ही लुत्फ है। भानगढ़ पुराने भुतहा महल के कारण भी काफी मशहूर है। कहते हैं यहां शाम के बाद रुका नहीं जा सकता। इन दोनों जगहों में भ्रमण कीजिए और ठहरिए अलवर में।

नीमराणा
राजस्थान के अलवर शहर में स्थित नीमराणा दिल्ली-जयपुर हाइवे पर है, जो एक प्राचीन दर्शनीय स्थल है। यह स्थान 14वीं शताब्दी में चैहानों द्वारा निर्मित पहाड़ी किले के लिए मशहूर है। ये चैहान पृथ्वीराज चैहान के वंशज कहे जाते हैं। इस किले को होटल में तब्दील कर दिया गया है। नीमराणा दिल्ली से करीब 122 किमी. की दूरी पर है। यहां एक और ऐतिहासिक किला केसरोली है, जिसे सबसे प्राचीन धरोहर स्थल का दर्जा प्राप्त है। इतिहासकारों के अनुसार यह महाभारत कालीन मत्स्य जनपद था। यहां अतिप्राचीन बौद्ध विहार के अवशेष और पांडुपोल भी हैं। माना जाता है कि अपने निर्वासन काल के अंतिम दिनों में पांडवों ने यहां वास किया था। नीमराणा फोर्ट पैलेस ठहरने के लिए एक शानदार जगह है।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…