बचना संभव है मधुमेह से…

बचना संभव है मधुमेह से…

मधुमेह कोई आधुनिक बीमारी नहीं है किंतु आधुनिक युग या जीवन की भाग दौड़ मानसिक तनाव, खान पान की बिगड़ी हुई आदतों आदि कारणों से आधुनिक युग में इसका प्रसार इतनी तीव्रता से हो रहा है कि आज के संदर्भ में इसका न होना एक विकृति कहा जा सकता है। मधुमेह अत्यन्त प्राचीन रोग है फिर भी इस के मूल कारण आज भी अज्ञात है। इस रोग का संबंध रक्त की सामान्य अवस्था में उसमें उपस्थित शक्कर की मात्रा से है। रक्त शर्करा के असंतुलित होने पर इस रोग की उत्पत्ति होती है। सामान्यतः मनुष्य के प्रति 100 मिली रक्त में 80 से 100 मि.ग्रा. शक्कर की मात्रा होती है। जब रक्त में शक्कर की मात्रा बढ़ जाती है तो यह मूत्र परीक्षण में दिखाई देने लगती है। मधुमेह के लिए मुख्य रूप से इंसुलिन की कमी या अपेक्षाकृत हल्की किस्म के इंसुलिन के स्राव को उत्तरदायी माना जाता है।

अन्य ग्रंथियों से स्रावित रसों की अधिकता से भी यह रोग प्रकट हो सकता है किन्तु मुख्य रूप से इंसुलिन की कमी ही इस रोग की जन्मदात्री है। इंसुलिन अग्नाशय ‘पेंक्रियाज’ नामक ग्रंथि से निकलने वाला स्राव है। यह कुछ हद तक भोजन को पचाने का कार्य करता है परन्तु मुख्य रूप से शक्कर की मात्रा को ही नियंत्रित करता है। इस रस की असक्रियता या अल्प सक्रियता से शक्कर की सामान्य मात्रा रक्त में नहीं रह पाती एवं 180 मि.ग्रा. प्रति 100 मि.ली. की होने पर गुर्दों में छनकर मूत्र के साथ बाहर आ जाता है।

मधुमेह का प्रकट होना या न होना अन्य बातों पर निर्भर है। 1. स्थूल शरीर को इंसुलिन की अत्यधिक मात्रा में आवश्यकता होती है। आरंभ में अन्नाशय में अधिक इंसुलिन का निर्माण भी होता है किंतु कालान्तर में धीरे-धीरे स्राव के बनने की गति कम हो जाती है और उसकी किस्म में भी गिरावट आ जाती है। 2. महिलाओं में मासिक धर्म में अनियमितता एवं अन्य विकारों का उत्पन्न होना अधिक वजन के बच्चे को जन्म देना या गर्भावस्था में ही बच्चे की मृत्यु हो जाना। 3. पुरूषों में लैंगिक शिथिलता, अशक्तता या नपुंसकता आ जाना। उपयुक्त लक्षणों में से किसी का भी हल्का सा आभास प्राप्त हो तो तुरन्त ही मूत्र एवं रक्त की जांच करा लेनी चाहिए। मधुमेह अनेक रोगों का जन्मदाता है जैसे मोतियाबिंद, गुर्दों की खराबी, शारीरिक कमजोरी आदि। मधुमेह से बचने के लिए निम्न बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।

-दो मधुमेही परिवारों में विवाह संबंध नहीं होना चाहिए क्योंकि इसे वंश परम्परा रोग माना गया है।
-मोटापे से बचने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि मोटापा ही इस रोग का घर माना जाता है।
-मानसिक तनाव एवं भावनात्मक आघातों से बचने का प्रयास करना चाहिए।
-गर्भावस्था में गर्भिणी की समुचित देखभाल की जानी चाहिए तथा समय-समय पर रक्त व मूत्र की जांच करनी चाहिए।
-संक्रमण होने पर तुरन्त शक्कर का उपयोग बंद कर डाक्टर की सलाह पर मूलतः इंसुलिन का इंजेक्शन लगवाना चाहिए।
-प्रतिदिन नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए व सुबह, शाम सैर करनी चाहिए। इससे शरीर की मांसपेशियों को शक्कर की मात्रा प्राप्त होती है तथा शक्कर नियंत्रित मात्रा में रहती है।
-शारीरिक श्रम से जी नहीं चुराना चाहिए।

यही कारण है कि जवान मनुष्यों की अपेक्षा प्रौढ़ एवं वृद्ध मनुष्यों में यह रोग अधिक मात्रा में होता है क्योंकि वे शारीरिक श्रम नहीं करते। यदि वे करते भी हैं तो बहुत कम मात्रा में। मधुमेह एक कठिन रोग अवश्य है किन्तु इस पर नियंत्रण करना असंभव नहीं है। वैसे कोई भी काम कठिन नहीं है। अगर ठान लें तो संयमित जीवन, समुचित व्यायाम संतुलित आहार प्रणाली एवं डाक्टर की सलाह के अनुसार औषधियों का सेवन कर इस रोग की हानियों से बचा जा सकता है।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…