केंद्र सरकार दिल्ली विश्वविद्यालय के एडहॉक शिक्षकों के लिए जल्द ही स्थायीकरण पर अध्यादेश लाए…

नई दिल्ली, 02 जनवरी। आम आदमी पार्टी के शिक्षक संगठन डीटीए का नाम बदलकर राष्ट्रीय स्तर पर उसका नाम एएडीटीए किया गया। पिछले तीन महीनों से विश्वविद्यालय शिक्षकों के बीच यह नाम पहुंच रहा है। एएडी व डीटीए को मिलाकर एएडीटीए किया संगठन बना है, जो विश्वविद्यालय शिक्षकों में अपनी पहचान बना चुका है। डीटीए के पिछली बार विद्वत परिषद में अपने दो उम्मीदवार डॉ. आशा रानी व डॉ. सुनील कुमार को जीताया था। एएडीटीए ने विद्वत परिषद में अपने पांच उम्मीदवार उतारे है वहीं कार्यकारी परिषद में डॉ. सीमा दास को उम्मीदवार बनाया है।
विद्वत परिषद (एसी) व कार्यकारी परिषद (ईसी) की उम्मीदवार डॉ. सीमा दास व डॉ. सुनील कुमार के समर्थन में फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने अपने शिक्षकों के साथ रविवार को चुनाव प्रचार के दौरान शिक्षकों के घरों पर जाकर नए साल की बधाई और शुभकामनाएं देते हुए सभी एडहॉक शिक्षकों के स्थायी होने की मंगलकामनाएं की। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध विभिन्न कॉलेजों में पढ़ा रहे 5000 एडहॉक शिक्षकों के समायोजन/स्थायीकरण की मांग का समर्थन किया है और कहा है कि इस पर केंद्र सरकार से तुरंत अध्यादेश लाने की मांग की जाएगी। फोरम ने रविवार को अपना चुनाव प्रचार दिल्ली विश्वविद्यालय के आसपास विजय नगर, मुखर्जी नगर, हडसन लाइन, परमानंद कॉलोनी, निरंकारी कॉलोनी आदि जगहों पर रहने वाले शिक्षकों के बीच किया। चुनाव प्रचार में उनके समर्थक शिक्षक डॉ. अनिल कुमार, डॉ. अशोक कुमार, श्री मनीष भी साथ थे।
फोरम के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने बताया है कि उन्होंने रविवार को अपने चुनाव प्रचार के दौरान एडहॉक शिक्षकों के समायोजन/स्थायीकरण के मुद्दे का समर्थन किया है। इसके अलावा एडहॉक शिक्षकों को भी स्थायी शिक्षकों की तरह चिकित्सा सुविधाओं का लाभ, एडहॉक महिला शिक्षिकाओं को मातृत्व अवकाश, एडहॉक टीचर्स की स्थायी नियुक्ति के समय पूरी सर्विस काउंट करना, कॉलेजों में शिक्षकों के लिए आवासीय फ्लैट्स बनाने, दिव्यांग शिक्षकों का रीडर अलाउंस बढ़ाने, सभी एसोसिएट प्रोफेसर को तीन साल बाद एमपीएस के माध्यम से प्रोफेसर बनाने, ईडब्ल्यूएस कोटे में शिक्षकों के अतिरिक्त पद यूजीसी से मांग करने, ओबीसी कोटे की सेकेंड ट्रांच के पदों का रोस्टर बनाकर जल्द नियुक्ति करने, कोरोना के दौरान हुई शिक्षकों की मृत्यु के परिवार के सदस्यों को रोजगार देने, बिना पीएचडी के प्रोफेसर बनाने व प्रिंसिपल व प्रोफेसर पदों पर आरक्षण देते हुए जल्द भरवाने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन पर दबाव बनाया जाएगा। उनका कहना है कि केंद्र सरकार जब भी समायोजन पर कोई नीति लेकर आए तो उसमें आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों का भी ध्यान रखा जाए ताकि लंबे समय से एससी, एसटी, ओबीसी व विक्लांग शिक्षकों के पदों को केंद्र सरकार की आरक्षण नीति के तहत नहीं भरा गया है।
डॉ. सुमन ने बताया है कि अपने चुनाव प्रचार के दौरान कुछ एडहॉक शिक्षकों व स्थायी शिक्षकों ने उनसे सवाल पूछा कि क्या दिल्ली विश्वविद्यालय समायोजन करते समय आरक्षण नीति का पालन करेगा? सभी कॉलेजों ने ओबीसी कोटे की सेकेंड ट्रांच के पदों को क्यों नहीं भरा? एडहॉक शिक्षकों का डिस्प्लेसमेंट किया जा रहा है और शिक्षकों के संगठन चुप है? इस पर डॉ. सुमन का कहना है कि जब भी दिल्ली विश्वविद्यालय एडहॉक शिक्षकों का समायोजन करेगा तो केंद्र सरकार की आरक्षण नीति का सही ढंग से पालन कराया जाएगा। उनका कहना है कि जब भी समायोजन/स्थायीकरण पर सरकार या विश्वविद्यालय की नीति बनेगी उसमें आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों का ध्यान रखा जाएगा। उनका कहना है कि ओबीसी कोटे की सेकेंड ट्रांच के पदों का कॉलेज रोस्टर बना रहे है व कुछ कॉलेजों ने पदों को विज्ञापित भी किया है। उन्हें एससी–15, एसटी–7:5 और ओबीसी–27 फीसदी आरक्षण, ईडब्ल्यूएस –10 फीसदी आरक्षण देते हुए, सभी श्रेणियों का बैकलॉग व शॉर्टफाल का ध्यान रखा जाएगा ताकि सामाजिक न्याय के सिद्धांत का सही से पालन हो।
उन्होंने बताया है कि एडहॉक शिक्षकों के समायोजन/स्थायीकरण का मुद्दा तमाम शिक्षक संगठन चुनाव के समय उठाते रहे हैं लेकिन चुनाव जीतने के बाद केंद्र सरकार व दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन पर कोई दबाव नहीं बनाते। उनका कहना है कि ईसी में उनके उम्मीदवार ने इस मुद्दे पर कई बार मीटिंग नहीं चलने दी और कहा कि एडहॉक शिक्षकों के समायोजन को प्राथमिकता दे। उनका यह भी कहना है कि ईसी व एसी चुनाव जीतने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन व केंद्र सरकार पर दबाव बनाकर अध्यादेश/सर्कुलर जारी कराएंगे और जो शिक्षक जहाँ पढ़ा रहे हैं उनकी उसी कॉलेज में नियुक्ति कराई जाएगी। उन्होंने एडहॉक शिक्षकों को आश्वासन दिया है कि उनका फोरम पहले भी उनके साथ खड़ा था और भविष्य में भी उनके साथ रहेगा।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…